
अल्जाइमर एक ऐसी बीमारी है, जिसमें व्यक्ति की याददाश्त कम हो जाती है और वो चीजों को जल्दी भूल जाता है। अल्जाइमर एक मानसिक रोग है। इसका असर दिमाग के कार्यों पर पड़ता है। इसके चलते व्यक्ति की चीजों का याद रखने में दिक्कत आती है और इससे रोजमर्रा की दिनचर्या और कामों पर बुरा असर पड़ता है। आमतौर पर कई लोगों को याददाश्त कमजोर होना सामान्य लगता है, और इसे उम्र बढ़ने के साथ जोड़ा जाता है। जबकि ऐसा नहीं है, यह समस्या आनुवंशिक कारकों, डिप्रेशन, सिर की चोट, हाई ब्लड प्रेशर या फिर मोटापे के कारण अधिक होता है। इसे डिमेंशिया के नाम से जाना जाता है। वैज्ञानिकों की मानें तो प्रोटीन एमलॉइड-बीटा, ऐसा प्रोटीन जो कि व्यक्ति के मस्तिष्क रोग के मुख्य कारणों में से एक माना जाता है, और अल्जाइमर इसी के कारण होता है। वहीं हेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं कि अल्जाइमर विशेष रूप से वयस्कों और बुजुर्गों में ज्यादा होता है। अल्जाइमर रोग दिमाग के ऊतकों को नुकसान पहुंचाता है और दिमाग की कोशिकाओं को नष्ट करता है।
क्या कहती है रिसर्च?
अल्जाइमर रोगियों के काम करने, सोचने और चीजों को याद रखने की क्षमता प्रभावित करता है। यूनिवर्सिटी ऑफ़ साउथर्न कैलिफोर्निया के शोधकर्ताओं द्वारा की गई रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक ग्रीन टी और गाजर के सेवन से अल्जाइमर के खतरे को कम किया जा सकता है।
जर्नल ऑफ बायलॉजिकल केमिस्ट्री में प्रकाशित रिर्पोट में शोधकर्ताओं की टीम ने 2 कंपाउंड की जांच की है। जिसमें पहला कारण ईजीसीजी (EGCG) और दूसरा फेरुलिक एसिड (FA) है। रिसर्च कहती है कि फेरुलिक एसिड (FA) और ईजीसीजी (EGCG) से अल्जाइमर के खतरे को रोका जा सकता है।
ईजीसीजी (EGCG) से अल्जाइमर का खतरा कैसे होता है कम?
यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स के वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्रीन टी और रेड वाइन में ऐसे केमिकल्स पाये जाते हैं जिनकी मदद से अल्जाइमर रोग के खतरों को कम किया जा सकता है। ईजीसीजी (EGCG) एक तरह का एंटीऑक्सीडेंट है, जो ग्रीन टी में भरपूर मात्रा में पाया जाता है। ये कंपाउंड शरीर में फ्री रेडिकल्स को बनने से रोकता है, जिसके कारण शरीर की कोशिकाएं और मॉलिक्यूल डैमेज होने से बचती हैं। ग्रीन टी और रेड वाइन में जो ईजीसीजी (EGCG) पाया जाता है उसकी मदद से रेवरट्रैटोल का उपयोग करके अल्जाइमर को रोका जा सकता है।
फेरुलिक एसिड (FA) से अल्जाइमर का खतरा कैसे होता है कम?
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की मानें, तो आने वाले समय में अल्जाइमर रोग ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपनी चपेट में ले सकता है। लेकिन यह एक ऐसी बीमारी है जिसका आज के वैज्ञानिक दौर में इलाज सम्भव है। अल्जाइमर से बचाव के लिए दूसरा कंपाउंड, फेरुलिक एसिड (FA) है।
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फेरुलिक एसिड (FA) तनाव, कैंसर, मधुमेह, धमनियों संबंधी बीमारियां, न्यूरोडीजनरेटिव डिसऑर्डर, सन बर्न, और झुर्रियों समेत स्किन संबंधित कई समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। ये कंपाउंड गाजर, ओट्स और टमाटर में मुख्य रूप से पाया जाता है। फेरुलिक एसिड भी एक तरह का एंटीऑक्सीडेंट है।
शोधकर्ताओं की यह स्टडी चूहों पर की गई है। जिसमें शोध के दौरान अल्जाइमर से पीड़ित चूहों को 4 भागों में बांटा गया। इन सभी चूहों को चार अलग तरह की डाइट दी गई। इसके बाद सभी चूहों की जांच की गई और परिणाम सामने आया कि जिन चूहों को ईजीसीजी (EGCG) और फेरुलिक एसिड (FA) डाइट दी गई। 3 महीनों के बाद उन चूहों का व्यवहार सामान्य चूहों जैसा ही था।
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डॉ. टेरेंस टाउन ने बताया कि रिसर्च के आधार पर कहा जा सकता है कि ईजीसीजी (EGCG) और फेरुलिक एसिड (FA) दिमाग में एमाइलॉयड बीटा प्रोटीन को पहुंचने से रोकते हैं, साथ ही ये एंटीऑक्सीडेंट्स दिमाग के तनाव को कम करने में भी अहम भूमिका निभाते हैं। जिससे याददाश्त कमजोर नहीं होती है।
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