पार्किंसन में इस्तेमाल होने वाला इलाज अल्जाइमर जैसी बीमारी में भी मददगार

हाल ही में सामने आए एक अध्ययन में कहा गया है कि पार्किंसन के लिए इस्तेमाल होने वाला इलाज अल्जाइमर और हंटिंगटन जैसी बीमारियों में भी मददगार हो सकता है।
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पार्किंसन में इस्तेमाल होने वाला इलाज अल्जाइमर जैसी बीमारी में भी मददगार


हाल ही में सामने आए एक अध्ययन में कहा गया है कि पार्किंसन के लिए इस्तेमाल होने वाला इलाज अल्जाइमर और हंटिंगटन जैसी बीमारियों में भी मददगार हो सकता है। अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि इन सभी न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों में असामान्य प्रोटीन पाया जाता है और इन सभी में मस्तिष्क की कोशिकाओं को नष्ट करने की एकसमान क्षमता होती है।

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अध्ययन में पता की गई ये जानकारी उन तंत्र की प्रभावी रूप से व्याख्या कर सकती है जो अल्जाइमर, पार्किं सन, हंटिंगटन और अन्य न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों के मस्तिष्क में फैलने के साथ मस्तिष्क के साधारण हिस्सों के काम करने में रुकावट डालते हैं।

अध्ययन के वरिष्ठ लेखक और शिकागो विश्वविद्यालय लोयोला के एडवर्ड कैंपबेल ने कहा, मस्तिष्क की कोशिकाओं की क्षमता में अगर वृद्धि कर उन्हें प्रोटीन समूहों (गुच्छों) और क्षतिग्रस्त वेसिकल पर रोकथाम लगाने में सक्षम किया जा सके, तो इन बीमारियों का संभावित इलाज खोजा जा सकता है।

कैंपबेल ने कहा, अगर हम किसी एक बीमारी के इलाज में ऐसा करने में सफल रहते हैं तो पूरी संभावना है कि यह इलाज अन्य बीमारियों में भी प्रभावी हो।

न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों का प्रमुख कारण मस्तिष्क में न्यूरॉन्स (स्नायू) और अन्य कोशिकाओं के नष्ट होने के साथ अन्य बीमारियों का मस्तिष्क के अलग अलग हिस्सों कज्ञै प्रभावित करना होता है।

अल्जाइमर याददाश्त को नष्ट करती है जबकि पार्किं सन और हटिंगटन बीमारियां मस्तिष्क की क्रियाओं पर प्रभाव डालती हैं। ये तीनों बीमारियां तेजी से बढ़ने वालीं, कमजोर करने वाली और कभी नष्ट नहीं होने वाली हैं।

पिछले अध्ययनों में पाया गया है कि इन तीनों बीमारियों में असामान्य तरीके से मुड़ी हुई संरचना वाले प्रोटीन मस्तिष्क की कोशिकाओं के अंदर गुच्छे बना लते हैं।

प्रोटीन के ये समूह (गुच्छे) एक कोशिका से दूसरी कोशिकाओं तक फैलते हैं और अंत में कोशिकाओं की मौत का कारण बनते हैं।

यह अध्ययन जर्नल एक्टा न्यूरोपेथोलोजिका में प्रकाशित हुआ है। इसमें पाया गया है कि कैसे ये प्रोटीन के असंगठित गुच्छे मस्तिष्क की स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला कर उन्हें नष्ट कर सकते हैं।

अध्ययनकर्ताओं ने ध्यान दिया कि एक बार प्रोटीन कोशिकाओं के अंदर आने के बाद, वे वेसिकल में पहुंच जाती हैं और उनकी झिल्लियों पर अपनी पकड़ बना लेती हैं।

ये प्रोटीन वेसिकल की झिल्लियों को नष्ट कर देती हैं और प्रोटीन को कोशिकाप्लाज्म को नष्ट करने और अन्य कार्यो को प्रभावित करने में मदद करती हैं।

News Source- IANS

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