कमर में दर्द होने पर चलना तो दूर आप बामुश्किल हिल पाते हैं। ऐसे में आपको कई तकलीफों का सामना करना पड़ता है। लेकिन योग के कुछ आसन कमर दर्द में राहत पहुंचाने का काम करते हैं।
लोग अक्सर कमर दर्द से परेशान रहते हैं। इस दर्द के कई कारण हो सकते हैं। इनमें सबसे प्रमुख है रीढ़ की हड्डी में परेशानी। इसके चलते कई अन्य दिक्कतें भी हो सकती हैं। इनमें चिड़चिड़ापन, थकान, उच्च रक्तचाप, चिंता, गुस्सा, मूत्र संबंधी परेशानियां, श्वेत प्रदर, सिर दर्द और चेहरे पर निर्जीवता आदि प्रमुख हैं।
असल में रीढ़ वह खंभा है, जिस पर शरीर रूपी इमारत टिकी है। इसे दुरुस्त रखना बहुत मुश्किल बात नहीं है। योग की कुछ क्रियाएं रीढ़ को लचीली और स्वस्थ बनाए रखने के लिए पर्याप्त हैं। इन क्रियाओं से पहले कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखें:
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1. यह क्रियाएं नियमित रूप से करें।
2. प्रयास करें कि साधना ब्रह्म मुहूर्त में खाली पेट करें।
3. जल्दबाजी न करें। भले ही कम करें, पर सुकून से करें।
4. यदि आपकी समस्या पुरानी है तो विशेषज्ञ से मिलकर साधना करें।
तानासन
जमीन पर आसन बिछाएं व कमर के बल उस पर लेट जाएं। एड़ी-पंजे मिले रहें व हथेलियां जमीन पर जंघाओं की बगल में टिकी रहें। श्वास भरते हुए हाथों को सिर के ऊपर ले जाएं और हथेलियां आपस में जोड़ लें। पूरे शरीर में खिंचाव महसूस करें। कमर से ऊपर का भाग ऊपर की ओर खींचें व नीचे का नीचे की ओर। फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए हाथों को वापस ले आएं।
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कटि चक्रासन
पहली स्थिति
जमीन पर लेट जाएं व घुटनों को मोड़ते हुए एड़ी को हिप्स से छू दें। हथेलियां सिर के नीचे रखें व कोहनियां जमीन से चिपकी हुई। सांस भरते हुए घुटनों को दाई ओर जमीन से छुएं व चेहरा बाई ओर खींचें, पर कोहनियां जमीन पर रहें। सांस छोड़ते हुए वापस आएं व बाई ओर दोहराएं।
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दूसरी स्थिति
जमीन पर लेटे रहें। दाएं पैर के तलवे को बाई जंघा पर चिपका लें व बायां पैर सीधा रखें और दायां घुटना जमीन पर, हथेलियां सिर के नीचे। सांस भरते हुए मुड़ जाएं, पर दाई कोहनी जमीन से चिपकी रहे। जब तक संभव हो, रुकें व सांस छोड़ते हुए वापस दाएं घुटने को दाई ओर जमीन से छू दें। दस बार दोहराएं, फिर बाएं पैर से 10 बार दोहराएं।
सर्पासन
पेट के बल लेट जाएं। पैरों को पीछे की ओर खींचें व एड़ी-पंजे मिलाए रखें। सांप की पूंछ की तरह। हथेलियों व कोहनियों को पसलियों के पास लाएं। ऐसे कि हथेलियां कंधों के नीचे आ जाएं और सिर जमीन को छुए। आंखें बंद रखें। चेहरा व सीना ऊंचा उठाएं, कमर के वजन पर सांप की तरह। इस स्थिति में जब तक हो सके, बनी रहें। फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए जमीन पर वापस आ जाएं। विश्राम करें, हथेलियां सिर के नीचे टिका दें।
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पवन मुक्तासन
कमर के बल लेटें। दाएं घुटने को हाथों से पकड़ कर जंघा को पेट पर दबाते, सांस छोड़ते हुए घुटने को सीने के पास ले आएं। ठोड़ी को घुटने से छूने का प्रयास करें। बायां पैर जमीन पर सीधा टिका रहे। श्वास भरते हुए पैर व सिर को वापस जमीन पर लाएं। ऐसे ही बाएं पैर से करें व फिर दोनों पैरों से। इसे पांच बार दोहराएं। यह क्रियाएं रीढ़ की हड्डी को लचीला व मजबूत बनाएंगी।