TB ka Ayurvedic Ilaj in Hindi: टीबी एक संक्रामण रोग है, इसका पूरा नाम ट्यूबरक्लोसिस (Tuberculosis) है। यह माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस (Mycobacterium tuberculosis) नामक बैक्टीरिया से फैलती है। टीबी की बीमारी में मुख्य रूप से फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है। लेकिन धीरे-धीरे यह शरीर के उन हिस्सों में भी फैलने लगता है, जहां खून और ऑक्सीजन होता है।
आयुर्वेद में टीबी को महारोगों में से एक माना जाता है। टीबी के कारण अनेक लोग अपनी जान तक गवां देते हैं। ऐसे में टीबी के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस (world tuberculosis day 2022) मनाया जाता है। टीबी होने पर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ जाती है। इसलिए आज विश्व टीबी दिवस के मौके पर हम आपको कुछ ऐसी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों (Ayurvedic Treatment for TB in Hindi) के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका सेवन करके टीबी रोगी अपनी इम्यूनिटी बढ़ा सकते हैं। अपने शरीर को टीबी रोग से लड़ने के लिए तैयार कर सकते हैं।
टीबी रोग का आयुर्वेदिक इलाज: TB ka Ayurvedic Upchar in Hindi : Ayurvedic Treatment for TB in Hindi
रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल, सिरसा के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा बताते हैं कि टीबी एक गंभीर बीमारी है। टीबी एक संक्रामक रोग है, टीबी संक्रमित व्यक्ति की खांसी, छींक के जरिए स्वस्थ व्यक्ति तक पहुंचता है। इससे स्वस्थ व्यक्ति भी टीबी की चपेट में आ सकता है। थकान, खांसी के साथ बलगम, बुखार, रात में पसीना आना, छाती में दर्द, सांस फूलना और भूख न लगना टीबी रोग के आम लक्षण (Tuberculosis Symptoms in Hindi) माने जाते हैं। टीबी रोग से मुक्ति पाने के लिए संपूर्ण इलाज जरूरी होता है। टीबी का कोई घरेलू उपचार नहीं होता है। लेकिन टीबी होने पर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर पड़ जाती है, ऐसे में कुछ आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों (TB Ayurvedic Upchar in Hindi) का सेवन करके इम्यूनिटी को मजबूत बनाया जा सकता है।
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1. गिलोय (Giloy Benefits in Hindi)
आयुर्वेद में गिलोय को काफी लाभदायक माना गया है। कई रोगों के इलाज में गिलोय का उपयोग किया जाता है। टीबी रोग में शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए भी गिलोय का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए आप गिलोय का काढ़ा (Giloy Kadha Benefits) तैयार करें, सुबह-शाम इसका सेवन करने से प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है।
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2. अश्वगंधा (Ashwagandha Benefits in Hindi)
अश्वगंधा एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है, इसका उपयोग शारीरिक कमजोरी को दूर करने के लिए किया जाता है। टीबी होने पर बिना काम किए भी थकान और कमजोरी महसूस होती है, इस लक्षण को दूर करने के लिए आप अश्वगंधा का सेवन कर सकते हैं। अश्वगंधा का पाउडर (Ashwagandha Powder Benefits in Hindi) कमजोरी दूर करेगा, आपको बीमारी से लड़ने की ताकत देगा।
3. नागबला (Nagbala Benefits in Hindi)
नागबला का पौधा औषधीय गुणों से भरपूर होता है। आयुर्वेद में नागबला का उपयोग कई बीमारियों के इलाज में किया जाता है। नागबला सर्दी-जुकाम को ठीक करने में मदद करता है। इतना ही नहीं टीबी रोग में भी नागबला का उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए आप रोज सुबह नागबला के जड़ के चूर्ण (Nagbala Churna) को घी और शहद के साथ मिलाकर खाएं। नागबला के सेवन से शारीरिक कमजोरी दूर होगी, आपकी प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ेगी। नागबला टीबी के लक्षण खांसी में भी आराम दिलाता है।
4. हरड़ (Harad Benefits)
आयुर्वेद में हरड़ का इस्तेमाल औषधि के रूप में किया जाता है। हरड़ का उपयोग कई बीमारियों के इलाज में किया जाता है। टीबी के रोग में भी हरड़ का उपयोग (Harad Benefits in Hindi) किया जा सकता है। हरड़ के सेवन से टीबी रोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। साथ ही हरड़ खाने से भूख भी लगती है। इसके लिए आप हरड़ का पाउडर (Harad Powder ke Fayde in Hindi) का सेवन कर सकते हैं।
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5. च्यवनप्राश (Chyawanprash Benefits Hindi)
च्यवनप्राश इम्यूनिटी बढ़ाने का एक सबसे अच्छा घरेलू उपाय है। आयुर्वेद में च्यवनप्राश को कई आम समस्याओं का इलाज माना गया है। टीबी रोग के लक्षणों में कमी करने के लिए भी आप च्यवनप्राश का सेवन कर सकते हैं। च्यवनप्राश खाने से खांसी में आराम मिल सकता है। साथ ही च्यवनप्राश शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता (Chyawanprash for Immunity ) है।
अगर आपको भी टीबी की बीमारी (TB Disease in Hindi) का कोई शुरुआती लक्षण नजर आता है, तो इसके लिए आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। ऊपर बताए गए आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां टीबी रोग का इलाज नहीं है, इनसे सिर्फ टीबी रोगियों की इम्यूनिटी बढ़ाई जा सकती है। टीबी के लक्षणों में कुछ हद तक कमी की जा सकती है।
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