आज के समय में हृदय रोग आम होते जा रहे हैं। इसके पीछे अव्यवस्थित जीनशैली, खान-पान की खराब आदतें व कई अन्य कारण हैं। इसके अवाला वात पित्त कफ आदि दोष घट व बढ़कर रक्त में स्थित रक्त कणों के अतिरिक्त जो कुछ हैं, को दूषित कर के हृदय में जाकर रूकावट पैदा करते हैं। मतलब कि हृदय को रक्त प्रदान करने में बाधा डालते हैं और फिर गंभीर हृदय रोग का कारण बनते हैं। जिसके चलते बाईपास सर्जरी भी आम बात होती जा रही हैं। लेकिन स्वस्थ जीवनशैली, नियमित व्यायाम व स्वस्थ खान-पान से इस प्रकार की स्थिति से बचा जा सकता है। इसके अलावा 3 ऐसी आयुर्वेदिक औषधियां हैं जिनसे बाईपास सर्जरी की नौबत से बचाव होता है। चलिये विस्तार से जानें कौंन सी हैं ये 3 आयुर्वेदिक औषधियां।
शल्य क्रिया से बचाव के लिए 3 औषधियां प्रमुख हैं और वे हैं शिलाजीत, अर्जुन और बला। इनका सेवन कम से कम एक वर्ष करने से अच्छा परिणाम मिलता है।
शिलाजीत
भारतीय जड़ी-बूटियों में शिलाजीत का एक महत्वपूर्ण स्थान है। आयुर्वेद में शिलाजीत की बहुत प्रशंसा की गई है और इसकी गुणवत्ता को प्रतिष्ठित किया है। इसीलिये अधिकांश आयुर्वेदिक नुस्खों में शिलाजीत का प्रयोग किया जाता है। इसकी कमाल की बात यह है कि यह सिर्फ रोग ग्रस्त लोगों का रोग दूर करने के लिए ही, बल्कि स्वस्थ व्यक्ति के लिए भी उपयोगी होती है। विशेषकर मधुमेह, धातु क्षीणता, बहुमूत्र, स्वप्नदोष, सब प्रकार के प्रमेह, नपुंसकता, शरीर की निर्बलता, वृद्धावस्था की निर्बलता आदि व्याधियों को दूर करने के लिए शिलाजीत गुणकारी होती है।
अर्जुन
अर्जुन का मुख्य उपयोग हृदय रोग के उपचार में किया जाता है। इसे हृदय रोग की महाऔषधि भी माना जाता है। इसके अलावा इसका उपयोग रक्तपित्त, प्रमेह, मूत्राघात, शुक्रमेह, रक्तातिसार तथा क्षय और खांसी आदि के उपचार में भी लाभप्रद होता है।
बला
बला जिसे खिरैटी के नाम से भी जाना जाता है, जो जड़ी-बूटी वाजीकारक एवं पौष्टिक गुण के साथ ही अन्य गुण एवं प्रभाव भी रखती है। मसलन यह यौन दौर्बल्य, धातु क्षीणता, नपुंसकता तथा शारीरिक दुर्बलता दूर करने के अलावा अन्य व्याधियों को भी दूर करने की अच्छी क्षमता रखती है।
लेकिन उपरोक्त में से किसी भी औषधी का सेवन करने से पले अपने डॉक्टर से एक बार सलाह जरूर ले लें। वह आपके स्वास्थ्य से बेहतर ढंग से वाकिफ होता है, और जानता है कि आप किन औषधियों का सेवन कर सकते हैं।
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