आयुर्वेद में तिधारा सेंहुण का प्रयोग औषधीय रूप में किया गया है। यह 9 मीटर ऊंचा पौधा अपने औषधीय गुणों की वजह से खास पहचान रखता है। इस पौधे का गूदा और रस शरीर की विभिन्न बीमारियों से निपटने में काम आता है। हापुड़ के चरक आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज में शल्य चिकित्सा विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. भारत भूषण का कहना है कि तिधारा सेंहुण एक आयुर्वेदिक हर्ब है। इसका तना मांसल, गुदगुदा और हरा होता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा में तिधारा सेंहुण का प्रयोग कान दर्द, पाल्सी, दांत दर्द आदि में इसका प्रयोग किया जाता है। आज के इस लेख में प्रोफेसर भारत से जानेंगे कि तिधारा सेंहुण का प्रयोग कैसे करना है और किन बीमारियों में कितनी खुराक लेनी है।
तिधारा सेंहुण के अन्य नाम
प्रत्येक प्रांत में हर पौधे का या जड़ी-बूटी अलग नाम होता है। इसी प्रकार तिधाार सेंहुण का भी कई भाषाओं में अलग नाम है। हर भाषा ने इसे अलग पहचान दी है। तिधारा सेंहुण यूफॉर्बिएसी कुल का पौधा है। इसका वानस्पतिक नाम यूफॉर्बिया एण्टीकोरम Syn-Tithymalus antiquorus (Linn) Moench है। नीचे तिधारा सेंहुण के विभिन्न भाषाओं में नाम दिए गए हैं-
- हिंदी - तिधारा सेंहुण, तिधारा थूहर
- मराठी- तिधारी, नवदुंगा
- संस्कृत - वज्रतुंदी, वज्राकांतका
- अंग्रेजी - एन्सीएन्टस यूर्फोब
तिधारा सेंहुण के फायदे और प्रयोग
तिधारा सेंहुण स्वाद में कड़वा होता है। इसके निम्न फायदे प्रोफेसर भारत भूषण ने बताए हैं-
जोड़ों के दर्द में सहायक (Gout)
गठिया एक तरह का अर्थराइटिस है। जिसमें जोड़ों में अचानक इन्फ्लामेशन महसूस होता है। विशेषकर देखा गया है कि यह सूजन किसी एक जॉइंट से शुरु होती है। एक जॉइंट से शुरू हुआ दर्द कई जोड़ों को प्रभावित कर सकता है। जोड़ों के दर्द की इस परेशानी से निपटने में तिधारा सेंहुण लाभदायक है।
प्रोफेसर भारत भूषण का कहना है कि जिन लोगों को Gout की समस्या है वे तिधारा सेंहुण के तने से बने काढ़े का सेवन कर सकते हैं। इसकी मात्रा 20 मिली से 40 मिली. हो सकती है। इसके अन्य तरीके से सेवन के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने नजदीकी आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं।
कान दर्द को करे ठीक
तिधारा सेंहुण एक आयुर्वेदिक औषधी है। यह शरीर छोटे रोगों से लेकर तंत्रिका विकारों से संबंधित गंभीर रोगों में भी लाभकारी है। कान में दर्द कहने को बहुत छोटी सी परेशानी है, लेकिन जिस व्यक्ति को कान में दर्द शुरू होता है, वह दर्द से बचैन हो जाता है। कई बार डॉक्टर से पास जाने की परिस्थितियां नहीं पातीं, तो ऐसे में कान दर्द का इलाज बन जाता है तिधारा सेंहुण।
प्रोफेसर भारत भूषण का कहना है कि जिन लोगों को कान में दर्द हो तो वे तिधारा सेंहुण की शाखाओं का रस निकालकर 1-2 बूंद कान में डालें, इससे कान के दर्द में मदद मिलेगी। आप किसी भी आयुर्वेदिक औषधी का सही प्रयोग तभी कर सकते हैं, जब आपको उसकी सही पहचान मालूम हो। इसलिए उपयोग से पहले सही पौधे को पहचान कर ही उपयोग करें।
इसे भी पढ़ें : कान में इंफेक्शन के कारण होने वाले दर्द से जल्द आराम दिलाएंगे ये 6 घरेलू उपाय
पेट के रोगों में लाभकारी
तिधारा सेंहुण का प्रयोग पेट के रोगों में भी किया जाता है। बदहजमी, गैस, अपच व पेट में कीड़े आदि परेशानियां पेट से जुड़ी हैं। इन परेशानियों से निपटने में तिधारा सेंहुण बहुत लाभकारी है। आयुर्वेद के अनुसार अगर आपके बच्चे के पेट में कीड़े हो गए हैं तो तिधारा की जड़ को हिंग के साथ पीसकर पेट पर बांधने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं। आयुर्वेद में पेट की गैस से निजात पाने के लिए पेट पर मिट्टी की पट्टी भी बांधी जाती है। इसी तरह कई आयुर्वेदिक हैं, जिनसे पेट की समस्याओं को कम किया जा सकता है। उसी कड़ी में तिधारा सेंहुण है।
प्रोफेसर भारत के मुताबिक अगर आपका पेट फूल रहा है या गैस बन रही है तो तिधारा की जड़ के रस का सेवन किया जा सकता है। इससे गैस व अपच में आराम मिलेगा।
तंत्रिका रोग (nervine diseases)
प्रोफेसर भारत का कहना है कि तंत्रिका रोगों में भी तिधारा सेंहुण का प्रोयग किया जाता है। इसमें बेल्स पाल्सी, भूलने की बीमारी, सेरेब्रल पाल्सी, पर्किंसन्स डिजीज आदि में तिधारा सेंहुण का प्रयोग किया जा सकता है। इन बीमारियों में तिधारा के लेटेक्स (दूध) का प्रयोग किया जाता है। तने को रगड़ने से 1 दूधिया तरल पदार्थ निकालता है। जिसका प्रयोग इन रोगों में किया जाता है।
दांत दर्द में सहायक
दांत में दर्द के कई घरेलू उपाय हैं।लेकिन तिधारा का प्रयोग एक औषधी के रूप में किया जाता है। दांत में दर्द होने पर तिधारा के दूध का प्रयोग किया जाता है। इससे दांत दर्द से जल्द राहत मिलती है।
इसे भी पढ़ें : दांतों को स्वस्थ रखने के लिए 6 घरेलू नुस्खे, जो पुराने समय से किए जा रहे हैं प्रयोग
घाव को करे ठीक
घाव में कीड़े होने, घाव के जल्दी न भरने आदि समस्याओं में तिधारा लाभकारी है। तिधारा के रस को घाव पर लगाने से घाव जल्दी ठीक हो जाता है। तिधारा सेंहुण का प्रयोग नाखूनों में होने वाले घाव को भरने में भी किया जाता है। तिधारा सेंहुण घाव को भरने का अच्छा घरेलू उपाय है।
अस्थमा में लाभकारी
जिन लोगों को सांस से जुड़ी बीमारी जैसे अस्थमा हो जाती है, उन लोगों के लिए तिधारा सेंहुण एक बहुत ही उपयोगी औषधी है। तिधारा सेंहुण के रस का प्रयोग अस्थमा के रोगी कर सकते हैं। तिधारा सेंहुण के लेटेक्स का प्रयोग रोग की गंभीरता देखकर किया जाता है। इसके अधिक अच्छे उपयोग के बारे में जानने के लिए नजदीकी आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह लें।
दाद को करे दूर
अगर आपको त्वचा से संबंधित समस्याएं हैं तो तिधारा सेंहुण का प्रयोग किया जा सकता है। तिधारा के रस का प्रयोग दाद पर करें। इससे दाद की समस्या दूर हो जाती है।
तिधारा सेंहुण का प्रयोग शरीर के कई रोगों में किया जाता है। इससे शरीर में दर्द से संबंधित परेशानियां ठीक हो जाती हैं। इसके सही उपयोग के लिए नजदीकी डॉक्टर से सलाह लें।
तिधारा के उपयोगी भाग
- तने का गूदा (लेटेक्स)
- तने का रस
तिधारा सेंहुण का उपयोग कैसे करें
भारत के अधिकतर राज्यों में पाया जाने वाला यह पौधा बहुत उपयोगी है। इसका सही लाभ लेने के लिए इसकी सही मात्रा के बारे में मालूम होना चाहिए। प्रोफेसर भारत भूषण के मुताबिक, तिधारा सेंहुण का उपयोग 20ml से 40ml लें। इस मात्रा में उपयोग करने से आपको सही लाभ मिलेगा।
तिधारा सेंहुण का सही लाभ लेने के लिए और हर रोग में इसका सही लाभ लेने के लिए नजदीकी आयुर्वेदिक चिकित्सक से बात करें। आयुर्वेद में तिधारा सेंहुण का प्रयोग कई रोगों में किया जाता है। इसका उपयोग कान दर्द, पेट के रोगों में भी किया जाता है।
Read More Articles on ayurveda in hindi
Read Next
सीने के दर्द से लेकर सिरदर्द ठीक करने तक, जानें 'गुलदाउदी के फूल' के 9 फायदे, प्रयोग और कुछ नुकसान
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version