एक नए अध्ययन में यह पाया गया है कि एस्पिरिन वायु प्रदूषण के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने में सक्षम साबित हो सकती है। अमेरिकन जर्नल ऑफ रेसपिरेटरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन में प्रकाशित निष्कर्षों में बताया गया कि एस्पिरिन जैसे नॉनस्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग (NSAIDs)फेफड़ों की गतिविधियों पर वायु प्रदूषण के प्रभावों को कम कर सकते हैं।
अध्ययन के शोधकर्ताओं ने बोस्टन क्षेत्र के 2,280 पुरुषों से प्राप्त डेटा का विश्लेषण किया। इन पुरुषों ने अपनी फेफड़ों की गतिविधियों का पता लगाने के लिए कई प्रकार के टेस्ट दिए थे। अध्ययन में शामिल पुरुषों की औसत उम्र 73 वर्ष थी।
शोधर्ताओं ने टेस्ट के परिणामों, NSAIDs प्रयोग की सेल्फ रिपोर्ट, हवा में मौजूद पीएम (पार्टिकुलेट मैटर) स्तर और टेस्ट से एक महीने पहले ब्लैक कार्बन के बीच संबंधों की जांच की। इसके अलावा विभिन्न कारकों जैसे कि पुरुषों का स्वास्थ्य और क्या वह धूम्रपान करते हैं या नहीं इसको भी शामिल किया गया।
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अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि किसी भी NSAIDs का प्रयोग हमारे फेफड़ों की गतिविधियों पर पीएम के प्रभावों को आधा कर देता है। शोधकर्ताओं ने फेफड़ों की गतिविधियों के टेस्ट से 28 दिन पहले और अंतिम दिन तक सभी चार सप्ताह के निरंतर वायु प्रदूषण आंकड़ों के बीच संबंध को दर्शाया गया और यह परिणाम सामने आए।
NSAIDs का प्रयोग करने वाले अध्ययन में शामिल ज्यादातर लोगों ने एस्पिरिन ली थी। शोधकर्ताओं का कहना है कि फेफड़ों की गतिविधियों पर आए प्रभावों को सबसे ज्यादा एस्पिरिन से प्रभावित पाया गया। शोधकर्ताओं ने कहा कि एस्पिरिन नहीं लेने वाले NSAIDs उपयोगकर्ताओं पर अन्य दवाओं की आगे जांच की जाएगी।
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शोधकर्ताओं ने बताया कि NSAIDs वायु प्रदूषण के कारण सीने में होने वाली जलन को कम कर सकती है।
कोलंबिया मेलमैन स्कूल में डिपार्टमेंट ऑफ इनवायरमेंटल हेल्थ साइंस के पोस्ट डॉक्टरल रिसर्च साइंटिस्ट और अध्ययन के मुख्य लेखक शु गाओ ने कहा, ''अभी भी बहुत जरूरी है कि वायु प्रदूषण के संपर्क को कम से कम किया जाए, जो कि कैंसर से लेकर ह्रदय रोगों तक प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों का कारण बनता है।''
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