Health Warning: आप भी रहते हैं प्रदूषण वाले शहर में, तो हो सकते हैं डायबिटीज के शिकार

प्रदूषण वाले शहरों में रहने वाले लोग, जल्द हो सकते हैं डायबिटीज का शिकार। वैज्ञानिकों ने वायु प्रदूषण और टाइप 2 डायबिटीज के बीच गहरा संबंध पाया है। इसके साथ ही इस बारे में भी आगाह किया है कि भारत जैसे देश में वायु प्रदूषण के कारण डायबिटीज का खतरा काफी ज्यादा है।
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Health Warning: आप भी रहते हैं प्रदूषण वाले शहर में, तो हो सकते हैं डायबिटीज के शिकार

आमतौर पर हम यही सोचते हैं कि वायु प्रदूषण से सिर्फ फेफड़े के रोगों और सांस की बीमारियों का खतरा होता है। मगर हाल में हुआ एक अध्ययन बताता है कि वायु प्रदूषण आपको डायबिटीज का भी शिकार बना सकता है। वायु प्रदूषण (Air Pollution) और डायबिटीज (Diabetes) हर साल करोड़ों लोगों की मौत का कारण बनते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization या WHO) के अनुसार वायु प्रदूषण के कारण आपको फेफड़ों का कैंसर, श्वांसनली का इंफेक्शन, स्ट्रोक और हार्ट की बीमारियों का खतरा होता है।

इन दिनों दुनियाभर में प्रदूषण का स्तर बढ़ता ही जा रहा है। 2018 में जारी एक एयर क्वालिटी डेटाबेस के अनुसार दुनियाभर के शहरों में रहने वाले 80% से ज्यादा लोग प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं। भारत के भी कई बड़े शहरों में प्रदूषण का स्तर अक्टूबर-नवंबर में काफी बढ़ जाता है।

क्यों माना जाता है डायबिटीज को खतरनाक बीमारी

डायबिटीज को एक खतरनाक बीमारी माना जाता है क्योंकि आपके शरीर के हर महत्वपूर्ण अंग पर इसका असर पड़ता है। डायबिटीज के कारण आपका हार्ट फेल हो सकता है, किडनियां काम करना बंद कर सकती हैं, स्ट्रोक हो सकता है, लिवर खराब हो सकता है और आंखों की देखने की क्षमता हमेशा के लिए खो सकती है।
दरअसल डायबिटीज होने पर शरीर में मौजूद खून में शुगर बढ़ने लगता है। यही खून आपके शरीर के सभी अंगों तक पहुंचता है। ब्लड में मौजूद शुगर इन अंगों के काम को प्रभावित करता है, जिसके कारण आपको जिंदा रखने वाले सभी महत्वपूर्ण अंग धीरे-धीरे अपनी क्षमता खोने लगते हैं और एक दिन काम करना बंद कर देते हैं। इसीलिए डायबिटीज को खतरनाक माना जाता है।

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प्रदूषण से कैसे बढ़ता है डायबिटीज?

इस बारे में अभी भी रिसर्च जारी है कि प्रदूषण के कारण डायबिटीज का खतरा क्यों बढ़ जाता है। मगर वैज्ञानिकों के अनुसार प्रदूषित हवा में मौजूद कुछ हानिकारक केमिकल्स सांसों के द्वारा जब शरीर में जाते हैं, तो ये खून में पहुंच जाते हैं और खून के द्वारा टिशूज और शरीर के अंगों तक। इससे टिशूज को नुकसान पहुंचता है और अंगों के काम में बाधा आती है। पैंक्रियाज में पहुंचने पर ये जहरीले तत्व शरीर में इंसुलिन हार्मोन बनाने की क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं और सेल्स को इंसुलिन के प्रति असंवेदनशील बना सकते हैं, जिसके कारण व्यक्ति के खून में ब्लड शुगर बढ़ने लगता है। यही तो डायबिटीज है।

कैसे की गई रिसर्च

सेन्ट लुई स्थित वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के में हुए शोध के अनुसार वायु प्रदूषण और डायबिटीज का आपस में गहरा संबंध पाया गया है। ये रिसर्च 'द लैंसेंट प्लैनेट्री हेल्थ' नाम के जर्नल में छापी गई है। इस शोध के लिए वैज्ञानिकों ने टीम ने ऐसे लोगों को चुना, जिन्हें पहले से डायबिटीज नहीं था। इन सभी लोगों की सेहत पर 8.5 सालों तक नजर रखी गई। इसके अलावा वैज्ञानिकों ने एक और ग्रुप को चुना, जिन्हें न तो डायबिटीज की समस्या थी और न ही वे लोग प्रदूषण वाले इलाकों में रहते थे।

इस अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला कि वायु प्रदूषण के कारण अकेले युनाइटेड स्टेट्स में, साल 2016 (सिर्फ 1 साल के दौरान) में ही 32 लाख से ज्यादा लोग डायबिटीज का शिकार हुए थे। इसके अलावा वायु प्रदूषण के कारण अलग-अलग रोगों से मरने वालों की संख्या इस एक साल में 8.2 लाख थी।

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वैज्ञानिकों ने माना भारत जैसे देश में ज्यादा खतरा

ये शोध करने वाले वैज्ञानिकों ने माना है कि भारत, चीन, पाकिस्तान, इंडोनेशिया जैसे कम आय (Low Income) वाले देशों में वायु प्रदूषण के कारण होने वाली डायबिटीज और मौतों का खतरा ज्यादा बड़ा है। इसका कारण है यह है कि इन देशों में प्रदूषण को लेकर लोग ज्यादा जागरूक नहीं हैं और साफ-सफाई का भी बहुत ज्यादा ख्याल नहीं रखते हैं।

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