बच्चों को भी हो सकती है अर्थराइटिस की समस्या, सुबह जोड़ों में दर्द और बुखार हैं इसके लक्षण

बच्चों को भी अर्थराइटिस की समस्या हो सकती है। समय से पहले इनके लक्षणों को पहचानना बहुत ही जरूरी होता है, ताकि समय से इलाज संभव हो सके।
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बच्चों को भी हो सकती है अर्थराइटिस की समस्या, सुबह जोड़ों में दर्द और बुखार हैं इसके लक्षण

अर्थराइटिस यानी गठिया की समस्या को लेकर हमारा विचार है कि यह अधिकतर बुजुर्गों को ही होती है, लेकिन ऐसा नहीं है। आज के समय में अर्थराइटिस की समस्या (Arthritis in Child) बच्चों को भी हो रही है। बच्चों में अर्थराइटिस के लक्षण 6 महीने की उम्र से ही दिखने लगते हैं। 6 महीने से लेकर किशोरों को भी अर्थराइटिस की समस्या हो सकती है। शिशुओं और टीनएजर को होने वाले अर्थराइटिस को जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस (Juvenile idiopathic arthritis) कहते हैं। यह समस्या ऑटोइम्यून डिसीज (Auto Immune disease) है, जिसमें शरीर के व्हाइट ब्लड सेल्स (White Blood cells) अपने ही शरीर के टारगेट करते हैं।

बच्चे आखिर जुवेनाइल अर्थराइटिस के शिकार क्यों हो रहे हैं, इसके बारे में कुछ भी कहा नहीं जा सकता है। हालांकि, कुछ डॉक्टर का कहना है कि अनुवांशिक कारणों भी बच्चों को अर्थराटिस की समस्या हो सकती है।  चलिए जानते हैं बच्चों में अर्थराइटिस के कौन-कौन से लक्षण दिखते हैं।

बच्चों में किस तरह दिखता है इसका असर

  • अगर आपका बच्चा सुबह उठकर अक्सर जोड़ों में दर्द और अकड़न महसूस करता है, तो समझ जाएं कि यह अर्थराइटिस की निशानी हो सकती है। 
  • बच्चों में ज्वाइंट के आसपास सूजन दिखाई देता है, इसके साथ-साथ समस्या बढ़ने पर दर्द भी हो सकता है।
  • अगर आपका बच्चा हमेशा आंखों में दर्द की शिकायत करे और उसकी आंखे लाल-लाल दिखें, तो समझ जाएं कि आपके बच्चों को अर्थराइटिस की परेशानी हो सकती है।
  • बच्चे को बार-बार बुखार आना भी अर्थराइटिस के लक्षणों में शामिल हो सकता है। 
  • अचानक से शरीर का वजन कम होना भी जुवेनाइल अर्थराइटिस के लक्षण हो सकते हैं। 
  • इन सभी लक्षणों में ज्यादातर ऐसे लक्षण हैं, जो अन्य बीमारियों के भी हो सकते हैं। ऐसे में अगर आपको अपने बच्चों में इस तरह का कोई लक्षण दिखे, तो तुरंत उन्हें डॉक्टर के पास ले जाएं।

बच्चों और बुजुर्गों के अर्थराइटिस में होता है अंतर

बच्चों और बड़ों के अर्थराइटिस में लगभग कई चीजें समान होती हैं, लेकिन इनके अर्थराइटिस में छोटा सा अंतर भी होता है। जी हां, एक ओर बड़ों में जहां अर्थराइटिस के लक्षण ताउम्र दिखते हैं, लेकिन बच्चों में यह जरूरी नहीं है कि उन्हे अर्थराइटिस की समस्या ताउम्र हो। यानी आपका बच्चा हमेशा अर्थराइटिस से पीड़ित नहीं रह सकता है, इसे इलाज के जरिए ठीक किया जा सकता है। या फिर कभी-कभी ये लक्षण  खुद-ब-खुद कम होने लगते हैं।

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किस तरह दिखता है बीमारी का असर

जुवेनाइल अर्थराइटिस के शुरुआत में बच्चों को जोड़ों में काफी दर्द होता है। बच्चों के इस समस्या का अगर समय से इलाज नहीं किया गया, तो यह उनके लिए घातक हो सकता है। समय से इलाज ना होने पर बच्चे स्किन, हार्ट, आंख और लंग्स जैसी समस्या के शिकार हो सकते हैं। इसके अलावा उनकी हड्डियों का विकास भी रुक सकता है। ऐसे में जरूरी है  कि लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

कैसे होता है इसका इलाज?

अमेरिकन कॉलेज ऑफ़ रूमेटोलॉजी (American College of Rheumatology)  द्वारा इस समस्या पर शोध किया गया है। इस रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक,  बच्चों की इस बीमारी का कोई पर्मानेंट इलाज नहीं है, लेकिन समय पर इसके लक्षणों को पहचानकर इस बीमारी को काफी हद तक कंट्रोल कर सकते हैं। बच्चों में इसके लक्षण नजर आने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर उन्हें कुछ दवाइयां देते हैं। साथ ही लाइफस्टाइल में भी बदलाव के लिए कहा जाता है। बच्चों की इस बीमारी में जितना ज्यादा लेट किया जाता है, इलाज करना उतना ही अधिक मुश्किल हो सकता है।

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