बच्चों के विकास के लिए आयोडीन की जरूरत पड़ती है। आयोडीन वाले आहार खिलाकर आप अपने बच्चों को कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचा सकते हैं। बच्चे के विकास, विशेष रूप से स्वस्थ थायराइड के लिए आयोडीन सबसे जरूरी मिनरल्स में से एक है। थायराइड ग्रंथि मेटाबॉलिज्म, ग्रोथ को रेगुलेट करने वाले हार्मोन, शरीर का तापमान, ब्लड सेल प्रोडक्शन के साथ साथ नर्व और मसल्स फंक्शन के लिए जरूरी हार्मोन को कंट्रोल करके रिलीज करती है। आयोडीन की कमी से होने वाली समस्याओं के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 21 अक्टूबर को World Iodine Deficiency Day मनाया जाता है। आयोडीन की कमी वाले बच्चों में थायरॉयड ग्रंथि के बढ़ने से गॉइटर (घेंघा रोग) हो सकता है। घेंघा रोग आगे चलकर स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकता है, जैसे- कम हार्मोन का प्रोडक्शन, सांस लेने और भोजन-पानी निगलने में कठिनाई। इसके अलावा भी आयोडीन की कमी से बहुत सी समस्याएं हो सकती हैं। बच्चों में आयोडीन की कमी से होने वाली परेशानियों, इसकी जरूरत और स्रोतों के बारे में बता रही हैं मदरहुड हॉस्पिटल की कंसलटेंट पीडियाट्रिशियन और नियोनाटोलॉजिस्ट डॉ रमानी रंजन।
हाइपोथायरायडिज्म की समस्या
बच्चा पैदा होने के बाद वह केवल अपनी मां के दूध पर ही आयोडिन के लिए आश्रित रहता है। इसलिए मां के द्वारा खाया जाने वाला आयोडीन बच्चे की सेहत पर भी असर डाल सकता है। आयोडीन की कमी से बच्चों में हाइपोथायरायडिज्म हो सकता है जो वजन बढ़ने, बालों के झड़ने, शुष्क त्वचा, ठंड और डिप्रेशन या फिर दिमाग का लेवल कम होने के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार हैं। साथ ही अनुचित विकास या कम विकास और अन्य चीजों में भी कमी हो सकती है।
इसे भी पढ़ें: शिशुओं के बौनेपन का कारण बन सकता है प्रेग्नेंसी के दौरान मां के शरीर में आयोडीन की कमी, जाने इसके स्त्रोत
कम एनवायरमेंटल आयोडीन का सेवन
इसलिए यह सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है कि नवजात बच्चों को उनकी जिंदगी के पहले दिनों से पर्याप्त आयोडीन मिले। प्रेग्नेंसी और ब्रेस्टफीडिंग के दौरान माताओं और नवजात बच्चों को एनवायरमेंटल आयोडीन की अधिकता से बचना चाहिए। आयोडीन की पर्याप्त मात्रा बच्चे की उम्र के हिसाब से अलग अलग होती है।
क्या होनी चाहिए उचित मात्रा
एक प्रेग्नेंट महिला को एक दिन में लगभग 248-250 माइक्रो ग्राम की आयोडीन की आवश्यकता होती है। आयोडाइज्ड नमक के हर ग्राम में 15-15.2 माइक्रो ग्राम आयोडीन होता है। एक अध्ययन के दौरान भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में 24.5-25% लोगों को आज भी आयोडिन की कमी का सामना करना पड़ता है। यदि आप किसी चीज को खरीद रहे हैं तो उसमें हंसते हुए सूरज के चिह्न को देखें वह आयोडिन का चिह्न है।
इसे भी पढ़ें: सिर्फ नमक नहीं, ये 8 चीजें खाने से भी दूर होती है आयोडिन की कमी
बड़े बच्चों में समस्या
बड़े बच्चों में भी थायरॉयड की कमी के कारण बहुत सी समस्याएं आने लगती हैं, जैसे- अधूरा विकास, कब्ज होना, आलसी होना, गोइटर व स्कूल में खराब परफॉर्मेंस। यदि आप इसका इलाज कराना चाहते हैं तो इसमें कुछ दवाइयां व इलाज शामिल हैं। यह आसानी से ठीक हो सकता है। कुछ बच्चों को बहुत लंबे समय के लिए भी दवाइयों की जरूरत पड़ती है। लेकिन इन दवाइयों के सेवन से बच्चा बिल्कुल ठीक हो जाएगा व एक साधारण जिंदगी जीने लगेगा।
आयोडीन युक्त नमक का उपयोग
आयोडीन की कमी भी एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है जिसे दूर करने की आवश्यकता है। समुद्री भोजन, डेयरी उत्पादों और सब्जियां जैसे प्याज और शकरकंद जैसे आहार आयोडीन के पूरक स्रोत हैं। इसके अलावा आयोडीन युक्त नमक का उपयोग महिलाओं, शिशुओं और बच्चों में आयोडीन की कमी और हाइपोथायरायडिज्म को रोकने में मदद कर सकता है।
डॉ रमानी रंजन, कंसलटेंट पीडियाट्रिशियन, नियोनाटोलॉजिस्ट, मदरहुड हॉस्पिटल, नोएडा से बातचीत पर आधारित।
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version