
भारत दुनिया में सबसे बड़ा यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम (Universal Immunisation Programme)चलाता है। इस अभियान के तरह हर साल भारत में 65% बच्चों का टीकाकरण किया जाता है। इसके अलावा साल 2014 से भारत सरकार हर बच्चे का टीकाकरण को सुनिश्ति करने लिए 'मिशन इन्द्रधनुष' चला रही है। इस कार्यक्रम के तहत दो साल तक के सभी बच्चों और हर गर्भवती महिला के लिए सभी उपलब्ध टीकों के साथ पूर्ण टीकाकरण सुनिश्चित करना है। इसके तहत सभी टीके मुफ्त उपलब्ध हैं। बीसीजी का टीका (bcg vaccine) इन्हीं जरूरी टीकों में से एक है।
बीसीजी (bacille Calmette-Guerin) का टीका मुख्य रूप से शिशु को टीबी (Tuberculosis) और दिमागी बुखार से बचाने के लिए लगाया जाता है। पर हाल ही में कोरोना वायरस को लेकर जब वैक्सीन की चर्चा हुई तो, वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने इस पर भी खूब चर्चा की। आज हम विश्व टीकाकरण दिवस (World Immunization Day 2020) के अवर पर यही जानेंगे कि कि बीसीजी वैक्सीन में ऐसा क्या है, जिसे लेकर कोरोना वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी पैदा करने की बात कही गई और आज भी ये सालों पुराना वैक्सीन हर बच्चे के लिए क्यों जरूरी है।
बीसीजी का टीका क्या है?
बीसीजी का टीका हर बच्चे के लिए बेहद जरूरी है। बीसीजी का टीका आपके बच्चे की प्रतिरक्षण प्रणाली को उन किटाणुओं से लड़ने में मदद करता है, जिनसे टीबी (Tuberculosis) होती है। अध्ययन दर्शाते हैं कि बीसीजी का टीका दिए जाने के समय से लेकर 15 वर्ष बाद तक टीबी और अन्य गंभीर बीमारियों से बचाता है। अगर बात बीसीजी के खोज की करें, तो इस वैक्सीन को साल 1908 से 1921 तक में तैयार किया गया था। इसको फ्रांस के बैक्टीरियोलोजिस्ट एडबर्ट कैलिमिटी और कैमिली ग्यूरीन ने तैयार किया था। इस वैक्सीन को जन्म के तुरंत बाद टीबी के जोखिम वाले शिशिुओं को दिया जाता था पर अब इसे हर बच्चे के लिए जरूरी माना गया है।
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शिशु को कब लगवाएं बीलीजी का टीका?
बीसीजी का टीका छह साल से कम आयु के बच्चों को लगाया जाता है। अगर सही समय की बात करें, तो बीसीजी का टीका लगवाने का सही समय शिशु के जन्म के 6 महीने के भीतर है। साथ इस बात का खास ध्यान दिया जाता है कि अगर आप अपने बच्चे को किसी भी टीबी संक्रमित देश में ले जा रहे हैं, तो जाने से पहले बीसीजी का टीका लगवाना अनिवार्य है। ये टीकाकरण बच्चों को न सिर्फ टीबी, बल्कि बहुत सारे रोगों से बचाता है।
क्या बीसीजी टीका कोरोनवायरस से भी बचा सकता है?
बीसीजी के टीके का हमारे इम्यून सिस्टम पर इतना व्यापक प्रभाव पड़ता है कि उसे देखकर लगता है कि यह दूसरी संक्रामक बीमारियों से भी हमारे शरीर को बचा सकता है। यही बात शोधकर्ता अपने शोध में कहते आए हैं। दरअसल कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले में बीसीजी के प्रभावी साबित होने पर शोध किया जा रहा है क्योंकि कोरोना के शुरुआती लक्षण एक रेस्पिरेटरी (Severe acute respiratory syndrome) बीमारी से मिलती है, जिसमें अब बदलाव आ रहा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख डॉक्टर टेड्रोस एडनॉम ग्रेबियेसस द्वारा लैंसेट में लिखे एक लेख की मानें, तो बीसीजी वैक्सीन में वो क्षमता है कि वो कोरोना की वैक्सीन नहीं खोजे जाने तक उसके असर को कम करने वाले उपाय के तौर पर भारपाई कर सकता है। कोविड-19 और भविष्य में आने वाली दूसरी महामारियों से मुकाबला करने को लेकर बीसीजी प्रारंभिक उपाय के रूप मे कारगर हो सकता है। हालांकि बीसीजी लंबे वक्त के लिए कोई समाधान नहीं देती और कोरोना वायरस के खिलाफ एक कारगर वैक्सीन का लोगों को अब भी इंतजार है।
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इस तरह आप समझ सकते हैं, कि बीसीजी हर बच्चे के लिए क्यों जरूरी है। इसी तरह अन्य टीके बच्चों में होने वाले पोलियो, खसरा एवं रूबेला , निमोनिया, डायरिया, हैपेटायटीस-बी, गलाघोंटू, काली खांसी, दिमागी बुखार एवं टीटनेस जैसे कई गंभीर रोगों से भी टीकाकरण बचाव करता है एवं शिशु मृत्यु दर में काफी कमी लाता है। इसलिए शिशु के पैदा होने के बाद माता-पिता इस बात को सुनिश्चित करें कि उनके बच्चे का पूर्ण टीकाकरण हो। इसके लिए भारत सरकार भी बहुत कुछ कर रही है। मिशन इन्द्रधनुष के तहत राज्य के हर जिले में सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर सप्ताह में दो दिन टीकाकरण अभियान चलाया जाता है। इस दौरान 5 साल तक के बच्चों को नियमित टीकाकरण सारणी के अनुसार टीका लगाया जाता है। तो आप भी पीछे न रहें और जन्म के बाद अपने बच्चे का पूर्ण टीकाकरण करवाएं।
Source: National Health Portal, (NHP India)
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