गर्भाशय कैंसर कैंसर का ऐसा प्रकार है जिससे लाखों महिलायें प्रभावित हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो विश्व के प्रतिवर्ष 1 लाख कैंसर रोगियों में से 18 प्रतिशत रोगी भारत में होते हैं। महिलाओं को होने वाले कैंसर में 40 प्रतिशत भागीदारी मुख, गर्भाशय व स्तन कैंसर की होती है। हालांकि यह बहुत ही खतरनाक बीमारी है और इसके लक्षण तब दिखते हैं जब यह खतरनाक हो जाती है। लेकिन इसके निदान और उपचार के लिए कई तरह के अध्ययन किये गये। पैप स्मीयर के साथ नये टैंपून की खोज ने इसके निदान को आसान कर दिया है। इस लेख में विस्तार से कैसे टैंपून कैसे कैंसर की जांच में मदद करता है।
शोध के अनुसार
कैंसर के निदान और उपचार के लिए नित नये शोध हो रहे हैं, और इससे सफलता भी मिल रही है। गर्भाशय कैंसर के उपचार को आसान बनाने के लिए मायो क्लीनिक ने टैंपून का सहारा लिया है, यह ट्यूमर में होने वाले डीएनए के परिवर्तन को पहचान सकता है। दरअसल कैंसर की पहचान के लिए टैंपून को 2004 से कारगर माना जा रहा है।
इसके बारे में विस्तार से जांच करने के लिए मायो क्लीनिक ने 10 साल तक अध्ययन किया। इसके लिए उन्होंने 66 महिलाओं पर अध्ययन किया। इन सभी महिलाओं को एंडोमेट्रियल कैंसर था और इनमें से 38 महिलाओं की सर्जरी भी हो चुकी थी, इसके अलावा 28 कैंसर के शुरूआती चरण में था। अध्ययन के दौरान इन महिलाओं के गर्भाशय में टैंपून डाला गया जो कि योनि में होने वाले स्राव के विश्लेषण कि लिए था।
क्या निकला परिणाम
इस अध्ययन में का परिणाम सबके लिए चौंकाने वाला था, क्योंकि योनि में होने वाले स्राव से यह निर्धारित हो गया था कि महिला को गर्भाशय कैंसर है। यानी टैंपून डालने के बाद यह निदान हुआ कि महिला एंडोमेट्रियल कैंसर से ग्रस्त है। टैंपून के जरिये सटीक निदान हुआ। यह पारंपरिक टेस्ट से अलग था और इसके द्वारा जांच के जो भी परिणाम मिले वो एकदम सही थे।
दूसरी संबंधित जांच
गर्भाशय कैंसर का पता लगाने के लिए एक जांच होती है जिसे 'पैप स्मीयर टेस्ट' कहा जाता है। इसके लिए गर्भाशय मुख की कोशिकाओं का सूक्ष्म नमूना लिया जाता है। इस नमूने का सूक्ष्मदर्शी यंत्र द्वारा अध्ययन करने पर असामान्य कोशिकाओं का पता लगाया जाता है। जिनके परीक्षण से संबंधित कैंसर का पता लग जाता है। इस टेस्ट में कोई दर्द या तकलीफ भी नहीं होती है तथा अधिक समय भी नहीं लगता है।
कब करायें ये टेस्ट
पैप स्मीयर टेस्ट महिलाओं को कैंसर होने से 4-5 वर्ष पहले ही कैंसर की चेतावनी देकर आगाह कर देती है। कैंसर की प्रारंभिक अवस्था हो या उससे पूर्व की स्थिति सबका आसानी से पता लग जाता है जिससे कि उपचार में काफी हद तक सुविधा मिलती है। वैसे तो प्रतिवर्ष यह टेस्ट कराना चाहिए। लेकिन यदि लगातार जांच कराने पर यदि 3 वर्ष तक नतीजे सामान्य आए तो इस टेस्ट को 2 साल के अंतराल पर भी कराया जा सकता है।
पैप स्मीयर की जगह टैंपून का प्रयोग बहुत फायदेमंद और बेहतर माना गया है। यह गर्भाशय कैंसर के बारे में सही जानकारी प्रदान करता है।