
दुनियाभर के खाद्य पदार्थों में इस्तेमाल होने वाले आर्टिफिशल स्वीटनर (एस्पार्टेम) को जल्द ही कैंसर पैदा करने वाले कारकों की लिस्ट में शामिल किया जा सकता है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिसर्च एजेंसी (इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर - आईएआरसी) के द्वारा इस बात का खुलासा किया गया है। कोका-कोला, च्वुइंगम और अन्य पॉपुलर चीजों में एस्पार्टेम स्वीटनर का उपयोग किया जाता है। ऐसे में एस्पार्टेम का इस्तेमाल करने वाले कारोबारियों को स्वीटनर का कोई नया विकल्प तलाश करना पड़ सकता है।
एस्पार्टेम का इस्तेमाल कब से किया जा रहा है?
सॉफ्ट ड्रिंक में एस्पार्टेम का उपयोग 50 से अधिक वर्षों से किया जा रहा है। वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने 1981 में एस्पार्टेम को मानव उपयोग के लिए मंजूर दी थी। इसके बाद पांच बार इस विषय पर समीक्षा की गई। भारत सहित 90 से ज्यादा देशों ने इसके उपयोग की मंजूरी दी है। करीब 95 प्रतिशत कार्बोनेटेड सॉफ्ट ड्रिंक में स्वीटनर के लिए एस्पार्टेम का उपयोग किया जाता है।
WHO ले सकता है कोई बड़ा फैसला
रॉयटर्स के अनुसार, इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर की WHO के साथ जुलाई में एक बैठक हो सकती है। जिसमें एस्पार्टेम के उपयोग को व्यक्तियों के लिए कैंसरकारी चीजों की लिस्ट में शामिल किया जा सकता है।
आर्टिफिशियल स्वीटनर पर WHO की क्या है राय
कुछ दिनों पहले डब्लूएचओ ने आर्टिफिशल स्वीटनर के बढ़ते खतरे को देखते हुए एक गाइडलाइन जारी की थी। इस गाइडलाइन में कहा गया था कि इसका उपयोग करने फैट कम करने पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। कुछ लोगो में इसके उपयोग से से हार्ट संबंधी रोग और डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है। इसके अलावा आर्टिफिशियल स्वीटनर मेटाबॉलिज्म को भी धीमा करने का काम कर सकता है। इससे व्यक्तियों को कई अन्य समस्याएं होने का खतरा रहता है।
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कोल्ड ड्रिंक पीने से सेहत को हो सकते हैं ये नुकसान
- ब्लड शुगर बढ़ने की समस्या हो सकती है।
- कोल्ड ड्रिंक की वजह से पाचन क्रिया प्रभावित हो सकती है। इसके सेवन से पाचन क्रिया धीमी हो जाती है।
- इसे नियमित पीने से दांतों पर सेंसेटिविटी और कैविटी होने की संभावना बढ़ सकती है।
- इसके सेवन से कि़डनी के कार्य प्रभावित होते हैं।
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