अल्जाइमर आमतौर भूलने की बीमारी है। अमूमन 60 वर्ष की उम्र के आसपास होने वाली इस बीमारी का फिलहाल कोई स्थायी इलाज नहीं है। इस बीमारी का पता इसके कुछ संकेतों से ही जाना जा सकता है। अल्जामर रोगियों की बढ़ती संख्या दुनिया भर के वैज्ञानिकों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। हालांकि दुनियाभर के वैज्ञानिकों द्वारा अल्जामर को नष्ट करने का प्रयास जारी है। इसी क्रम में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने अपनी खोज में बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए एक उम्मीद की किरण जगा दी है।
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बढ़ रहा है अल्जाइमर का खतरा!
वैज्ञानिक रिसर्च के मुताबिक, अमेरिका में करीब 5 million लोग अल्जाइमर के रोगी हैं। जिन्हें भूलने की बीमारी है और साथ ही साथ इससे जुड़ी समस्याओं से पीडि़त हैं। जानकारों का कहना है कि अमेरिका में हालत ये है कि 2050 तक वहां ये रोगी बढ़कर 16 million हो जाएंगे। इसका मतलब ये है कि हर एक सेकण्ड में एक आदमी इस बीमारी की चपेट में आता है। हालांकि अभी ऐसा कोई टेस्ट नहीं था जिससे अल्जाइमर के बारे में पता चल सके। इसे पहचानने के लिए अभी तक सिर्फ हमें इसके लक्षणों पर ध्यान देना पड़ता था। लेकिन खुशखबरी ये है कि अब इस बीमारी को मात देने के लिए न्यू टेस्ट यानी जांच की नई विधि का अविष्कार हुआ है।
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वैज्ञानिकों ने की नई खोज
अल्जाइमर का इलाज ढूंढ रहे वैज्ञानिकों के हाथ बड़ी कामयाबी लगी है। लॉस एंजेलिस के Cedars-Sinai Medical Center के डॉक्टर्स ने इस बीमारी को पहचानने के लिए आंखों के टेस्ट का नया अविष्कार किया है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अमेरिकी वैज्ञानिकों के मुताबिक, आंखों की मदद से इसका पता लगाना संभव है। रेटिना से जुड़े ऊत्तकों का विश्लेषण करने से यह सफलता मिली है। अल्जाइमर की स्थिति में आंखों के इस हिस्से में खतरनाक प्रोटीन का संग्रह होने लगता है। इसके अलावा सूजन या जलन की समस्या भी सामने आती है। इस प्रोटीन के जहरीला होने की स्थिति में ब्रेन सेल्स नष्ट होने लगते हैं।
संकेत दिखें तो रहें तैयार
अल्जाइमर याददाश्त खोने का सबसे सामान्य रूप है। इसके कारण अन्य बौद्धिक गतिविधियां कम होने लगती है, जिसका असर आपके प्रतिदिन के जीवन पर पड़ता है। इसमें अगर याददाश्त खोना, सामान्य कामकाज करने में कठिनाई, समय और स्थान में असमन्वय, निर्णय लेने में कठिनाई, व्यक्तित्व में बदलाव आदि समस्याएं अगर दिखें तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
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