किसी पदार्थ में अम्ल या क्षार के स्तर को मापने की इकाई को पीएच कहा जाता है, और एल्केलाइन डाईट अर्थात क्षारीय भोजन से हमारे शरीर का पीएच प्रभावित होता है। जैसा कि पीएच का संतुलन और असंतुलन शरीर पर क्रमशः ख़राब और अच्छा प्रभाव डालता है, पीएच का संतुलित रहना शरीर के लिए बेहद ज़रूरी होता है। ऐल्कलाइन डाइट का हमारे शरीर पर कई प्रकार से प्रभाव होता है, जिसमें आच्छा व बुरा दोनों ही शामिल हैं। तो चलिये जानें ऐल्कलाइन डाइट के फायदे और कमियां क्या हैं।
ऐल्कलाइन डाइट के पीछे सिद्धांत खाने के तरीके को ठीक कर पीएच संतुलन का करना है। इसके अंतर्गत मांस, डेयरी प्रोडक्ट, मिठाई, कैफीन, एल्कोहॉल, कृत्रिम और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ से परहेज तथा अधिक ताजा फल और सब्जियों तथा नट्स और बीजों का सेवन आता है। लेकिन यहां बात खत्म नहीं होती, ऐल्कलाइन डाइट के भी कुछ फायदे और कमियां होती हैं। लेकिन इन फायदे और कमियों पर बात करने से पहले हमें पीएच और इसकी कार्यप्रणाली को समझना होगा।
पीएच और इससे जुड़े तथ्य
पीएच किसी पदार्थ में अम्ल या क्षार के स्तर को मापने वाली इकाई होती है। शरीर में सात से कम मूल्य अम्ल का व सात से ऊपर मूल्य क्षार (एल्काई) का संकेत देता है। गौरतलब है कि खुद क्षार एक ऐसा रसायन है जो अम्ल के साथ अभिक्रिया करने पर लवण बनाता है। क्षार का पीएच मान सात से अधिक होता है।
शरीर में अधिकांश रोगों की शुरुआत अम्ल और क्षार के असंतुलन से होती है। यदि इसको संतुलित कर लिया जाए तो रोग ख़तम भी हो जाते हैं। इंसान के शरीर में लगभग 80 प्रतिशत क्षार तथा 20 प्रतिशत अलम होता है। जब यह अनुपात बिगड़ जाता है तो रोग शरीर को घेरने लगते हैं। इस अनुपात को सही रख कर शरीर को स्वस्थ रखा जा सकता है। अधिकतर खाद्य पदार्थों जैसे, नींबू, संतरा पत्तेदार सब्ज़ियां, नारियल, अंकुरित अनाज, खजूर, अंजीर व कुछ अन्य मेवा आदि में क्षार पाया जाता है। वहीं अंडे, मांस, पनीर, मख्खन, पका हुआ भोजन, चीनी व इससे बने पदार्थ, कॉफी, चाय, मैंदा, नमक चॉकलेट, तंबाकू, सोड़ा, वेजिटेबल ऑयल, एलेकोहॉल, तेल से बनी चीजें आदि में अम्ल अधिक होता है।
क्षारीय खुराक इस बुनियादी सिद्धांत या मत पर टिकी हुई है कि जैसे जैसे हम अम्लीय प्रकृति के भोजन का अधिक मात्रा में सेवन करने से उसी अनुपात में सेहत के लिए उलझाव और परेशानियां भी बढती चली जातीं हैं।
ऐल्कलाइन डाइट के लाभ
ऐल्कलाइन डाइट का सारा संकेन्द्रण शरीर के पीएच स्तर के संतुलन को कायम रखना होता है। हमारा शरीर अम्लीय हो जाने पर बीमारियों का घर बन जाता है और रोग ऐसे में शरीर को घेर लते हैं। विशेषज्ञ भी इस खुराक की सिफारिश करते हैं क्योंकि इसे नियमित रूप से लेना आसान होता है। कोशिकाओं को सुचारू रूप से काम करने योग्य बनने के लिए शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर कर इसे डीटॉक्स करना बेहद ज़रूरी होता है और ऐल्कलाइन डाइट ऐसा करने में कारगर होती है। इसके अलावा ऐल्कलाइन डाइट जबड़ों को यथा स्थान सुदृढ़ बनाए रखने में सहायक होती है और दर्द के एहसास को घटाती है। यह डाइट बुढापे बुढ़ाने की रफ़्तार को भी कम करती है। यह खाने के उचित पाचन में भी मददगार होती है। कुल मिलाकर आपको एक स्वस्थ और छरहरी काया देने में ऐल्कलाइन डाइट बड़े काम की होती है।
ऐल्कलाइन डाइट की कमियां
ऐल्कलाइन डाइट के बारे में अनुसंधान सीमित ही हैं। कई स्वास्थ्य विशेषज्ञ ऐल्कलाइन डाइट को पूरी तरह से अनावश्यक बताते हैं, क्योंकि हमारा शरीर स्वतः ही स्वाभाविक रूप से पीएच संतुलन बनाए रखने के लिए बना होता है। हालांकि इस विषय पर पर्याप्त शोध नहीं हुए हैं। दी जर्नल ऑफ़ एनवायर्नमेंटल एंड पब्लिक हेल्थ की 2012 की रिपोर्ट में पूर्व में प्रकाशित अध्ययनों की समीक्षा की और मूल रूप से मिश्रित निष्कर्ष दिया था।
बात अगर ऐल्कलाइन डाइट की मदद से मोटापा कम करने की हो तो इसके साथ एक और शंका भी है, कि हो सकता है कि आप ऐल्कलाइन डाइट के साथ अपना वजन कम कर ही ना पाएं। आप ऐसे कई लोगों को देख सकते हैं जो शाकाहारी हैं और स्वच्छ आहार आपनाने के बाद भी वज़न कम नहीं कर पाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि आमतौर पर वे ऐल्कलाइन डाइट के साथ अति कर देते हैं। और दुर्भाग्यवश जब कभी भी आप अपने शरीर की ज़रूरत से अधिक किसी भी चीज़ को करते हैं तो शरीर उसे ठीक से गर्हण नहीं कर पाता है। वड़न कम करने के लिए केवल ख़राब भोजन बंद करना व बेहतर आहार लेना कफी नहीं होता है, इसके लिए आपको अपने शरीर की आवश्यकताओं के हिसाब से खाने की ज़रूरत होती है, ना ही कम और ना ही ज़्यादा।
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