इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देती है एडीए की कमी, 6 महीने की उम्र से पहले ही दिखाई देने लगते हैं इसके लक्षण

क्या आपने कभी शिशुओं में होने वाली एडीए की समस्याओं के बारे में सुना है? अगर नहीं, तो चलिए आज जानते हैं आखिर क्या है एडीए की कमी
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इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देती है एडीए की कमी, 6 महीने की उम्र से पहले ही दिखाई देने लगते हैं इसके लक्षण

शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने से व्यक्ति कई बीमारियों का शिकार हो जाता है। प्रतिरक्षा प्रणाली कई कारणों से कमजोर हो सकती है, इसमें से एक कारण है एडीनोसिन डेमिनमिनस सीवियर कंबाइंड इम्यूनोडेफिशिएंसी (एडीए की कमी)। यह एक अनुवांशिक समस्या है। इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली इतनी ज्यादा कमजोर हो जाती है कि वह मामूली से संक्रमण से लड़ने में असमर्थ होता है। ये सीवियर कंबाइंड इम्यूनोडेफिशिएंसी (एससीआईडी) का सामान्य कारण होता है। एक्सपर्ट के अनुसार, एडीए के अधिकांश मामलों में इसके लक्षण 6 महीने की उम्र से पहले दिखाई देने लगते हैं। यह एक बहुत ही गंभीर समस्या साबित हो सकती है। क्योंकि यह बहुत ही कम उम्र में लोगों को अपना शिकार बना लेती है। हालांकि, इसका इलाज संभव है, इसलिए घबराने की बात नहीं है।

विशेषज्ञों की मानें तो अगर समय रहते इसके लक्षणों को पहचान लिया गया, तो इसका इलाज संभव है। खासतौर पर अगर संक्रमित होने से पहले व्यक्ति का इलाज किया गया, तो इसका इलाज आसान हो जाता है और व्यक्ति अपना जीवन लंबा और स्वस्थ जी सकता है। वहीं, अगर इस बीमारी का इलाज समय से पहने नहीं कराया गया, तो व्यक्ति के शरीर में संक्रमण से लड़ने की क्षमता पूर्णत: खत्म हो जाती है, जो आगे जाकर और अधिक खतरनाक साबित हो सकती है।

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एडीए-एससीआईडी के लक्षण

यह बीमारी शिशुओं को होती है। इस बीमारी के लक्षण 6 महीने की उम्र से ही दिखने लगते हैं। इस बीमारी से प्रभावित शिशु के शरीर में संक्रमण विभिन्न हिस्सों में फैल जाते हैं। ऐसे में उनके लक्षणों को पहचानकर तुरंत डॉक्टर्स से संपर्क करें। शिशु के मुंह, कान, नाक, स्किन, फेफड़े और स्किन पर इसके संक्रमण दिख सकते हैं। 

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शिशुओं के शरीर के इन हिस्सों में संक्रमण दिखना आम बात है, लेकिन अगर आपको इस तरह के लक्षण दिखे, तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं। गंभीर और लंबे समय तक दिखने वाले ये लक्षण शिशु के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं।

एडीए-एससीआईडी के कारण

यह एक अनुवांशिक समस्या है। यह बीमारी माता-पिता के जीन खराब होने के कारण शिशु को कहती है। जीन में खराबी के कारण एडीए की कमी होती है। शरीर मेंं ये जीन कोशिकाओं के अंदर होते हैं। जो खासकर व्हाइट ब्लड कोशिकाओं (लिम्फोसाइट्स) में पाया जाता है। लिम्फोसाइट्स इम्यून सिस्टम का सबसे अहम हिस्सा होती है। यह हमारे शरीर को बैक्टीरिया से बचाता है। 

कैसे होता है एडीए-एससीआईडी?

  • इस समस्या के इलाज के लिए डॉक्सर सबसे पहले मौजूदा संक्रमण के इलाज के लिए एंटीबायोटिक, एंटीवायरस और एंटीफंगल की दवाइयां देते हैं। 
  • इसके अलावा संक्रमण से बचाव के लिए एंटीबायोटिक्स दवाइयां देते हैं।
  • एस बीमारी से पीड़ित शिशु को अस्पताल के अलर कमरे में कुछ समय के लिए बिताना पड़ता है। हालांकि, शिशु के साथ माता-पिता रह सकते हैं। हालांकि, ऐसा करने से शिशु ठीक नहीं होते हैं, लेकिन एंजाइम रिप्लेसमेंट थेरेपी (ईआरटी) इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूर करने का काम करती है। इससे संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है। इसके अलावा प्रभावित शिशु को इंजेक्शन दिया जाता है।

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