एक्‍यूट इनवेसिव फंगल साइनसाइटिस और इसका उपचार

एक्‍यूट इनवेसिव फंगल साइनसाइटिस एक प्रकार की गंभीर समस्‍या है, यह कवक के संक्रमण के कारण होती है, सर्जरी के जरिये इसका उपचार किया जाता है।
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एक्‍यूट इनवेसिव फंगल साइनसाइटिस और इसका उपचार

एक्‍यूट इनवेसिव फंगल साइनसाइटिस ऐसी बीमारी है जो कवक के संक्रमण के कारण होती है और हर साल लाखों लोग इसकी चपेट में आते हैं। इनवेसिव फंगल साइनस संक्रमण के दो प्रकार होते हैं - एक्‍यूट यानी तीव्र और क्रोनिक यानी जीर्ण।

एक्‍यूट इनवेसिव फंगल साइनस संक्रमण अधिक गंभीर समस्‍या है। इसकी गिरफ्त में अधिकतर ऐसे लोग आते हैं जिनका प्रतिरक्षा तंत्र यानी इम्‍यून सिस्‍टम कमजोर होता है। दरअसल कवक हमारे शरीर में मौजूद होते हैं और अगर प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाये तो यह तुरंत प्रभावी हो जाते हैं। यह बड़ी तेजी से रक्‍त वाहिकाओं, आंखों के पास, और केंदीय तंत्रिका तंत्र के आसपास फैलते हैं। यह बहुत ही गंभीर समस्‍या है और इसके कारण मौत भी हो सकती है।

कवक संक्रमण सांसों के जरिये मुंह और नाक के रास्‍ते शरीर में प्रवेश करते हैं, अगर एक बार कवक आपके शरीर में प्रवेश कर जाये तो बिना किसी सहायता के ये शरीर में हमेशा के लिए जीवित रहते हैं और इम्‍यून सिस्‍टम कमजोर होने के साथ ही ये हमला भी कर देते हैं।
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इनवेसिव फंगल के लक्षण

दोनों प्रकार के साइन संक्रमण के लक्षण लगभग एक जैसे होते हैं। चेहरे पर सूजन और दर्द, शरीर के अन्‍य हिस्‍सों में दर्द और सूजन, खून का थक्‍का बनना, रक्‍त का स्राव होने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। कुछ लोगों में ये लक्षण सामान्‍य न होकर गंभीर हो सकते हैं और इसके कारण मरीज की स्थिति बहुत गंभीर हो सकती है। इसके अलावा खांसी, बुखार, सिरदर्द, दिमागी उलझन, दिखने में समस्‍या आदि इसके अन्‍य लक्षण हैं।

 

इनवेसिव फंगल का निदान

ऊपर दिये गये लक्षण में से अगर आप किसी से ग्रस्‍त हैं तो उसी आधार पर चिकत्‍सक आपका परीक्षण करेगा और इन परीक्षणों के नतीजे इस बीमारी के बारे में बतायेंगे।

 

इनवेसिव फंगल का उपचार

एक्‍यूट इनवेसिव फंगल साइनसाइटिस एक गंभीर समस्‍या है इसका निदान होने के तुरंत बाद चिकित्‍सक सर्जरी के जरिये इससे संक्र‍मित ऊतकों को निकालते हैं। सर्जरी के जरिये सभी मृत और संक्रमित ऊतकों को निकाला जाता है।

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मिनिमली इनवैसिव सर्जरी

इनवेसिव फंगल साइनसाइटिस से संक्रमित ऊतकों को निकालने के लिए सीधे तौर पर इंडोस्‍कोपिक इंडोनजल एप्रोच (ईईए) का प्रयोग किया जा सकता है। इस तरीके की सर्जरी में चीर-फाड़ की जरूरत नहीं पड़ती, इसमें नाक के जरिये सर्जरी की जाती है। इसे एक तरह की प्राकृतिक सर्जरी भी मानी जाती है क्‍योंकि इसमें चीरा नहीं लगता।


ईईए तकनीक से न तो चीरा लगता है और न ही इसके कारण त्‍वचा में कोई दाग पड़ते हैं और सर्जरी के बाद बहुत जल्‍दी मरीज को आराम भी मिल जाता है।

image source - getty images

 

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