भागदौड़ और बदलती जीवनशैली के कारण स्वास्थ्य समस्याएं तेजी से बढ़ती जा रही हैं, एसिडिटी भी उनमें से एक है। लोग मानते थे कि बच्चों को यह समस्या नहीं होती, लेकिन आजकल अधिकतर स्कूली बच्चे एसिडिटी का शिकार हो रहे हैं। इस लेख में हम आपको विस्तार से बता रहे हैं, बच्चों में एसिडिटी के क्या कारण हैं व इसका उपचार कैसे किया जाए।
एसिडिटी एक आम समस्या है परीक्षा के दिनों में देर रात तक जाग कर पढ़ना या फिर टीवी और कंप्यूटर में बढ़ती दिलचस्पी आउटडोर गेम्स के प्रति अरुचि और बहुत सारे जंक फूड के सेवन से अकसर बच्चों को एसिडिटी की समस्या हो जाती है। और यकीन मानिये यदि सही समय पर उपचार न किया जाए तो यह समस्या गंभीर रूप धारण कर सकती है।
दरअसल हमारे फूड पाइप के ठीक नीचे खाने की थैली होती है, जिसे स्टमक (पेट) कहते हैं। इसकी भीतरी दीवारों की कोशिकाओं से हाइड्रोक्लोरिक एसिड निकलता है। यह पाचन तंत्र की स्वाभाविक और नियमित प्रक्रिया होती है। यह हाइड्रोक्लोरिक एसिड ही हमारे भोजन को पचाने का काम करता है। लेकिन कई बार हमारा पेट जरूरत से अधिक मात्रा में एसिड बनाने लगता है, जिसकी वजह से एसिडिटी की समस्या होती है। यही नहीं कई बार एसडिटी के कारण बच्चों के गले में संक्रमण भी हो सकता है।
बच्चों में एसिडिटी के कारण
युवाओं और बच्चों में तेजी से बढ़ रही इस बीमारी के लिए चिकित्सक बदलती दिनचर्या को बड़ा कारण मानते हैं। अक्सर स्कूल जाने वाले बच्चों को सुबह नाश्ता जल्दी करना पड़ता है, जो समय की कमी के चलते वे ठीक से नहीं करते हैं। साथ ही लंबे अंतराल के बाद दोपहर के खाने का नम्बर आता है, और जब लंच का समय आता है तो वे लंच बॉक्स से खाने की जगह कैंटीन से लेकर खाना ज्यादा पसंद करते हैं।
एक्पर्ट बताते हैं कि, “यह देखा गया है कि ज्यादातर मांएं बच्चों को भूख बढ़ाने वाले भोजन देती हैं जैसे भुना हुआ कटलेट या पैकेट बंद चिप्स आदि। जिसकी वजह से आप रेशेयुक्त भोजन की जगह अत्यधिक कैलोरी वाला भोजन करने लगते हैं। और इस भोजन से बच्चों में मोटापा और एसिडिटी की समस्या बढ़ जाती है। एसिडिटी के लिए अवसाद की भी बड़ी भूमिका होती है। लगातार डकार आना और पेट में जलन होना ही हमेशा एसिडिटी के लक्षण नहीं होते, बच्चों के गले में बार-बार संक्रमण की वजह भी एसिडिटी हो सकती है।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि टांसिल के हिस्से में रक्त का प्रवाह तेज हो जाता है और इसकी वजह से बच्चे छाती के हिस्से में खाना फंसे होने की शिकायत करते हैं। एसिडिटी की वजह से कभी कभी उल्टी के साथ हल्का खून भी आ सकता है।
एसिडिटी का उपचार
पित्त को बढ़ाने वाले अन्न (अधिक मिर्च-मसाले वाले पदार्थ, अत्यधिक मद्यपान, नवीन चावल आदि) के अधिक सेवन करने से एसिडिटी होती है। इसलिए एसिडिटी को दूर करने के लिए सबसे पहले आपको अपने बच्चों को या खुद को भी अधिक मिर्च मसाले, अधिक घी, तेल अधिक मांस, अंडा जैसे भोजन का सेवन बंद करना होगा। नीचे एसिडिटी के लिए कुछ ऐसी ही उपचार दिये जा रहे हैं।
- एसिडिटी होने पर पुदीने का जूस बहुत फायदा पहुंचाता है, इसलिए बच्चे को पुदीने का जूस दें।
- खाली पेट नारियल पानी पीने से एसिडिटी में आराम होता है। लगातार एसिडिटी होने पर 2 से 3 महीनों तक रोजाना नारियल का पानी पीने से एसिडिटी की बिमारी को दूर किया जा सकता है।
- फालसे खाने या इसका जूस पीने से भी एसिडिटी को खतम किया जा सकता है। यही नहीं यह पाचन तन्त्र को भी मजबूत बनाता है।
- लौकी का जूस पीने से एसिडिटी की समस्या ठीक होती है। लेकिन ध्यान रखें की कड़वी लौकी का जूस न पियें।
- केला के नियमित सेवन से भी एसिडिटी में काफी राहत मिलती है।
- खीरे भी एसिडिटी में बहुत लाभ पहुंचाता है। 2 महीनों तक रोजाना खीरा खाने से एसिडिटी में काफी सुधार होता है।
- गुड और किशमिश का सेवन करने से एसिडिटी में तुरंत आराम मिलता है।
- बच्चे को शारीरिक रूप से अधिक सक्रिय बनायें। शाम को बच्चे के साथ पार्क में टहलने जाएं। दिन भर कंप्यूटर या टीवी के सामने बैठे रहने से भी बच्चों को इस तरह की परेशानी हो सकती है।
तीन-चार सप्ताह में एक बार एसिडिटी होना आम बात है, लेकिन यदि यह समस्या रोज आपकी दिनचर्या को बिगाड़ रही है तो बिना देरी किये चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
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