यूट्रस की समस्या अब काफी आम हो गई है। आजकल चाहे शादीशुदा महिला हो या फिर किशोर अवस्था दोनों ही स्तर की महिलाओं को इस परेशानी से गुजरना पड़ रहा है। इसके लिए खानपान और रहन सहन भी एक कारण हो सकता है। आमतौर पर महिलाओं के गर्भाशय में सूजन तब होता है जब उसका मेनोपॉज होने वाला होता है। लेकिन गर्भधारण के समय भी महिलाओं के गर्भाशय में सूजन हो सकता है। महिलाओं में 50-55 साल की उम्र की में सूजन तब आती है जब मेनोपॉज का समय करीब हो जाए यानि पीरियड्स बंद होने वाले हो लेकिन पीसीओएस (PCOS) की समस्या है तो उसे भी सूजन हो सकती है।
गर्भाश्य में कैंसर
गर्भाशय की अंदरूनी परत को एंडोमेट्रियम कहते हैं। इसी एंडोमेट्रियम की कोशिकाएं जब असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं, तो ये एंडोमेट्रियल कैंसर का कारण बनती हैं। एंडोमेट्रियल कैंसर खतरनाक है क्योंकि इसके कारण महिलाओं में मां बनने की क्षमता हमेशा के लिए खत्म हो सकती है। इसके अलावा ये कई अन्य परेशानियों का भी कारण बन सकता है। एंडोमेट्रियल कैंसर को ही गर्भाशय का कैंसर या बच्चेदानी का कैंसर भी कहा जाता है।
अगर आपको पीरियड्स के अलावा भी अचानक से ब्लीडिंग होती है या खून के अलावा आपकी योनि से किसी भी तरह का लिक्विड डिस्चार्ज हो रहा है, तो ये एंडोमेट्रियल कैंसर का लक्षण हो सकते हैं। ऐसे में आपको जांच करवाना जरूर है। इसके अलावा आपके पीरियड का चक्र लगातार बदल जाना, मेनोपॉज के बाद भी ब्लीडिंग होना भी एंडोमेट्रियल कैंसर के शुरुवाती लक्षण हैं। ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत गायनकोलॉजिस्ट के पास जायें।
बता दें कि लाइफस्टाइल से इस पर सीधा असर पड़ता है। बाहर का तला हुआ अनहैल्दी खाना, फिजिकल एक्टिविटी न करना और काम का स्ट्रेस, ये सब चीजें गर्भाश्य की रसोलियां और सूजन पैदा करती हैं। जिससे पीरियड्स में भी परेशानी होनी शुरू हो जाती हैं। यह बांझपन या यूट्रस कैंसर जैसी बीमारी का खतरा बना सकती है, जिसे गर्भाशय फाइब्रॉइड कहते हैं।
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गर्भाश्य में सूजन के कारण
गर्भाश्य के आकार में बदलाव होने के अलावा गर्भाश्य में सूजन होने के और भी कई लक्षण दिखायी देते हैं। लेकिन आमतौर पर गर्भाश्य में सूजन के लक्षण इसके कारणों पर ही निर्भर होते हैं। सूजन के समय महिलाओं को पेट में ऐंठन होने लगती है, मासिक धर्म असामान्य होना यानि दर्द के साथ अधिक ब्लीडिंग होना, पेट के निचले हिस्से में कुछ भारीपन महसूस होना, शरीर कमजोर होना और शरीर पीला पड़ना, कमर के आसपास के हिस्सों पर अधिक चर्बी जमना, पैरों में दर्द, ऐंठन और सूजन होना और सेक्स के दौरान बहुत तेज दर्द होना।
डाइट और व्यायाम
सेहतमंद गर्भाश्य के लिए जरूरी है भरपूर डाइट और रोजाना व्यायाम करना बहुत जरूरी है। शारीरिक रूप से एक्टिव न रहना, एक्सरसाइज न करने से गर्भाशय और दूसरे हिस्सों में खून सही तरीके से नहीं पहुंच पाता। शारीरिक सक्रियता की कमी के कारण गर्भाश्य की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। इसलिए रोजाना 30 मिनट तक व्यायाम करें या फिर पैदल चलें। योग भी गर्भाश्य की मांसपेशियों को लचीला और शक्तिशाली बनाए रखने में कारगर है। इसके अलावा पौष्टिक भोजन लें और तनाव न लें।
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उपाय
गर्भाश्य में सूजन के लिए वैसे तो डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है, लेकिन आप घरेलू नुस्खे भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे आपकी सूजन में भी फर्क नजर आएगा।
अलसी के बीज
आप अलसी के बीजों का इस्तेमाल कर स्वस्थ रह सकते हैं। आप पीसी हुई अलसी के बीज को दूध में उबालकर पी सकते हैं। इसको आप रात में सोने से पहले पिएं।
हल्दी वाला दूध
आप दिन में दो बार हल्दी वाला दूध पिएं। इसके अलावा आप बादाम का दूध भी पी सकते हैं।
नीम के पत्ते
आप अपने यूट्रस को स्वस्थ रखने के लिए नीम के पत्तों का इस्तेमाल कर सकते हैं। आप नीम के पत्ते और सोंठ को पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं। आप दिन में एक बार इसका सेवन जरूर करें।
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मुलेठी का पॉउडर
आप मुलेठी के पॉउडर को भी पानी में डालकर पी सकते हैं।
इन सबके अलावा जब भी बच्चेदानी में सूजन की समस्या हो फलों के रस का सेवन ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए। इसके साथ ही आप सब्जियों के रस का भी सेवन कर सकती हैं। इससे बच्चेदानी के सूजन से रहत मिलेगी।
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