आयुर्वेद के अनुसार जानें कुंकुम (कम्पिल्लक) फल के 5 फायदे और प्रयोग का तरीका

कंपिल्लक एक आयुर्वेद फल है। इसके सेवन से कई बीमारियों का इलाज होता है। कंपिल्लक के फल, पत्ते आदि उपयोग में लाए जाते हैं।
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आयुर्वेद के अनुसार जानें कुंकुम (कम्पिल्लक) फल के 5 फायदे और प्रयोग का तरीका


आयुर्वेद में कंपिल्लक के अनेक फायदे बताए गए हैं। यह एक वृक्ष है। जिसके फल आयुर्वेद में औषधीय रूप में प्रयोग में लाए गए हैं। इसके फल छोटे लाल रंग के होते हैं। जैसे गूलर का कच्चा फल होता है। ठीक उसी साइज का कंपिल्लक का लाल फल होता है। कंपिल्लक को कबीला भी कहा जाता है। यह फल बिना सुगंध का, बिना स्वाद का होता है। यह फल कब्ज, घाव, डायबिटीज, कान के रोगों में मददगार होता है। आयुर्वेद में ऐसी अनेक औषधियां हैं जो शरीर के कई रोगों के लिए रामबाण हैं। बस हमें उनका सही उपयोग नहीं मालूम है। दूसरा उनकी पहचान भी नहीं मालूम है, लेकिन जिन लोगों को इन आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों की सही पहचान है, वे इसका ठीक से प्रयोग कर पाते हैं। आप जब भी किसी आयुर्वेदिक उपाय का प्रयोग करें तो बेहतर आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह जरूर ले लें।

कंपिल्लक के विभिन्न नाम 

कंपिल्लक को हिंदी में कबीला, कमीला, अंग्रेजी में मंकी फेस ट्री, रेड बेरी आदि नामों से जाता है। संस्कृत में कंपिल्लक कहा जाता है। अलग-अलग भाषाओं में इसके अलग नाम हैं।

कबीला के फायदे (Benefits of kabila or kampillaka)

1. गले की खराश करे ठीक

मौसम के बदलने के साथ ही गले में खराश की समस्या होने लगती है। खराश होने पर ठीक से बात करने में दिक्कत होती है। बार-बार गले में खिंचाव देना पड़ता है। लेकिन कबीला या कंपिल्लक के सेवन से इस परेशानी से निजात मिलती है। आयुर्वेद में काले जीरे का चूर्ण और कंपिल्लक का चूर्ण मिलाकर लेप बना लें। इसमें थोड़ा घी मिला लें। इस लेप को गले पर लगाने से फायदा मिलता है। आयुर्वेद में इसकी यह विधि बताई गई है। 

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2. पेट में अफरा की समस्या को करे दूर

बहुत से लोगों का खाना ठीक से न पचने के कराण पेट में अफरा हो जाता है। इस परेशानि से निजात दिलाने में भी कंपिल्लक मदद करता है। इसके लिए आयुर्वेद में बताया गया है कि 3 ग्राम कंपिल्ल्क चूर्ण में शहद मिलाकर इसका सेवन करें। इससे पेट साफ होगा और पेट की अन्य परेशानियां भी दूर होंगी। यह बात सच है कि साफ पेट कई रोगों को दूर रखता है। अगर पेट साफ नहीं है तो कई रोगों का जन्म पेट की गड़बड़ी के कारण होता है।

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3. पेट में कीड़े

बच्चों के पेट में अक्सर कीड़े हो जाते हैं। कंपिल्लक का उपयोग पेट के कीड़ों से निजात दिलाता है। कई बार शरीर में किन्हीं पोषक तत्त्वों की कमी से पेट में कीड़े हो जाते हैं। इन कीड़ों को भगाने के लिए 2 ग्राम कंपिल्लक (Benefits of kampillaka) चूर्ण में गुड़ मिलाकर खाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं। बच्चों को इससे आराम मिलता है।

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4. घाव पर असरदार

छोटी-मोटी चोट लगने पर घाव हो जाता है। यह घाव दिखने में तो छोटा होता है पर दुख ज्यादा देता है। इसके दर्द से बचने के लिए जरूरी है कि घाव जल्दी ठीक हो। घाव को भरने में भी कंपिल्लक या कबीला बहुत मददगार है। इसके लिए कंपिल्लक को तेल में पकाने की सलाह दी जाती है। इस तेल को घाव पर लगाने से घाव जल्दी भर जाता है। इस तरह से कंपिल्लक के कई फायदे हैं, जो आप निरोगी कर सकते हैं। 

5. सर्दी-जुकाम में फायदेमंद

कंपिल्लक या कबीला का उपयोग सर्दी खांसी जुकाम को भगाने के लिए भी किया जाता है। इसके लिए फल और पत्तों का काढ़ा बनाकर पीना चाहिए। इससे परेशानी में लाभ मिलता है।

यहां कंपिल्लक को लेकर बहुत ही साधारण जानकारी दी गई है। अगर आपका औषधीय लाभ उठाना चाहते हैं तो किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह अवश्य लें। आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का फायदा तभी मिलता है जब उनका सही उपयोग मालूम हो। इसके लिए आयुर्वेद की समझ बनानी जरूरी है।

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