ओमेगा 3 फैटी एसिड पोलीअनसैच्यूरेटेड फैटी एसिड का एक समूह है, जो हमारे शरीर की गतिविधियों के लिए बेहद जरूरी है। ओमेगा 3 फैटी एसिड प्राकृतिक रूप से सैल्मन, टूना और ट्रॉट जैसे सीफूड में पाया जाता है। एक और तरीके का ओमेगा 3 भी होता है, जिसे एएलए कहते हैं, जो कि कुछ सब्जियों, सोया और सफेद सरसों के तेल में पाया जाता है। ओमेगा 3 का सेवन करना बहुत जरूरी है क्योंकि हमारा शरीर खुद से इसे नहीं बना सकता जैसा कि अन्य फैट्स करते हैं। पीले रंग की इस गोलियों का सेवन आपको रोजाना करना चाहिए। इन पीली गोलियों के रोजाना सेवन से आप इन 4 रोगों से दूर रह सकते हैं।
रोजाना ओमेगा 3 का सेवन आपको रखेगा इन 4 बीमारियों से दूर
अवसाद और चिंता से लड़ने में मदद करता है ओमेगा-3
अवसाद और चिंता वर्तमान में सबसे आम मानसिक बीमारियों में से दो हैं। अवसाद के लक्षणों में उदासी, आलस्य और किसी काम में मन न लगना जैसी चीजें शामिल हैं। जबकि चिंता में निरंतर घबराहट जैसी समस्या रहती है। हैरानी की बात ये कि कई अध्ययनों से यह संकेत मिला है कि जो लोग रोजाना ओमेगा 3 का सेवन करते हैं, उनके अवसादग्रस्त या चिंतित होने की संभावना बहुत कम होती है। इसके साथ ही अवसाद और चिंता से पीड़ित लोगों ने ओमेगा 3 का रोजाना सेवन करने के बाद अपने लक्षणों में सुधार की बात भी कही है।
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आपकों आंखों को तेज बनाने का काम करता है ओमेगा 3
जब आपको पर्याप्त डीएचए नहीं मिला पाता तब आपको देखने की समस्या होने लगती है। डीएचए भी एक प्रकार का ओमेगा-3 है। नियमित रूप से ओमेगा-3 का सेवन मैक्यूलर डिजेनेरेशन के जोखिम को कम करता है। इस रोग के कारण कोई भी व्यक्ति स्थायी रूप से आंखों की रोशनी खो सकता है।
बच्चों में एडीएचडी के लक्षणों को कम करता है ओमेगा-3
एडीएचडी (एटेंशन डिफिशिट हाइपरएक्टीविटी डिसऑर्डर) एक व्यवहार विकार है, जो बच्चों में आवेगशीलता, अति सक्रियता और असावधानी पैदा करता है। कई अध्ययनों में पाया गया है कि एडीएचडी का शिकार बच्चों में स्वस्थ बच्चों की तुलना में ओमेगा-3 का लेवल कम होता है। अन्य अध्ययनों में पाया गया कि ओमेगा 3 सप्लीमेंट एडीएचडी के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।
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ऑटोइम्युन डिजिज से लड़ने में मदद करता है ओमेगा-3
ऑटोइम्नुय डिजिज में आपका इम्युन सिस्टम आपके हेल्दी सेल्स को बाहरी सेल्स मानकर उनपर हमला कर देता है। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आपके पैंक्रियाज में इंसुलिन पैदा करने वाले सेल्प पर भी आपका इम्युन सिस्टम हमला करता है, जिसका कारण आप टाइप-1 डायबिटीज का शिकार हो जाते हैं।
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