क्या आप अधिकांश समय पूरी तरह से खुद को स्वस्थ महसूस नहीं करते? तो संभवतः इसके पीछे शरीर में मौजूद टॉक्सिन उत्तरदायी हो सकते हैं। शरीर के लिए हानिकारक किसी भी प्रकार का टॉक्सिन (विष) होता है। अपने शरीर डीटॉक्सीफाई कर आप इसके प्रभावों को दूर कर सकते हैं। शरीर में विषाक्त (टॉक्सिन) होने के कई संकेत मिलते हैं, जिन्हें पहचानने के बाद आप शरीर को डीटॉक्सीफाई कर सकते हैं। आइए ऐसे ही कुछ मुख्य संकेतों के बारे में जानने का प्रयास करें।
अतिरिक्त वजन, जो कम ही नहीं होता
जब आप शरीर से अतिरिक्त वजन कम करने के लिए एक्सरसाइज और कैलोरी कटिंग करते हैं, और फिर भी वजन कम नहीं होता तो इसका कारण आपके शरीर के भीतर के विषाक्त हो सकते हैं। कई विषाक्त पदार्थ लिपोफिलिक (lipophilic) होते हैं, जिसका मतलब है कि वे शरीर की वसा में संग्रहित होते हैं। इन लिपोफिलिक विषाक्त पदार्थों में डाइऑक्सिन, PCBs तथा कई कीटनाशक शामिल होते हैं। जब ये टॉक्सिन्स शरीर में ओवल लोड हो जाते हैं तो अतिरिक्त वजन कम ही नहीं होता।
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अस्पष्टीकृत थकान
यदि आठ घंटे की नींद लेने के बाद भी आप थके हुए उठते हैं तो इसके पीछे शरीम में टॉक्सिक्स का जमावडा एक बड़ा कारण हो सकता है। उच्च विषाक्त भार अपने शरीर पर अतिरिक्त तनाव डालता है, जो अपकी अधिवृक्क ग्रंथियों (adrenal glands) के लिए भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। अधिक विषाक्त के लंबे समय तक रहने से थकान हो सकती है। कुछ विषाक्त पदार्थ तो को सीधे अधिवृक्क समारोह को बाधित कर सकते हैं।
अनिद्रा
जब शरीर में उच्च विषाक्त लोड हो जाता है तो कोर्टिसोल के स्तर में अजीब बदलाव होता है। गौरतलब है कि कोर्टिसोल तनाव से निपटने में मदद करने वाला एक हार्मोन होता है। जब विषाक्त के कारण कोर्टिसोल अनियंत्रित हो जाता है तो नींद बाधित होने लगती है।
अस्पष्ट सोच
एसपारटेम और MSG (मोनोसोडियम ग्लूटामेट) सहित कई विषाक्त पदार्थ सीधे मस्तिष्क को प्रभावित करते हैं। इनके कारण कई बार सोच में अस्पष्टता पैदा हो जाती है। मोनोसोडियम ग्लूटामेट मस्तिष्क कोशिकाओं को उत्तेजित कर उनको नष्ट कर देती है। इसलिए इनका स्तर कम करना चाहिए।
अस्पष्टीकृत सिर दर्द
अगर नियमित रूप से बिना किसी स्पष्ट वजह के आपके सिर में दर्द होता है, तो यह आपके शरीर में टॉक्सिन लोड का संकेत होता है। आम विषाक्त पदार्थ जैसे मोनोसोडियम ग्लूटामेट व एसपारटेम इसका कराण होते हैं। हालांकि इनके अलावा कई और टॉक्सिक जैसे भारी धातुएं, कृत्रिम रंग, और आर्टिफीशियल प्रिजरवेटिव भी सिर दर्द पैदा करते हैं।
मिजाज में बदलाव
यदि आपको जल्दी-जल्दी मूड स्विंग होते हैं तो इसका मतलब है कि आपके हार्मोन संतुलन से बाहर हैं। कुछ विषाक्त पदार्थ, जैसे क्सेनोएस्ट्रोजन्स (xenoestrogens) महिलाओं और पुरुषों में हार्मोन संबंधी असंतुलन पैदा करते हैं। क्सेनोएस्ट्रोजन्स सिंथेटिक कंपाउंड होते हैं जो आपके शरीर में एस्ट्रोजन की तरह काम करते हैं।
शरीर की दुर्गंध
आप दुर्गंध वाली सांस या दुर्गंधयुक्त गैस और दस्त से पीड़ित हैं, तो यह इशारा करते हैं कि शरीर में टॉक्सिन की अधिकता है और जिगर और पेट को विषाक्त पदार्थों को नष्ट करने में कुछ कठिनाई हो रही है। इससे बचने के लिए आपको लिवर की सफाई की जरूरत होती है। इसके लिए आप कॉफी या ऑलिव ऑयल का सेवन कर सकते हैं।
कब्ज
यह हर दिन आपके शरीर से अपशिष्ट को बाहर करना बेहद जरूरी होता है। यदि आप प्रतिदिन मल त्याग नहीं कर रहे हैं, तो इसका मतलब है कि विषाक्त पदार्थ अपके खून में वापस अवशोषित हो रहे हैं, और शरीर को और भी ज्यादा विषाक्त कर रहे हैं। अधिक पानी पीने और फाइबर सेवन बढ़ाने से कब्ज की समस्या से बचा जा सकता है।
मांसपेशियों में दर्द
यदि आप अस्पष्टीकृत मांसपेशियों में दर्द से पीड़ित हैं, तो यह शरी में टॉक्सिनों की अधिकता की और संकेत करते हैं। कुछ विषाक्त पदार्थ मांसपेशियों में ऐंठन और दर्द का कारण बनते हैं। विषाक्त पदार्थों का अपकी मांसपेशियों पर तत्काल प्रभाव हो सकता है या फिर हो सकता है कि यह प्रभाव देर से महसूस हो।
त्वचा की प्रतिक्रियाएं
सामान्यतौर पर आपका लिवर शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर करने यौग्य स्थिति में होना चाहिए। हालांकि लेकिन जब शरीर में बहुत ज्यादा टॉक्सिन इकठ्ठा हो जाते हैं तो लिवर पर अधिक लोड हो जाता है, और त्वचा जिगर की जगह अतिरिक्त विषाक्त पदार्थों को दूर करने की कोशिश करने का प्रयास करने लगती है। जिसके कारण त्वचा पर मुंहासे, चकत्ते या फोड़े हो सकते हैं।
ध्यान रहे कि शरीर को स्वस्थ बनाएं रखने के लिए आवश्यक है कि उससे विषाक्त पदार्थो को बाहर निकाला जाएं। अस्वास्थकर भोजन और अनियमित जीवन शैली के कारण, शरीर में काफी मात्रा में टॉक्सिन जम जाते हैं जो शरीर को कई तरह से नुकसान पहुंचाते हैं। वे लोग जो लोग धूम्रपान या शराब का सेवन अधिक करते हैं, उनके शरीर में टॉक्सिन की मात्रा अधिक होती है, इसके होने से शरीर के अंग खराब हो सकते हैं और अंगों की क्रियाविधि पर भी नकारात्मक असर पड़ता है।