चावल हम भारतीयों के आहार का मुख्य हिस्सा है। दुनिया की लगभग आधी आबादी रोजाना चावल खाती है। यह विटामिन, मिनरल और कार्बोहाइड्रेट का मुख्य स्रोत होता है। लेकिन इसके साथ ही चावल से एक बहुत ही खतरनाक बात भी जुड़ी है। चावल में कई ऐसे तत्त्व भी होते हैं जिनका सेवन हमारे शरीर के लिए खतरनाक हो सकता है।
आर्सेनिक
आर्सेनिक चावल में पाया जाने वाला सामान्य तत्व है। यह पानी और मिट्टी में कुदरती रूप से मिल जाता है। जब चावल पानी के भीतर बड़ा होता है, तब उसमें अन्य अनाज के मुकाबले दस गुना अधिक आर्सेनिक मौजूद होता है। यह धातु चावल के हस्क यानी बाहरी हिस्से में भी पाई जाती है और मिल में प्रक्रिया के दौरान यह हस्क बीज से हटा दिया जाता है। हालांकि ब्राउन राइस में सफेद चावलों की अपेक्षा अधिक आर्सेनिक होता है। इसलिए इसे अपने आहार में शामिल करने से पहले इस दिशा में जरूर सोचें। आर्सेनिक की अधिक मात्रा कई प्रकार के कैंसर, कार्डियोवस्कुलर डिजीज और त्वचा संक्रमण जैसी समस्यायें हो सकती हैं।
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मिनरल ऑयल
चावल को आमतौर पर जूट के कट्टे में पैक किया जाता है, जिसमें मिनरल ऑयल के कण पाये जाते हैं। इस ऑयल की मौजूदगी से जूट की बोरी में लचीलापन बना रहता है। जब चावल को इन बोरों में भरा जाता है, तो यह तेल उनमें भी आ जाता है। इसकी मात्रा इतनी अधिक होती है कि यह स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकती है। चूहों पर किए गए शोधों में यह बात साबित हुई है कि इस अधिक मात्रा से कैंसर होने का खतरा होता है।
बैक्टीरिया से विषैले पदार्थ
एफ्लैक्टॉसिन्स एसेपरगिलस प्रजाति का एक बेहद खतरनाक बैक्टीरिया है। यह अन्न जैसे चावल आदि में पाया जाता है। जब चावल भारी बारिश या नमी में रखे जाते हैं, जो यह बैक्टीरिया चावलों में पनपने लगता है। इससे चावल दूषित होने लगते हैं। आमतौर पर बारिश से खराब हुए चावलों में यह विषैला तत्व पाया जाता है। यह कैंसर का कारण हो सकता है।
सीसा और केडियम
सीसा और केडियम भी चावल में पाए जाते हैं। मिल के चावलों में यह काफी अधिक मात्रा में मिलते हैं। जब ऐसे चावलों को अधिक मात्रा में खाया जाता है, तो शरीर पर इसके बहुत बुरे प्रभाव पड़ते हैं। कुछ कीटनाशकों में केडियम काफी अधिक मात्रा में पाया जाता है, जो मिट्टी में मिलकर बाद में चावलों में भी आ जाता है। अगर सीसे की अधिक मात्रा हमारे शरीर में पहुंच जाये, तो इससे दिमाग के साथ-साथ पाचन क्रिया पर भी असर होता है।
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चूहों का मल
गोदाम में रखे चावलों को चूहे और घूस आदि भी चावल को दूषित कर देते हैं। चूहों के मल-मूत्र से बैक्टीरिया फैलने का खतरा बना रहता है। दूषित चावलों के सेवन से मनुष्यों में संक्रमण का खतरा होता है। चूहों और उनकी प्रजाति के अन्य जानवरों से हैंटावायरस जैसी जानलेवा बीमारी भी फैल सकती है।
पैकिंग मैटीरियल
यह बात तो सभी जानते हैं कि चावलों को पैक करने में अनहाईजीनिक और गलत तरीका अपनाया जाता है। जिससे उनके दूषित होने का खतरा बना रहता है। ऐसे चावलों का सेवन सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। यह तो हम जानते ही हैं कि पैकिंग मेटीरियल प्लास्टिक के बने होते हैं, और उन्हें बनाने में स्याही और गोंद आदि का इस्तेमाल होता है, ये रोशनी, तापमान और नमी के प्रति बेहद कम संवेदनशील होते हैं। इससे चावलों के खराब होने का खतरा बना रहता है। इन पैकिंग मैटीरियल में अधिक समय तक रखे रहने से चावल खराब हो जाते हैं। इन चावलों के सेवन से सेहत को खतरा हो सकता है।
इन सब बातों का मतलब ये नहीं है कि आप चावल का सेवन बंद कर दें। हां, कुछ सावधानी बरतनी जरूरी है। जैसे चावल बनाने से पहले उसे दो से तीन बार धो लें। चावल को अधिक पानी डालकर उबालें और जब वो आधे उबल जाएं तो अतिरिक्त पानी को फेंक दें। चावल खरीदते हुए उसे अच्छे से जांच लें, उसके अंदर कीड़ें, चूहे का मल या अन्य कंकड़ पत्थर न मिले हों।
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