जानिये किन कारणों से बुद्धि दांत नहीं उखड़वाना चाहिए

जबड़े का साइज होने के चलते आजकल अक्ल दाढ़ को बाहर आने के लिए कोई जगह नहीं मिलती। पर्याप्त जगह न होने के कारण अक्ल दाढ़ टेढ़ी या उलटी निकल रही है जिससे लोग बेहद परेशान है। अगर जरूरी ना हो तो इसे निकालने की गलती ना करें, ये जानलेवा हो सकती है।
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जानिये किन कारणों से बुद्धि दांत नहीं उखड़वाना चाहिए


बुद्धि दांत जिसे आम भाषा मे अक्ल की दांढ़ कहा जाता है की बनावट के कारण यह बहुत दर्द देता है। कई लोग इसके दर्द से निजात पाने के लिए इसे उखडवाना ही बेहतर इलाज समझते हैं। लेकिन ये सही नहीं है। हाल ही मे सिडनी मे एक लड़की की बुद्धि दांत का दांत निकलवाने मे कार्डिएक अरेस्ट से जान चली गई। हम सभी जानते है कि दातों का दिल से सीधा संबंध होता है। इसलिए जब तक आवश्यक ना हो इस निकलवाना नहीं चाहिए।

Wisdom tooth in Hindi

बुद्धि दांत निकलवाने से खतरा

बुद्धि दांत को निकलवाने से मसूडों मे इंफेक्शन होने का खतरा रहता है। जब यह दाढ़ निकलती है तो कुछ गंभीर मामलों में इसके चारों तरफ के मसूड़े में संक्रमण हो जाता है, मसूड़ा फूल जाता है और उसमें से मवाद आने लगती है जिसे पेरीकोरोनाइटिस कहा जाता है। मसूडे में बैक्टीरिया के कारण जिंजिवाइटिस इन्फेक्शन हो जाए तो इससे बैक्टीरिया खून के माध्यम से दिल तक पहुंच सकता है। और दिल की नसों को नुकसान पहुंचा सकता है। जिसके चलते हार्टअटैक का जोखिम बढ़ जाता है। अगर दाढ़ टेढ़ी है, इसमें लगातार दर्द हो रहा है या इसमें संक्रमण हो गया है तो इसे निकलवाना ही बेहतर होता है। बेहद मजबूत और अक्सर टेढ़ी-मेढ़ी स्थिति में निकलने के कारण इसे एक छोटी सी सर्जरी की मदद से निकाला जाता है। लेकिन कुछ लोगों को ये इतना दर्द नहीं देती और बिना किसी सर्जरी के भी अक्ल दाड़ निकल सकती है।

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बुद्धि दांत के फायदे

विसडम टूथ यानी अक्ल दाढ़ स्टेम सेल्स का खजाना होता है। इस दांत के अंदर मौजूद नर्म हिस्से में बड़ी संख्या में सेल्स होती हैं-जिन्हें मेसेनकाइमल स्ट्रोमल सेल्स कहा जाता है। यह सेल्स बोनमैरो में पाई जाने वाली सेल्स की अपेक्षा छोटी होती हैं। बुद्धि दांत जब एक ही कतार में नहीं निकलते तो बहुत ही तकलीफ देते हैं। इनका आकार कभी बहुत बडा या आडा-तिरछा हो सकता है। अक्सर बुद्धि दांत जीभ और जबडे में गडते हैं जिससे दर्द होता है।बोन मैरो की अपेक्षा विसडम टूथ के अंदर पाया जाने वाला फैट या पल्प आसानी से हासिल किया जा सकता है।  इनके माध्यम से टूटी हड्डियों, कॉर्निया और दिल की मांसपेशियों का रीजनरेशन किया जा सकता है। अक्ल दाढ़ बहुत पीछे होने की वजह से इसका उपयोग कम ही होता है।


अब 30 साल तक की उम्र के व्यक्ति अक्ल दाढ़ को निकलवाकर डेंटल पल्स स्टेम सेल्स को संरक्षित भी करवा सकते हैं, जो कि कई जानलेवा बीमारियों के इलाज में मददगार साबित हो सकती है। इसे सालों लिक्विड नाइट्रोजन में फ्रीज कर सकते हैं।

 

ImageCourtesy@gettyimages

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