खराब न होने के बावजूद पानी की बोतल पर क्‍यों लिखी होती है एक्‍सपायरी, जानिए

अगर पानी एक्‍सपायर नहीं होता तो पानी की बोतलों पर एक्‍सपायरी डेट क्‍यों लिखी होती है। क्‍या यह बात आप जानते हैं?
  • SHARE
  • FOLLOW
खराब न होने के बावजूद पानी की बोतल पर क्‍यों लिखी होती है एक्‍सपायरी, जानिए

जल ही जीवन है इसके बिना जीवन की कल्‍पना भी नहीं की जा सकती है। यूं तो हमारी कोशिश रहती हैं कि हम घर से बाहर निकलने समय पानी को हमेशा अपने साथ लेकर जाएं लेकिन कभी-कभार  जल्‍दी में हम पानी को साथ रखना भूल जाते हैं, ऐसे में हम बाजार में मिलने वाला बोतल का पानी इस्‍तेमाल करते हैं। आपने देखा होगा हम जब भी बाहर का पानी खरीदते हैं, उस पर एक्सपायरी डेट लिखी होती है। लेकिन जब पानी खराब नहीं होता तो उस पर एक्‍सपायरी डेट क्‍यों लिखी होती है। क्‍या यह बात आप जानते हैं?

पानी को खुले में रखने पर पानी में बैक्टीरिया और गंदगी अपने आप आ जाती हैं। लेकिन पानी का स्वाद कभी खराब नहीं होता है। सवाल यह उठता है कि अगर पानी एक्‍सपायर नहीं होता तो पानी की बोतलों पर एक्‍सपायरी डेट क्‍यों लिखी होती है। हम आपको बता दें कि इसके पीछे कई अन्य वजहें होती हैं।

water bottle in hindi

इसे भी पढ़ें : सेहत के लिए नुकसानदेह है प्‍लास्टिक बोतल

क्‍यों लिखी होती है एक्‍सपायरी

जी हां बोतलबंद पानी पर लिखी एक्सपायरी डेट पानी के लिए ना होकर बोतल के लिए होती है क्योंकि सामान्यतया पानी खराब नहीं होता है। इसकी सबसे बड़ी वजह है बोतल की पैकिंग में खराबी आ जाना। सही तापमान न मिल पाना और लंबे समय तक गाड़ी आदि में रखे रहना। इन सभी स्थितियों के कारण ही पानी की बोतलों पर एक्सपायरी डेट को लिखा जाता है। हालांकि, बोतल पर लिखी एक्सपायरी डेट के बाद पानी की गुणवत्ता पैकेजिंग और अन्य पर्यावरणीय कारकों से प्रभावित हो सकती है। इसके अलावा गर्मी के सीधे संपर्क में आने पर कुछ प्लास्टिक पानी में केमिकल तत्व छोड़ते हैं। आइए विस्‍तार से जानें।


पानी को स्‍टोर करने पर निर्भर

कुछ दिन पानी को एक गिलास में बाहर छोडने पर उसका स्‍वाद बदल जाता है। इसका कारण यह है कि जब पानी अन्‍य तत्‍वों के संपर्क में आता है तो इसका पीएच स्‍तर बदल जाता है और यह अधिक एसिडिक हो जाता है। क्‍या इसका मतलब यह असुरक्षित है? नहीं।  

पानी में एसिडिटी में मामूली सी वृद्धि केवल शैलफिश के लिए हानिकारक है। लेकिन आप इंसान हैं। एक गिलास पानी का स्‍वाद कुछ दिनों बाहर रखने के बाद थोड़ा अजीब हो जाता है क्‍योंकि कार्बन डाइऑक्‍साइड से हवा पानी के केमिकल को बदल देती है जिससे वह अधिक एसिडिक हो जाता है।

आमतौर पर नल के पानी में क्‍लोरीन होता है और यह बैक्‍टीरिया को एक या दो दिन में ही कई गुणा कर देता है लेकिन इसके बाद क्रेजी होकर, काई और लार्वा के लिए एक प्रजनन स्‍थल बन जाता है। यह आपके घर में जुड़ी धूल से जुड़ा होता है और पानी को वास्‍तव में असुरक्षित बनाता है।

बॉटमलाइन: मंगलवार का पानी गुरुवार तक लेना ठीक है। लेकिन पिछले हफ्ते का पानी पौधों में जाना चाहिए।


इसे भी पढ़ें : जागने के तुरंत बाद क्यों पियें पानी

पैकिंग में समस्‍या

पानी अपनी गुणवत्‍ता को बनाये रखता है, इसलिए इसे शुद्ध माना जाता है। बोतलों में प्लास्टिक भी पारगम्य होता है, इसलिए कीटनाशकों और गैसोलीन के पास पानी को संग्रहीत नहीं किया जाना चाहिए। इससे पानी की गुणवत्ता को उसकी पैकिंग खराब करती है। इसलिए पानी की बोतल पर एक्‍सपायरी डेट लिखी होती है।

साथ ही बोतलबंद पानी को सूरज की रोशनी से दूर रखा जाना चाहिए। गर्मी के संपर्क में सीधा आने के कारण, कुछ प्‍लास्टिक पानी में बिस्फेनोल-ए या बीपीए नामक एक हार्मोन छोड़ते हैं। बीपीए की हल्‍की सी मात्रा भी कोशिकाओं के कार्यों, स्तन कैंसर की संभावनाओं के साथ ब्रेन को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा यह पुरुषों में इन्फर्टिलिटी और हृदय रोगों का कारण बन सकता हैं। यानी इस तरह के पानी से कई तरह की बीमारियों के होने का खतरा बना रहता है।
 
इस कारण ही कंपनियां अपनी पानी की बोतलों पर एक्‍सपायरी डेट अंकित करती हैं, ताकि इस समय के बाद इस्तेमाल किए हुए पानी से होने वाली समस्याओं के लिए वह जिम्मेदार नहीं होंगे।

ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप



Image Source : Getty

Read More Articles on Healthy Living in Hindi

Read Next

एसीडिटी की दवा से कहीं आपकी किडनी तो नहीं हो रही खराब

Disclaimer