क्रायोथेरेपी चिकित्सा की ऐसी पद्धति है जिसमें बर्फ के टुकड़े या ठंडे पानी के प्रयोग से दर्द का उपचार किया जाता है। इसका प्रयोग सबसे अधिक स्पोर्ट्स गतिविधियों के दौरान लगने वाली चोट के उपचार के लिए किया जाता है।
इसके अलावा क्रायोथेरेपी का प्रयोग प्रोस्टेट कैंसर और अनियंत्रित कोशिकाओं पर नियंत्रण पाने के लिए भी किया जाता है। क्रायोथेरेपी से शरीर के उस स्थान के बढ़े हुए तापमान को कम करता है, रक्त संचार की गति को बढ़ाता है, यह तंत्रिकाओं के वेग को भी कम कर देता है जिसके कारण दर्द को काबू में आ जाता है। इस लेख में विस्तार से जानिये इसका प्रयोग कैसे होता है और इसके विभिन्न तरीके क्या-क्या हैं।
कब प्रयोग करें
- चोट के कारण होने वाले वाले तेज दर्द को कम करने के लिए
- सूजन को कम करने के लिए
- शरीर के कोमल (tenderness) क्षेत्रों के उपचार के लिए
- मांसपेशियों में खिंचाव या ऐंठन होने पर
- कुछ भड़काऊ स्थितियों (bursitis, tenosynovitis, tendinitis) में।
- अधिक दबाव के कारण होने वाले दर्द में
- डीप वेन थ्रोम्बोसिस होने पर
टॉप स्टोरीज़
कब प्रयोग न करें
- खुले घावों में इसका प्रयोग न करें
- उच्च रक्तचाप होन पर
- हृदय रोगों में
- त्वचा संक्रमण होने पर
- सनसनी होने पर
- शीत पित्ती (Cold Urticaria) में।
कोल्ड पैक्स
इस तरह का उपचार बर्फ के टुकड़े को तौलिये में या फिर आइस पैकेट में रखकर किया जाता है। यह शरीर के किसी हिस्से में होने वाले दर्द या फिर ऐंठन की समस्या को दूर करता है।
कोल्ड व्हर्लपूल मेथॉड
क्रायोथेरेपी से उपचार के इस तरीके में किसी टब में पानी भरकर उसे ठंडा कर दिया जाता है, फिर शरीर के जिस हिस्से का उपचार होना होता है उसे टब में डालकर शरीर के हिस्से को हिलाया जाता है। पैरों की समस्याओं के उपचार के लिए यह तरीका अधिक प्रयोग किया जाता है।
आइस मसाज
इस तरीके में बर्फ के टुकड़े को सीधे तौर पर चोट वाली जगह पर लगाया जाता है। दर्द को दूर करने के लिये यह बहुत ही सामान्य और असरदार तरीका है।
आइस इमर्सन
इस तरीके का प्रयोग एथलीटों या फिर स्पोर्ट्स गतिविधियों में लगे रहने वाले लोगों के लिए किया जाता है। इस तकनीक में पूरे टब में बर्फ के टुकड़े डाले जाते हैं उसके बाद मरीज को उस टब में घुसाया जाता है।
क्रायोथेरेपी यानी आइस थेरेपी दर्द की समस्या से निजात दिलाने वाला बहुत ही सामान्य और अच्छा तरीका है जिसका प्रयोग हर कोई आसानी से कर सकता है।
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