बच्चों में गुर्दे का संक्रमण बहुत आम है। इसे मूत्र संक्रमण यानी यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूटीआई) के नाम से भी जाना जाता है। आमतौर पर इसके लिए ई. कोली नामक जीवाणु जिम्मेदार होता है। यह जीवाणु गुर्दे से मूत्राशय में फैल सकता है, इसके कारण पेशाब करने में बहुत समस्या होती है। गर्भवती महिला से भी यह समस्या उनके बच्चों को भी हो सकती है। यह संक्रमण बच्चों के ऊर्जा स्तर पर भी असर डालता है। इससे उन्हें पीलिया तक हो सकता है। आइए जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर बच्चों में गुर्दे के संक्रमण के क्या संभावित कारण हो सकते हैं।
बच्चों में गुर्दे के संक्रमण के कारण
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कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली
कमजोर इम्यून सिस्टम वाले बच्चों को गुर्दे का संक्रमण होने का खतरा अधिक होता है। कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण बच्चों के खून में संक्रमण फैल सकता है, जो गुर्दे पर हमला करता है। इसके कारण त्वचा पर बैक्टीरियल या फंगल संक्रमण हो सकता है।
मूत्रमार्ग के कारण
कुछ बैक्टीरिया मूत्रमार्ग में पड़ जाते हैं जो यूटीआई यानी मूत्रमार्ग संक्रमण के लिए जिम्मेदार होते हैं। ये जीवाणु मूत्राशय में प्रजनन कर गुर्दे में फैल जाते हैं।
शौचालय में अस्वच्छता
बच्चों में गुर्दे के संक्रमण का एक अहम कारण शौचालय में सफाई न होना भी है। शौचालय में गंदगी होेने पर बच्चे को संक्रमण होने का खतरा काफी बढ़ जाता है। इसलिए आपको चाहिए कि अपने शौचालय को साफ रखें।
बैक्टीरिया के कारण
बच्चे के शरीर में पहले से ई. कोली नामक जीवाणु मौजूद होता है, यह बैक्टीरिया गुर्दे में फैलकर संक्रमण पैदा कर सकता है, इस बैक्टीरिया के कारण यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की आशंका अधिक होती है।
गर्भावस्था के दौरान
कुछ बच्चे मां के गर्भ से ही इस बीमारी से संक्रमित होते हैं। गर्भावस्था के दौरान जो महिलायें मधुमेह से ग्रस्त हो जाती हैं, उनके होने वाले बच्चों को संक्रमण होने की आशंका अधिक होती है। इसके लिए जररूी है कि महिला गर्भावस्था के 16वें सप्ताह में अपनी जांच करा लें।
आनुवांशिक कारण
वीयूआर नामक रोग में यूरीनरी ब्लैडर से लेकर गुर्दे तक को संक्रमित करता है। इस कारण 25 प्रतिशत बच्चों में यूटीआई के मामले सामने आते हैं। वस्तुत: वीयूआर एक आनुवांशिक विकार है। अगर परिवार में किसी बच्चे को वीयूआर की समस्या रही है, तो उसके परिवार में जन्म लेने वाले अन्य बच्चों को भी यह समस्या होने की आशंका होती है।
बच्चों में गुर्दे के संक्रमण के लक्षण
इस कारण बच्चों के ऊर्जा में कमी, यानी आपका बच्चा कम एनर्जेटिक रहता है, चिड़चिड़ापन, बार-बार उल्टी की समस्या, बच्चे का ठीक ढंग से विकास न होना, पेट में लगातार दर्द बना रहना, पीलिया (आंखें और त्वचा का पीला होना) मूत्र में रक्त निकलना, बदबूदार पेशाब होने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
गुर्दे के संक्रमण का उपचार
इस बीमारी से ग्रस्त लगभग 10 फीसदी बच्चे ऑब्सट्रक्टिव यूरोपैथी नामक रोग के कारण डाइलिसिस पर चले जाते हैं। इसी तरह क्रॉनिक किडनी डिजीज से ग्रस्त 30 फीसदी बच्चों में यूटीआई जटिल रूप में हो सकता है। वेसिको यूरेटेरिक रीफ्लक्स के कारण भी 25 फीसदी बच्चों में यूटीआई जटिल रूप में हो सकता है। आधुनिक चिकित्सा में हुई प्रगति के चलते गर्भावस्था के 16वें सप्ताह में 'एंटीनेटल यूएसजी टेस्ट के जरिये शिशुओं में गुर्दे से सबधित विकारों का पता लगाया जा सकता है। समय रहते रोग का पता लगने और समुचित उपचार होने से इस स्वास्थ्य समस्या और इसकी जटिलताओं से छुटकारा पाने में आसानी होती है।
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