हेपेटाइटिस सी एक प्रकार का लिवर का संक्रमण (लिवर इंफेक्शन) है, जो हेपेटाइटिस सी वायरस के कारण फैलता है। शुरुआती अवस्था में इस रोग के लक्षण बहुत सामान्य होते हैं, इसलिए लोग इन पर ध्यान नहीं देते हैं। 28 जुलाई को हर साल विश्व हेपेटाइटिस दिवस (World Hepatitis Day) मनाया जाता है, ताकि लोगों को इस गंभीर और जानलेवा रोग के बारे में जागरूक किया जा सके।
हेपेटाइटिस सी के बारे में जानकारी बहुत जरूरी है क्योंकि लंबे समय तक नजरअंदाज करने से ये लिवर कैंसर का कारण बन सकता है। यहां तक कि लिवर कैंसर के ज्यादातर कारणों में हेपेटाइटिस सी ही वजह बनता है। संक्रमित खून के इस्तेमाल से हेपेटाइटिस सी के वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में तेजी से फैल सकते हैं। आइए आपको बताते हैं हेपेटाइटिस सी का कारण, लक्षण और बचाव के लिए जरूरी टिप्स।
कैसे फैलता है हेपेटाइटिस सी का वायरस
हेपेटाइटिस सी का वायरस रक्त (Blood) के जरिए एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में प्रवेश करता है। आमतौर पर प्रयोग की हुई सुई (इंजेक्शन) के दोबारा इस्तेमाल, संक्रमित व्यक्ति के रेजर का इस्तेमाल से ये वायरस दूसरे व्यक्तियों में फैल सकता है। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं के शिशुओं में ये वायरस फैलने की आशंका होती है। पुरुषों में महिलाओं के मुकाबले इसके लक्षण ज्यादा देखे जाते हैं क्योंकि महिलाओं में एस्ट्रोजन नामक हार्मोन होता है जो लिवर की रक्षा करता है।
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हेपेटाइटिस सी के लक्षण
- जी मिचलाना।
- उल्टियां आना।
- भूख कम लगना।
- बुखार आना।
- पेट के ऊपरी दाहिने भाग में दर्द होना।
- पीलिया ग्रस्त होना।
- पेशाब का गाढ़ा पीले रंग का होना।
- कुछ रोगियों के मल का रंग पीला होता है।
- रोग की गंभीर अवस्था में एक्यूट लिवर फेल्यर हो सकता है।
हेपेटाइटिस सी का खतरा बढ़ाने वाले कारक
कई कारकों के कारण हेपेटाइटिस सी होने का खतरा बढ़ जाता है।
- सुई (नीडल) का संक्रमित व्यक्ति के बाद किसी और व्यक्ति को इंजेक्शन लगाने के लिए इस्तेमाल करना
- संक्रमित इंजेक्शन से ड्रग्स लेना
- संक्रमित व्यक्ति के रक्त के संपर्क में आना
- संक्रमित व्यक्ति का रक्त परीक्षण किए बिना उसके खून को दूसरे व्यक्ति को चढ़ाना
- टैटू गुदवाना
- किसी संक्रमित व्यक्ति का टूथब्रश और रेजर इस्तेमाल करना
- असुरक्षित यौन संपर्क से भी हेपेटाइटिस का खतरा होता है
हेपेटाइटिस सी वायरस से बचाव
- हेपेटाइटिस सी में सावधानी के बारे में अगर हम बात करें तो हम जानते हैं कि हेपेटाइटिस सी का संक्रमण काफी समय तक छुपा रह सकता है यानी हेपेटाइटिस सी का इलाज करने की ज़रूरत पड़ने में काफी साल का समय लग सकता है। इस दौरान संक्रमित व्यक्ति ऐसे उपाय कर सकता है जिसमें लिवर को नुक़सान पहुंचने से रोका जा सके। इन उपायों में शराब पीना या तो बिल्कुल बन्द कर दिया जाए या फिर उसकी मात्रा कम कर दी जाए।
- जो भी व्यक्ति सुइयों के ज़रिए दवा लेते हैं, उन्हें हेपेटाईटिस सी संक्रमण की जांच जरूर करानी चाहिए।
हेपेटाइटिस सी का इलाज
- जो रोगी हेपेटाइटिस सी से ग्रस्त हैं, उनका इलाज एंटी वायरल दवाओं से किया जाता है। ओरल एंटीवाइरल दवाएं भी दी जाती हैं,जो रक्त से हेपेटाइटिस के वाइरस को दूर करती हैं।
- इस प्रकार लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर होने का जोखिम कम हो जाता है। हेपेटाइटिस सी के कारण होने वाली लिवर की बीमारी की गंभीर अवस्था में लिवर ट्रांसप्लांट ही इलाज का एकमात्र कारगर विकल्प शेष बचता है।