मां बनना किसी महिला के लिए दुनिया की सबसे खूबसूरत अनुभूति होती है। लेकिन मां बनना इतना आसान नहीं है, गर्भधारण से लेकर प्रसव तक महिला के सामने कई तरह की समस्यायें होती हैं और सबसे अधिक समस्या प्रसव के दौरान होने वाला दर्द है। पहली बार प्रसव में 12-16 घंटे लगते हैं। इसमें गर्भाशय धीरे-धीरे 10 सेमी खुलता है, इससे ही शिशु को बाहर आने का मार्ग मिलता है। लेकिन इस दौरान गर्भाशय की मांसपेशियों में संकुचन होता है जिससे असहनीय दर्द होता है। अगर कुछ बातों का ध्यान न रखा जाये तो प्रसव का दर्द और भी बदतर हो सकता है।
पीठ के बल लेटना
गर्भावस्था के दौरान पीठ के बल लेटने से प्रसव के समय का दर्द और भी बढ़ सकता है। दरअसल जब आप पीठ के बल लेटती हैं तब गर्भाशय और बच्चे का पूरा वजन पीठ पर आ जाता है, जिससे यहां की मांसपेशियों में अधिक दर्द का एहसास होता है। इसलिए गहरी सांस लेते हुए साइड करके सोना गर्भवती महिला के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।
प्रसव का डर
आपने केवल सुना है और सबने आपसे यही बताया है कि डिलीवरी के दौरान असहनीय पीड़ा होती है, ये बातें सुनकर आप डर जाती हैं। हालांकि ये सुनी-सुनाई बाते हैं जो पूरी तरह सच नहीं हैं। क्योंकि गांव में रहने वाली और अधिक परिश्रम करने वाली महिलाओं का सामान्य प्रसव होता है और वे इस दर्द को आसानी से बर्दाश्त कर लेती हैं। इसलिए सुनी हुई बातों पर विश्वास न करें।
हल्की सांस लेना
यह प्रसव के दर्द को बदतर करता है। दरअसल जब आप प्रसव के दौरान होने वाले दर्द के बारे में सोचकर भयभीत हो जाती हैं तब आप हल्की सांस लेती हैं, क्योंकि आप सीने से सांस लेती हैं न कि पेट से। चिकित्सक भी गर्भवती महिलाओं को लंबी और गहरी सांस लेने की नसीहत देते हैं। लेकिन इस दर्द के भय के कारण आप ऐसा नहीं कर पाती हैं और दर्द बदतर हो जाता है।
डिहाइड्रेशन
पानी हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी है और गर्भवती महिलाओं को अधिक से अधिक पानी पीने की सलाह दी जाती है। लेकिन अगर आपने पानी का कम सेवन किया है तो आपके शरीर में पानी की कमी जल्द हो जाती है और आसानी से आप थक जाती हैं। डिहाइड्रेशन के कारण भी गर्भाशय आराम की मुद्रा में नहीं होता है। इसलिए इस अवस्था में पानी की कमी न होने दें।
भ्रूण की स्थिति
गर्भाशय में पल रहे भ्रूण की स्थिति के कारण भी सामान्य प्रसव के दौरान दर्द होता है। कुछ बच्चों की पीठ मां के पीठ की साइड होती है जिससे प्रसव के दौरान बच्चे को बाहर निकालना थोड़ा मुश्किल होता है। इसलिए बच्चे की स्थ्िाति के बारे में एक बार अपने चिकित्सक से सलाह अवश्य लें।
गर्भधारण के बाद ही हेल्दी आदतों को आजमायें और नियमित रूप से जांच करायें, इससे सामान्य प्रसव तो होगा ही साथ ही डिलीवरी के दौरान अधिक दर्द भी नहीं होगा।
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