ऑटिज्‍म के रोगियों को समझने के लिए ध्यान रखने योग्य बातें

ऑटिज्म से ग्रस्त लोगों का जीवन चुनौतीपूर्ण होता है। उन्हें परिवार के प्यार व सहयोग की खास जरूरत होती है। ऑटिज्म के रोगियों को समझने के लिए कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
  • SHARE
  • FOLLOW
ऑटिज्‍म के रोगियों को समझने के लिए ध्यान रखने योग्य बातें

ऑटिज्म से ग्रस्त रोगियों का शारीरिक विकास तो होता है,लेकिन मानसिक विकास धीमा हो जाता है। इससे पीड़ित लोग अपनी ही दुनिया में खोएं रहते हैं। उन्हें बोलने में समस्या होती है। वे हर किसी से खुल नहीं पाते हैं इसके अलावा कभी-कभी वे इतने आक्रमक हो जाते हैं कि खुद को ही चोट पहुंचा लते हैं।

things to take care in autismऑटिज्म मस्तिष्क की उस प्रक्रिया पर असर डालता है, जिसका काम भावों, संचार और शरीर की हलचल को नियंत्रित करना होता है। कुछ ऑटिस्टिक बच्चों में हाथ और मस्तिष्क का बड़ा आकार भी देखने को मिलता है। ऑटिज्म सिंड्रोम डिस्ऑर्डर से प्रभावित बच्चों में कुछ अन्य जुड़ी हुई स्थितियां भी देखने को मिलती हैं। ऑटिज्म के रोगियों को उपचार देने से पहले चिकित्सक यह जानने की कोशिश करते हैं कि बच्चे की वास्तविक समस्या क्या है।

 

ऑटिज्म के रोगियों का जीवन काफी चुनौतीपूर्ण होता है। ऐसे में उन्हें प्यार व दुलार की काफी जरूरत होती है। उन्हें अपने आसपास ऐसे लोगों की जरूरत होती है जो उन्हें समझे और ऐसी स्थिति से बाहर आने में मदद करें। ज्यादातर माता-पिता अपने बच्चे की ऐसी स्थिति को स्वीकार नहीं कर पाते हैं और वे बच्चे की अनदेखी व उससे दूरी बनाने लगते हैं जो कि  बच्चे के लिए बहुत नुकसानदेह है। जानिए ऑटिज्म में ध्यान रखने वाली बातों के बारे में-

  • बच्चों को दुत्कारने नहीं, बल्कि उनकी ओर विशेष ध्यान दें।
  • खेल-खेल में बच्चों के साथ नए शब्दों का प्रयोग करें।
  • शारीरिक खेल गतिविधियों के लिए ऑटिज्म रोगियों को प्रोत्साहित करें।
  • रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाले शब्दों को जोड़कर बोलना सिखाएं ।
  • बच्चों को तनाव मुक्त जगहों पर लेकर जाएं।
  • बच्चों को खिलौनों के साथ खेलने का सही तरीका दिखाएं।
  • धीरे-धीरे खेल में लोगो की संख्या को बढ़ते जाएं।
  • रोगियों से छोटे-छोटे वाक्यों में बात करें। इसके अलावा साधारण वाक्यों का प्रयोग करें जिससे रोगी उसे समझ सके।
  • रोगियों को पहले समझना फिर बोलना सिखाएं।
  • यदि बच्चा बोल पा रहा है तो उसे प्रोत्साहित करें और बार-बार बोलने के लिए प्रेरित करें।
  • बच्चो को अपनी जरूरतों को बोलने का मौका दें।
  • यदि बच्चा बिल्कुल बोल नही पाए तो उसे तस्वीर की तरफ इशारा करके अपनी जरूरतों के बारे में बोलना सिखाये।
  • बच्चो को घर के अलावा अन्य लोगो से नियमित रूप से मिलने का मौका दे।
  • बच्चे को तनाव मुक्त स्थानों जैसे पार्क आदि में ले जाएं।  
  • अन्य लोगो को बच्चो से बात करने के लिए प्रेरित करे।
  • यदि बच्चा कोई एक व्यवहार बार-बार करता है तो उसे रोकने के लिए उसे किसी दुसरे काम में व्यस्त रखे।
  • ग़लत व्यवहार दोहराने पर बच्चो से कुछ ऐसा करवाए जो उसे पसंद ना हो।
  • यदि बच्चा कुछ देर ग़लत व्यवहार न करे तो उसे तुंरत प्रोत्साहित करे।
  • प्रोत्साहन के लिए रंग-बिरंगी , चमकीली तथा ध्यान खींचने वाली चीजो का इस्तेमाल करे।
  • बच्चो को अपनी शक्ति को इस्तेमाल करने के लिए उसे शारिरीक खेल के लिए प्रोत्साहित करे।
  • अगर परेशानी ज्यादा हो तो मनोचिकित्सक द्वारा दी गई दवाओ को प्रयोग करें।

 

Read More Articles On Autism In Hindi

Read Next

आटिज्‍म क्‍या है और इसके कारणों को जानें

Disclaimer