जीवन की कड़वी सच्चाई है कि कोई भी अपने अंत से बच नहीं सकता, जिसने जन्म लिया है उसका मरना तय है! लेकिन अगर हम आपको कहें कि एक तकनीक ऐसी है जो मौत के बाद भी आपको जिंदा रख सकती है तो शायद आपको यकीन नहीं होगा। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी तकनीक के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे जानकर आप अचंभित हो जाएंगे। जी हां क्रायोप्रिजर्वेशन, एक ऐसी ही तकनीक है जिसके अंतर्गत इंसानों को सालों तक जीवित रख सकते हैं और उन्हें मरने से बचा सकते हैं। आइए इस तकनीक के बारे में विस्तार से जानें।
मरने के बाद फिर से जीना चाहती थी
दुनिया के इतिहास में शायद ही इससे पहले कभी ऐसा हुआ हो कि किसी ने मरने के बाद दोबारा जिंदा होने की अनुमति के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया........। जी हां यह मामला ब्रिटेन का है जहां 14 साल की एक लड़की ने यह इच्छा जाहिर की। यह लड़की एक दुर्लभ और लाइलाज कैंसर से पीडि़त थी। कैंसर का इलाज उपलब्ध न होने के कारण उसका मरना तय था। इसके बावजूद उसकी आखिरी इच्छा बेहद अनोखी थी। वह मरने के बाद फिर से जीना चाहती थी। कानून से इसकी इजाजत लेने के लिए उसने अदालत का दरवाजा खटखटाया और उसकी अपील पर कोर्ट ने भी अपनी मुहर लगा दी।
मरने से पहले लड़की ने साफ शब्दों में बताया कि मौत के बाद उसके शरीर के साथ क्या किया जाना चाहिए। वह चाहती हैं कि उसके शरीर को दफनाया न जाए, बल्कि उसके शव को बर्फ की तरह जमा दिया जाये। उसे उम्मीद थी कि शायद एक दिन जब उसके कैंसर का इलाज हो जाएगा, तब वह एक सामान्य जीवन जी सकेगी। वह चाहती थी कि उसका शरीर क्रायोप्रिजर्वेशन तकनीक के इस्तेमाल से सुरक्षित रखा जाए। लड़की ने जज को लिखा, 'क्रायोप्रिजर्व होने से मुझे इलाज का मौका मिल सकता है और सैकड़ों साल बाद भी मैं फिर से जिंदा हो सकती हूं।' उसकी अपील से हाई कोर्ट के जज पीटर जैकसन राजी हो गए और उन्होंने उसकी इच्छा पर कानूनी मुहर भी लगा दी।
क्रायोनिक्स: दोबारा जिंदा होने की अनोखी तकनीक
क्रायोप्रिजर्वेशन एक ऐसी तकनीक है जिसके अंतर्गत इंसान के शरीर की कोशिकाओं व ऊतकों को निष्क्रिय कर बेहद कम तापमान में सालों तक संरक्षित रखा जाता है। तापमान इतना कम होता है कि आम इंसान इसमें एक पल भी ठहर नहीं सकता लेकिन इसी तापमान में वैज्ञानिक इंसानी शरीर को सालों तक सुरक्षित रखते हैं।
क्रायोनिक्स में लाइलाज बीमारियों से मरने वाले लोगों के शव को डीप-फ्रीज कर दिया जाता है। इसमें उम्मीद होती है कि शायद भविष्य में जब उनकी बीमारी का इलाज खोज लिया जाएगा, तो वे फिर से जिंदा हो सकेंगे। यह प्रक्रिया इंसान की मौत होने के 2 मिनट से लेकर अधिकतम 15 मिनट के भीतर शुरू कर दी जाती है। शरीर में ब्लड क्लॉट बनने के रोकने के लिए लाश के अंदर विशेष केमिकल भरे जाते हैं। इन केमिकलों को सूखी बर्फ में पैक किया जाता है। जमाने वाले तापमान से बस थोड़े अधिक तापमान पर शरीर को रखा जाता है।
अंगों को सुरक्षित रखने के लिए भी केमिकलों का इस्तेमाल होता है। केमिकलों के कारण अंगों के अंदर क्रिस्टल नहीं बन पाते। इसके बाद -130 डिग्री सेल्सियस पर शव को रखा जाता है। इसके बाद शव को एक कंटेनर में रखकर लिक्विड नाइट्रोजन के टैंक में भर दिया जाता है। इसके बाद फिर -196 डिग्री सेल्सियस पर शव को संरक्षित कर दिया जाता है। हालांकि क्रायोनिक्स तकनीक की सफलता साबित नहीं हो सकी है, लेकिन फिर भी कुछ लोग मानते हैं कि इसके द्वारा जमाए गए शव को भविष्य में दोबारा जिंदा किया जा सकता है।
इस लेख से संबंधित किसी प्रकार के सवाल या सुझाव के लिए आप यहां पोस्ट/कमेंट कर सकते हैं।
Image Source : Getty
Read More Articles Medical Miracles in hindi
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version