रेबीज से ग्रसित व्यक्ति में रेबीज के लक्षण बहुत दिनों के बाद उभरते हैं, ज्यादातर मौत से कुछ दिन पहले।
रेबीज के आम लक्षण कुछ इस प्रकार के होते हैं:
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- बुखार
- सिर की पीड़ा
- बराहट या बेचैनी
- चिंता एवं व्याकुलता
- भ्रम
- निगलने में कठिनाई
- बहुत अधिक लार निकलना
- पानी से डर लग्न (जिसे हाईड्रोफोबिया कहा जाता है) क्योंकि निगलने में कठिनाई होने लगती है
- मतिभ्रम या भ्रम
- अनिद्रा
- आंशिक पक्षाघात
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रेबीज से संक्रमित होने के एक सप्ताह के बाद या एक साल के बाद भी लक्षण उभर सकते हैं। ज्यादातर लोगों में रेबीज के लक्षण चार से आठ सप्ताह में विकसित होने लगते हैं। अगर रेबीज से संक्रमित जानवर किसी की गर्दन या सर के आस-पास काट लेता है तो लक्षण तेजी से उभरने लगते है क्योंकि रेबीज के वायरस इस तरह बहुत हीं जल्दी शिकार व्यक्ति के दिमाग तक पहुँच जाते हैं। रेबीज के प्रारंभिक लक्षणों में आमतौर पीड़ित व्यक्ति को उस जगह पर झुनझुनी होती है जिस जगह जानवर ने उसे काटा होता है तथा इसके अलावा बुखार, भूख का मरना एवं सर दर्द जैसी शिकायत भी रहने लगती है। अगर आपको किसी जानवर ने काटा हो तो तुरंत अपने चिकित्सक से मिलें। आपके डॉक्टर कुछ परीक्षणों के बाद यह तय करेंगे कि आपको किस प्रकार का उपचार चाहिए।
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रेबीज भारत में कई स्थानों पर होता है और पूरे विश्व में रेबीज से जितनी मौतें होतीं हैं उनका 36% हर साल भारत में होता है। रेबीज से मौत की दरें बच्चों में ज्यादा देखी गई हैं। यूँ तो विकसित देशों से रेबीज का पूरी तरह सफाया हीं कर दिया गया है लेकिन भारत में व्यापक राष्ट्रीय कार्यक्रम की कमी के कारण तथा सरकार और जनता के बीच आपसी समन्वय न होनेके कारण इस देश में अभी भी रेबीज व्याप्त है।
- लगभग 15 लाख लोग भारत में सालाना डर से जानवरों द्वारा काटे जाते हैं। जानवर के काटने सभी मामलों में 90% मामले के बारे आवारा कुत्तों और पालतू कुत्तों द्वारा काटे जाने के होते हैं। ( 60% आवारा कुत्तों के द्वारा तथा 40% पालतू कुत्तों के द्वारा)
- भारत में 1000 की आबादी वाले क्षेत्र में जानवरों द्वारा काटे जाने वाली घटनाओं की दर 17।4 है। भारत में हर 2 सेकंड में एक व्यक्ति किसी जानवर द्वारा काटे जाने का शिकार बनता है और हर आधे घंटे पर एक व्यक्ति रेबीज की चपेट में आकर मौत के मुंह में चला जाता है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारत और में रेबीज की रोकथाम और नियंत्रण के लिए एसोसिएशन के अनुसार, रेबीज से प्रति वर्ष 20,565 मौतें होतीं हैं।
- रेबीज से मरने वाले अधिकांश लोग गरीब तबके के होते हैं या जो लोग सामाजिक एवं आर्थिक दृष्टि से बहुत हीं कमजोर होते हैं।
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