विश्व स्वास्थ्य संगठन ने श्रीलंका को मलेरिया मुक्त देश घोषित कर दिया है। दक्षिण-पूर्व एशिया में मालदीव के बाद मलेरिया मुक्त घोषित होने वाला श्रीलंका दूसरा देश है। मालदीव 1984 में मलेरिया मुक्त हुआ था। जबकि भारत ने मलेरिया उन्मूलन के लिए 2030 तक का लक्ष्य रखा है। श्रीलंका में मच्छर से फैलने वाली बीमारी मलेरिया का आखिरी मामला अक्टूबर 2012 में सामने आया था। नवंबर 2012 में यह शून्य हो गया। जबकि 1999 में 264549 मामले सामने आए थे। पिछले साढ़े तीन साल से मलेरिया का कोई मामला सामने नहीं आया।
आज से साठ साल पहले श्रीलंका पूरी दुनिया में मलेरिया से सबसे अधिक प्रभावित माना जाता था। पिछले साढ़े तीन साल में श्रीलंका में एक भी मलेरिया का मरीज नहीं हुआ है। श्रीलंका ने 1911 में एंटी मलेरिया कैंपेन शुरू किया था, उस दौरान हर साल मलेरिया के 15 लाख मामले दर्ज हुआ करते थे। श्रीलंका ने 1963 तक मलेरिया को करीब करीब खत्म ही कर दिया था जब सिर्फ 17 केस रिपोर्ट हुए। तब श्रीलंका ने इसका बजट कहीं और खपा दिया। और मच्छर फिर से लौटने लगे। फिर से पचास साल लग गए मलेरिया मुक्त होने में। श्रीलंका में भारत से चार गुना ज़्यादा बारिश होती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार श्रीलंका ने 90 के दशक में संक्रमण रोकने के लिए मलेरिया उन्मूलन अभियान में बदलाव किया। इसके तहत मच्छर रोधी नियंत्रण के बदले परजीवी नियंत्रण की रणनीति अपनाई। नतीजा यह हुआ कि 1999 के बाद मामलों में तेजी से गिरावट आई। 2008 के बाद हर साल लगभग हजार से भी कम मामले सामने आए।
साफ-सफाई का ध्यान रखा गया। खासकर सड़कों के किनारे जहां मच्छर आसानी से पनपते हैं। दूरदराज इलाकों से लोगों को इलाज मुहैया कराया गया। उच्च जोखिम वाले स्थानों पर खास ध्यान देते हुए शीघ्र उपचार की व्यवस्था की गई जिससे मौतें कम हुईं। एकीकृत प्रबंधन की व्यवस्था की गई और समुदायों को जोड़ा गया। संक्रमण के उन्मूलन के लिए सामाजिक, आर्थिक और तकनीकी भागीदारी बढ़ाई गई। हाल ही में पूरे यूरोप क्षेत्र को भी मलेरिया मुक्त घोषित किया गया है। 1995 में यूरोप में 90712 मामले सामने आए थे। दो दशक में यह शून्य हो गए।
भारत में मच्छर से फैलने वाली बीमारियों से लगातार मौतें हो रही हैं। मच्छर से डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, जापानी इंसेफेलाइटिस, जीका, पीत ज्वर आदि बीमारी होती है। हर साल इस मौसम इन बीमारियों के मामले बढ़ जाते हैं। 2015 में चिकनगुनिया के 27553 जबकि डेंगू के 99913 मामले सामने आए। जबकि 2014 में चिकनगुनिया के 16049 और डेंगू के 40571 मामले सामने आए।
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