एक नये शोध के अनुसार वे किशोर जो अकेले शराब पीते हैं, उनमें शराब से होने वाली समस्याएं होने की आशंका ज्यादा होती है। साथ ही उनमें कभी-कभार ही शराब पीने वाले अपने साथियों की तुलना में काफी अधिक शराब पीने की भी आदत होती है। शराब पीने वाले अधिकतर किशोर सामाजिक स्थितियों व अवसरों पर अपने दोस्तों के साथ ऐसा करते हैं, लेकिन कार्नेगी मेलॉन यूनिवर्सिटी तथा पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह पाया कि बड़ी संख्या में किशोर तब शराब पीते हैं, जब वे अकेले होते हैं।
शोधकर्ताओं ने पाया कि कुछ खास मौकों पर ही पीने वाले अपने साथियों की तुलना में अकेले पीने वाले किशोरों में अधिक शराब पीते हैं साथ ही उनमें इससे होने वाली समस्यायें भी अधिक पायी जाती हैं। और इन किशोरों की नकारात्मक भावनाओं के चलते पीने की भी अधिक आशंका रहती है।
इसके अलावा, एकांत में पीने वाले किशोरों में अल्कोहल यूस डिस्ऑर्डर भी जल्द होने का खतरा होता है।
इस शोध की प्रमुख लेखक केयसी क्रेसवेलन ने कहा "हम यह जान पा रहे हैं कि वे बच्चे जो अकेले में शराब पीते हैं, वे ऐसा अकेलापन महसूस होने के कारण, बुरे मूड या किसी दोस्त के साथ तर्क आदि हो जाने के कारण कर रहे हैं।"
क्रेसवेलन ने कहा कि "बच्चे नकारात्मक भावनाओं का सामना करने के लिए एक रास्ते के रूप और एक सैल्फ मेडिसन की तरह शराब का उपयोग करने लगते हैं। महत्वपूर्ण और चिंताजनक बात है कि शराब पीने का यह तरीका उनकी शराब की लत को बढ़ा देता है और वयस्कता में ही शराब से होने वाली समस्याओं को भी विकसित कर देता है।"
पहली कुछ रिसर्च में भी बताया जा चुका है कि अकेले शराब पीने वाले किशोर, उनके खास मौकों पर ही पीने वाले साथियों की तुलना में अधिक शराब पीते हैं।
यह ऐसा पहला अध्ययन है जिसमें, किशोरावस्था के दौरान एकान्त में पीने वाले युवा वयस्कों में शराब के उपयोग से होने वाले विकारों का आंकलन करती है।
शोधकर्ताओं ने पीट्सबर्ग एडसोलेंट एल्कोहॉल रिसर्च सेंटर (PAARC) में 12 से 18 वर्ष की आयु के बीच के करीब 709 शराब पीने वाले युवाओं का सर्वेक्षण किया। इसमें उनसे यह पूछा गया कि आखिर बीते एक साल में उनके द्वारा पी गयी शराब के बारे में सवाल पूछे गये।
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