रमजान का महीना शुरू होने वाला है। कहते हैं सेहत ईश्वर की सबसे बड़ी देन है। इस महीने में मजहब के वास्ते लोग रोजा रखते हैं, लेकिन जो लोग डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर से ग्रस्त हैं, उन्हें कुछ सावधाानियों पर अमल करना चाहिए। डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर ऐसी स्वास्थ्य समस्याएं हैं, जो किसी भी मजहबी रस्म और अन्य कार्र्यों को समुचित रूप से पूरा नहीं होने देते। बावजूद इसके, अगर कुछ सजगताएं बरती जाएं, तो ऐसे लोग स्वस्थ रहते हुए रोजा रख सकते हैं।
लंबे वक्त तक भूखा न रहें
लंबे समय तक भूखा रहना मधुमेह या डायबिटीज जैसी बीमारियों से पीड़ित लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। यह बात अनेक डायबिटीज पीड़ितों के मन में दुविधा पैदा करती है कि वह रोजा रखें या न रखें। रोजा रखने का मामला मजहब और निजी स्तर से जुड़ा है। हमारी सलाह हमारे मुसलमान भाइयों और बहनों को यह है कि डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोग के मरीजों को अपनी शारीरिक स्थिति को समझकर ही रोजा रखना चाहिए। इस्लाम ने भी बीमार एवं शारीरिक तौर से कमजोर लोगों को अस्थायी या पूर्ण रूप से रोजा रखने से मुक्त किया हुआ है।
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कौन नहीं रख सकते रोजा?
- टाइप वन डायबिटीज से पीड़ित लोगों को रोजा नहीं रखना चाहिए। यह लोग पूर्ण रूप से इंसुलिन इंंजेक्शन पर निर्भर होते हैैं। इसीलिए लंबे समय तक भूखा रहना या इंसुलिन की डोज न लेना ऐसे लोगों के लिए बहुत नुकसानदेह रहेगा।
- अनियंत्रित डायबिटीज से संबंधित किसी भी प्रकार की जटिलता जैसे किडनी रोग या हृदय रोग हो, तो रोजा न रखें।
- अगर ब्लडप्रेशर अनियंत्रित है, तो रोजा न रखें।
- ये लोेग रख सकते हैं रोजा
- टाइप-2 डायबिटीज के साथ जिंदगी जी रहे लोग सुरक्षित रूप से रोजा रख सकते हैं।
- अगर आर ग्लिपटिन, ग्लिाटाजोन, मेटफॉरमिन अथवा अल्फा ग्लूकोसाइडेज इनहिबिटर्स ग्रुप की दवाओं पर निर्भर हैं, तो आप रोजा रख सकते हैं। बशर्ते आपकी डायबिटीज नियंत्रित हो और आप अपने डॉक्टर से सलाह लेकर रोजा रखें।
- अगर आप हाई ब्लड प्रेशर की दवा लेते हैं तो डॉक्टर की सलाह के बाद ही रोजा रखें।
कुछ आवश्यक जानकारियां
- रोजे के दौरान आपकी दवाओं की खुराक का समय बदलना पड़ सकता है, परंतु दवा लेना बहुत आवश्यक है। दवा न लेने से शुगर या ब्लड प्रेशर के अधिक बढ़ने का खतरा है।
- रोजे के दौरान शुगर एवं ब्लड प्रेशर की नियमित जांच करें। शुगर की जांच दिन में 3 से 4 बार घर में ही ग्लूकोमीटर से करें। 70 एमजी/ डीएल से कम या 300 एमजी/ डीएल से अधिक शुगर होने से रोजा तोड़ना पड़ सकता है।

- रोजा रखने से पहले डॉक्टर से मशविरा अनिवार्य है। स्वयं किसी भी दवा में बदलाव न करें।
- द्यसल्फोनिलयुरिया ग्रुप की दवाओं से हाइपोग्लाइसीमिया या लो शुगर का खतरा हो सकता है। इसी वजह से आपकी दवा या उसकी खुराक डॉक्टर बदल सकते हैं।
- यदि आप इंसुलिन पर निर्भर हैं, तो आपको डॉक्टर नई प्रकार की इंसुलिन (जिनसे हाइपोग्लाइसीमिया का जोखिम कम होता है) लेने की सलाह दे सकते हैं।
- रोजे के दौरान शुगर एवं बल्डप्रेशर की नियमित
- डायबिटीज में इस्तेमाल की जाने वाली एसजीएलटी 2 इनहीबिटर ग्रुप की दवा से डीहाईड्रेशन हो सकता है, बशर्ते यह सारी बातें आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछें।
- डाययुरेटिक्स, हाई ब्लड प्रेशर के लिए दी जाने वाली एक आम दवा है, जो शरीर से अतिरिक्त पानी व सोडियम को यूरिन के रास्ते निकालती है। रोजे के दौरान इस दवा से लो सोडियम व डिहाइड्रेशन का खतरा बढ़ जाता है। रोजा शुरू होने से पहले दवा की डोज, प्रकार व लेने का समय डॉक्टर से समझ लें।
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