50 वर्ष की आयु के बाद पुरुषों में बढ़ जाता है कई बीमारियों का खतरा

उम्र बढ़ने पर पुरुषों को कई तरह की स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी समस्‍याएं घेरने लगती हैं। इस उम्र में पुरुषों को किस तरह की परेशानियां हो सकती हैं, जानने के लिए इस लेख को पढ़ें।
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50 वर्ष की आयु के बाद पुरुषों में बढ़ जाता है कई बीमारियों का खतरा

उम्र बढ़ने पर स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍यायें भी बढ़ती हैं। पचास की उम्र पार करते ही पुरुषों को कई बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। आइए जानते हैं कुछ ऐसी ही बीमारियों के बारे में जो पुरुषों को 50 वर्ष की आयु के बाद हो सकती हैं।

risk of diseases in men

प्रोस्‍टेट कैंसर

अमेरिका की नेशनल कैंसर सोसायटी के मुताबिक 50 वर्ष की आयु के बाद पुरुषों में प्रोस्‍टेट कैंसर का खतरा 40 फीसदी तक बढ़ जाता है। हालांकि प्रोस्‍टेट कैंसर किसी खास उम्र में अपने चरम पर नहीं पहुंचता। लेकिन, उम्र बढ़ने के साथ इसका खतरा बढ़ता है। इसमें प्रोस्‍टेट में जाने वाले रक्‍त में एंटीजन की मात्रा बढ़ जाती है। साथ ही इस कैंसर के बढ़ने में वसा, पुरुष नसबंदी, यौन गतिविधियां और परिवारिक इतिहास भी प्रमुख कारक होते हैं। पचास की उम्र के बाद सालाना प्रोस्‍टेट कैंसर की जांच करानी चाहिए।

 

कोलोन कैंसर

एक स्‍वास्‍थ्‍य जांच के मुताबिक पुरुषों में कोलोन कैंसर के 90 फीसदी मामले 50 की उम्र के बाद सामने आते हैं। यह अमेरिका में होने वाला तीसरा सबसे बड़ा कैंसर है, वहां पर कैंसर के कारण होने वाली मौतों का दूसरा बड़ा कारण भी यही है। कोलोन कैंसर की जांच के लिए वार्षिक फेटल ऑक्‍टल ब्‍लड टेस्‍ट (एफओबीटी) और हर पांच वर्ष में सिगमिडोस्‍कोपी करानी चाहिए। इससे कोलोन कैंसर की शुरुआत में ही पुष्‍िट हो सकेगी और इलाज संभव हो सकेगा।

 

दिल की बीमारी

एक अनुमान के अनुसार 50 वर्ष की उम्र पार कर चुके पुरुषों को दिल की बीमारी होने का खतरा 40 फीसदी तक बढ़ जाता है। नेशनल हार्ट एसोसिएशन की रिपोर्ट के मुताबिक इस उम्र में रक्‍तवाहिनियां संकरी और सख्‍त हो जाती हैं। रक्‍तवाहिनियां की दीवारों पर प्‍लाक जम जाता है और हृदय को जाने वाले रक्‍त-प्रवाह पर असर पड़ता है। हर वर्ष हृदय की और रक्‍तचाप की समय-समय पर जांच करानी चाहिए। इससे कोई भी समस्‍या होने पर समय से पता चल जाएगा।

 

पैंनक्रियॉज कैंसर

पचास की उम्र के बाद पुरुषों को पैनक्रियाज कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। अमेरिका में 100 में से तीन मामले पैनक्रियाज कैंसर से संबंधित होते हैं, उम्रदराज पुरुषों में यह एक गंभीर समस्‍या है। पैनक्रियाज इनसुलिन जैसा हार्मोन बनाता है, जिससे शरीर में शर्करा की मात्रा नियंत्रित रहती है। पैनक्रियाज कैंसर के लक्षण अपने अंतिम चरण तक पहुंचने से पहले नजर नहीं आते। इसका खतरा पता लगाने के लिए ब्‍लड शुगर की नियमित जांच करानी चाहिए।

 

ऑस्टियोपोरोसिस

एक अनुमान के मुताबिक 40 वर्ष की उम्र के मुकाबले 50 वर्ष में पुरुषों को ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा ज्‍यादा होता है। यह हड्डियों से जुड़ी बीमारी है, इसमें हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। कैल्शियम ऑस्टियोपोरोसिस को रोकने का कारगर उपाय है। कैल्शियम 'बोन-मास' बनाने में मदद करता है और ऑस्टियोपोरोसिस के असर को भी कम करता है। पचास वर्ष या इससे ज्‍यादा उम्र के पुरुष को प्रतिदिन कम से कम 1200 मिलीग्राम कैल्शियम का सेवन करना चाहिए।

 

स्तंभन दोष

मेडस्‍केप के मुताबिक 50 वर्ष की आयु से अधिक के पुरुषों को स्तंभन दोष होने की आशंका बढ़ जाती है। उम्र बढ़ने पर पुरुषों की यौन सक्रियता कम हो जाती है। इसकी बड़ी वजह शरीर में सुचारू रूप से रक्‍त प्रवाह नहीं होना है। कुछ दवाओं के जरिये वैज्ञानिक इस समस्‍या के उपचार का दावा करते हैं।

 

कार्डियोवस्‍कुलर डिजीज

अमेरिका स्थित डिपार्टमेंट ऑफ हेल्‍थ कनेक्टिकट के मुताबिक 50 वर्ष से ज्‍यादा की उम्र वाले पुरुषों को कार्डियोवस्‍कुलर डिजीज होने का खतरा ज्‍यादा होता है। उन्‍हें इस उम्र में कार्डियोवस्‍कुलर बीमारी का खतरा थर्टीज के तुलना में 60 फीसदी अधिक होता है। इसमें हृदय रोग और स्‍ट्रोक जैसी समस्‍या आम है। इसके प्रमुख कारण डायबिटीज, अधिक वजन, उच्‍च रक्‍तचाप, कोलेस्‍ट्रॉल का स्‍तर, व्‍यायाम न करना और धूम्रपान अधिक करना होते हैं।

 

चोट के खतरे

अनजाने में चोट लगने का खतरा भी इस उम्र में अधिक होता है। उम्र बढ़ने पर चोट से उबरने की शारीरिक क्षमता कम हो जाती है। उम्र बढ़ने पर चोट लगने पर शरीर तेजी से रिकवर नहीं कर पाता। पुरुषों को इस उम्र में चोट लगने पर निमोनिया और रक्‍त के थक्‍के जमने की आशंका भी होती है। आपको चोट लग जाए तो अपनी सामान्‍य गतिविधियों पर लौटने से पहले शरीर को रिकवर होने का समय दें।

 

अवसाद

द नेशनल एसोसिएशन ऑफ हेल्‍थ के मुताबिक अवसाद 50 वर्ष से ऊपर के पुरुषों में होने वाली मानसिक समस्‍या है। इस उम्र में अधिकतर पुरुष अवसादग्रस्‍त होने लगता है। इसके लिए क्रियाशीलता, स्तंभन दोष, काम में गिरावट और आसपास के लोगों के दृष्टिकोण में होने वाले बदलाव उत्तरदायी हैं। अवसाद को शुरुआती चरण में ही रोका जाना चाहिए। अन्‍यथा यह गंभीर रूप ले सकता है।

पचास की उम्र पार करने के बाद पुरुष कई बीमारियों से दो चार होते हैं। इस उम्र में पुरुषों को अन्‍य कई बीमारियां भी घेर सकती हैं। लेकिन, ये नौ बीमारियां गंभीर है। उम्र बढ़ने पर जीवन का आनंद लेना न छोड़ें। जिंदगी का हर पल पूरे मजे के साथ जिएं।

 

 

 

 

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