यूं तो कैंसर के ज्यादातर मामले वयस्कों या उम्रदराज लोगों में ही देखने को मिलते हैं। लेकिन इस बीमारी की चपेट में बच्चे भी आ रहे हैं और इसके लिए सबसे अधिक जिम्मेदार कारक जानकारी का अभाव है। कैंसर शरीर के विभिन्न भागों में सामान्य कोशिकाओं के अनियंत्रित वृद्धि के कारण होता है। सामान्य परिस्थितियों में कोशिकाओं का एक नियंत्रित तंत्र होता है। कभी-कभी सामान्य कोशिकाओं के अंदर डीएनए मॅालीक्यूल्स में अपरिवर्तनीय क्षति के कारण कर्सिनोजन हमला कर देते हैं। यही कैंसर जैसी बीमारी का कारण बनता है। बचपन में कैंसर होना चाइल्डहुड कैंसर कहलाता है। इस लेख में इसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं।
कितने बच्चे इसकी चपेट में हैं
दुनियाभर में यह अनुमान लगाया गया है कि चाइल्डहुड कैंसर की वजह से प्रतिवर्ष 1 लाख 75 हजार बच्चों की मौत हो जाती है। एक शोध से पता चला है कि चाइल्डहुड कैंसर से मरने वाले बच्चों की मृत्यु दर लगभग 20 फीसदी थी, जिसमें लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
टॉप स्टोरीज़
क्या हैं इसके लक्षण
बच्चों में कैंसर के लक्षणों को पहचानना मुश्किल होता है। क्योंकि ये सामान्य बीमारी की तरह होते हैं। इसके प्रमुख लक्षण हैं – सुस्ती, कमजोरी, चक्कर आना, पीठ, पैर, जोड़ों में दर्द, सिरदर्द, असामान्य रक्तस्त्राव, मसूढ़ों से खून आना, भूख न लगना, वजन घटना, पेट में सूजन, पेटदर्द, कब्ज, सांस लेने में कठिनाई, लगातार खांसी, पीठ दर्द, पुतली के पीछे सफेद रंग आदि। ये लक्षण बच्चों की सामान्य बीमारियों की तरह ही हैं।
इसे भी पढ़ें:- बच्चों को भी हो सकती है हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या, ऐसे करें बचाव
बहुत जरूरी है देखभाल
बच्चों में कैंसर या दूसरी खतरनाक बीमारी न हो इसके लिए बच्चों की नियमित जांच और देखभाल बहुत जरूरी है। चूंकि बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है और कोई भी बीमारी उनको आसानी से हो सकती है। इसलिए बच्चों के मामले में लापरवाही न बरतें। देखभाल में इन बातों का विशेष ध्यान रखें, जैसे- कैंसर का प्रकार, कैंसर कितनी तेजी से बढ़ रहा है, क्या कैंसर शरीर के अन्य अंगों में फैल गया है आदि।
कैंसर के प्रकार बच्चों में होने वाले कैंसर के प्रकार वयस्कों की तुलना में अलग तरह के होते हैं, जैसे- ल्यूकीमिया, ब्रेन एंड अदर सेंट्रल नर्वस सिस्टम ट्यूमर, न्यूरोब्लास्टोमा, लिम्फोमा, रैब्डोमायोसरकोमा, रेटिनोब्लास्टोमा, बोन कैंसर आदि। आमतौर पर इसके अलावा अन्य प्रकार के कैंसर बच्चों में नहीं देखे जाते।
ल्यूकीमिया
बोन मैरो और ब्लड कैंसर को ल्यूकीमिया कहते हैं। बच्चों में पाए जाने वाले कैंसर में ल्यूकीमिया 30 फीसदी होता है। हड्डियों के जोड़ में दर्द, थकान, कमजोरी और त्वचा का पीला पड़ जाना आदि, इसके प्रमुख लक्षण हैं। कीमोथेरेपी ही इसका एकमात्र इलाज है।
लिम्फोमा
वजन घटना, बुखार, पसीना और थकान जैसे लक्षण इस प्रकार का कैंसर होने पर बच्चों में दिखाई पड़ते हैं।
न्यूरोब्लास्टोमा
कैंसर का यह प्रकार शिशुओं और छोटे बच्चों को होता है। यह शायद ही कभी 10 वर्ष से ज्यादा आयु के बच्चों में देखा गया हो। पेट में सूजन, हड्डी में दर्द और बुखार इसके प्रमुख लक्षण हैं।
सेंट्रल नर्वस सिस्टम ट्यूमर
इसमें सिरदर्द, उल्टी, धुंधला या डबल दिखना, चक्कर आना, चलते समय सहारे की जरूरत पडऩा जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं।
इसे भी पढ़ें:- वयस्कों को होने वाली इन 6 बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है बच्चों में
रेटिनोब्लास्टोमा
यह आंखों का कैंसर होता है। आमतौर पर यह 2 साल की उम्र के आसपास होता है। लक्षण के तौर पर आंखों में लाल रंग दिखता है तथा आंखों की पुतली अक्सर सफेद या लाल लगती है।
रैब्डोमायोसरकोमा
कैंसर का यह प्रकार सिर, गर्दन, कमर, पेट, हाथ और पैर के अलावा शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। इस कैंसर के मामले बेहद कम सामने आते हैं। बोन कैंसर बच्चों में होने वाली बोन कैंसर की बीमारी हड्डियों को प्रभावित करता है। यह शरीर के किसी भी अंग से शुरू होकर हड्डियों में फैलता रहता है। इससे हड्डियों में सूजन और दर्द की समस्या होती है। ट्यूमर और इसके पास के ऊतकों को हटाने के लिए सर्जरी, ट्यूमर व कैंसर की कोशिकाओं की वृद्धि को धीमा करने या नष्ट करने के लिए कीमोथेरेपी कैंसर का उपचार है।
ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप
Read More Articles On Child Health in Hindi