जल्द ही आप अपनी गर्भावस्था की पहली तिमाही पूरी करने वाली हैं। साथ ही गर्भावस्था का नाजुक समय भी अब पूरा हो जाएगा। आप चाहें तो कुछ दिनों बाद गर्भवती होने की खुश खबरी आप रिश्तेदारों और दोस्तों को दे सकती हैं।
शुरूआती तीन महीने पूरे होने के बाद आपको सुबह के समय होने वाली परेशानी में कमी आएगी। दोस्तों और रिश्तेदारों से यह खुशखबरी शेयर करते हुए आपको बहुत अच्छा लगेगा। इस समय आकर गर्भपात का जोखिम भी कम हो जाता है। पहली बार गर्भवती होने वाली महिलाएं पहली तिमाही के अंत में बच्चे का नाम तलाशना शुरू कर देती हैं। अब आपको गर्भावस्था के बारे में चिंता नहीं करनी चाहिए।
अब आप गर्भावस्था के ऐसे स्तर पर पहुंच गई हैं कि आपके चिकित्सक को माता-पिता के परिवार के चिकित्सा इतिहास के बारे में जानकारी होनी चाहिए। आप पहले से ही अपनी दिनचर्या में व्यायाम और संतुलित आहार हो शामिल कर चुकी होंगी। पहले के मुकाबले आप काम करना कम कर दें। स्काइंग और घुड़सवारी आदि गतिविधियों से दूर रहें। इस लेख के जरिए हम आपको देते हैं गर्भावस्था के दसवें हफ्ते से जुड़ी अन्य जानकारियां।
शिशु का विकास
इस समय गर्भ में पल रहे भ्रूण का आकार 1.25 इंच से 1.68 इंच तक होना चाहिए। गर्भस्थ शिशु का दसवें हफ्ते में वजन बढ़ाना जारी रहेगा और इस समय यह करीब 50 ग्राम वजन का होता है। इससे कम या ज्यादा वजन होने पर चिंता न करें। प्रत्येक भ्रूण का विकास अलग तरह से होता है। ऐसे में आप डॉक्टर की निगरानी में होती है, इसलिए किसी भी तरह की परेशानी होने पर डॉक्टर आपको आगाह करेंगे।
दसवें हफ्ते में भ्रूण का आकार पूरी तरह से बन जाता है, अब बच्चे के अंगों व प्रणालियों का विकास जारी रहेगा। भ्रूण की पूंछ अब गायब हो गई है, हाथ और पैरों की अंगुलियां एक दूसरे से अलग हो गई हैं। साथ ही स्वाद ग्रंथि और बच्चे के मस्तिष्क का भी विकास शुरू हो रहा है। बच्चे का दिल भी विकसित हो रहा है। आने वाले महीनों में गर्भस्थ शिशु का विकास जारी रहेगा। विकास तब तक जारी रहेगा जब तक सभी अंग पूरी तरह से कार्य करने में सक्षम नहीं हो जाएंगे।
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आपके शरीर में परिवर्तन
अब आपको गर्भावस्था के कई नए लक्षणों का अनुभव हो रहा होगा। इस समय सबसे अहम परिवर्तन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के स्तर का बढ़ना होता है। इससे आपके स्तनों के आकार में वृद्धि से स्तनों में नरमी और सूजन आ सकती है।
आपको अब थोड़ी मेहनत करने पर ही थकान हो जाती है। इसे लापरवाही में न लें और शरीर की आवाज को सुनें। यदि शरीर आराम मांग रहा है तो भरपूर आराम करें। हो सकता है सुबह के समय होने वाली परेशानी आपको अभी भी होती रहे। इस समय पहली बार गर्भवती होने वाली महिलाओं को पेट दर्द भी महसूस होता है। यह दर्द गर्भाश्य में शिशु का आकार बढ़ने के कारण हो सकता है।
गर्भवती महिलाओं में गंध की संवेदनशिलता में एक असाधारण वृद्धि हुई है, इस समय वे अति संवेदनशील हो जाती हैं और इस कारण मितली की समस्या भी हो सकती है। आपकी किसी चीज को खाने की इच्छा हो रही है तो अपनी खाने-पीने की आदत पर संयम रखें। ज्यादा वजन बढ़ना मां या गर्भस्थ शिशु दोनों के लिए अच्छा नहीं है।
सिरदर्द के साथ ही आपको चक्कर आने की परेशानी हो सकती है। इस समस्या का कारण हार्मोनल बदलाव हो सकता है। हाइड्रेटेड रहे और अपने पर्स में कुछ मीठी चीज रखें, यह शुगर का लेवल डाउन होने पर आपकी मदद करेगा। नाश्ते और दोहपर के भोजन में क्या आहार लें, इस बारे में भी डॉक्टर से परामर्श करें।
क्या उम्मीद होती है
गर्भावस्था के अगले आने वाले समय के दौरान आपकी भावनाओं में बदलाव होगा। आप अति उत्तेजना के साथ ही झिझक भी महसूस करेंगी। इस समय आप जो भी महसूस कर रही हैं, यह सामान्य है। अपने खुशी के पल और भावनात्मक विचारों को आप अपने पार्टनर से बांट सकती हैं। यदि शारीरिक रूप से आपको कोई परेशानी हो रही है तो बिना किसी संकोच के चिकित्सक से परामर्श लें।
संतुलित भोजन के लिए आप आहार योजना का पालन करें। आप फास्ट फूड खाने की शौकीन हैं, तो इसमें कमी लाएं। बाहर के खाने से बचना चाहिए। जल्दी-जल्दी खाने की आदत पर भी नियंत्रण करें। परिवार के दूसरे सदस्यों के साथ बैठकर खाने से आपकी इस आदत में सुधार होगा। ऐसा करने आपका पाचन तंत्र सही रहेगा। इससे यह फायदा होगा कि आपको अपने दिल में कम जलन महसूस होगी। खाने के बाद टहलने की आदत बनाएं। डॉक्टर से परामर्श किए बिना किसी भी दवा का सेवन नुकसादनदायक हो सकता है।
सुझाव
गर्भधारणा के इस हफ्ते में आप पिछली सभी चीजों को जारी रख सकती हैं। आने वाले हफ्तों में आपको क्या खाना है क्या नहीं, इस बारे में आपको डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। धूम्रपान और शराब का सेवन गर्भस्थ शिशु के लिए बहुत नुकसानदेह है। यदि आप पहले से सिगरेट पीती हैं और एल्कोहल का सेवन करती हैं, तो प्रेग्नेंट होने का पता चलने पर अपनी इस आदत पर नियंत्रण शुरू कर दें।
इस समय आपको गर्भावस्था में देखभाल और शिशु की देखभाल संबंधी किताबे पढ़नी चाहिए। किसी भी एक अच्छी किताब का चयन करें और समय निकालकर इसे पढ़ती रहे। मन में किसी भी तरह का सवाल होने पर डॉक्टर से बात करें। डॉक्टर को आपकी गर्भावस्था की स्थिति के बारे में पूरी तरह से पता होता है। आप इंटरनेट से भी गर्भावस्था से जुड़ी जानकारी जुटा सकती हैं। यह जानकारी आपको तनाव से राहत देगी।
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