समझदारी कोई नयी चीज नहीं है। लेकिन, मौजूदा वक्त में इसे काफी तवज्जो जरूर मिलने लगी है। किसी काम को हड़बड़ाहट और जल्दबाजी में करने को सही नहीं माना जाता। लोग मानने लगे हैं कि अहम फैसले लेने से पहले जरा सब्र से काम लेना चाहिए। एक पल को ठहरकर उस लम्हे का पूरा अवलोकन करना चाहिए। ठहराव, कमजोरी या रफ्तार की कमी नहीं है। ठहराव समझदारी और होशियारी का ही दूसरा रूप है। आजकल हमारी जिंदगी की रफ्तार बुलेट ट्रेन से तेज हो गयी है। घर और दफ्तर की आपाधापी में हमारे पास वक्त ही कहां बचता है। निजी जीवन में सोशल मीडिया की बढ़ती दखल ने अपनत्व का रस भी कम कर दिया है। लगातार स्टेटस अपडेट करने के दबाव ने मनोभावों को भी बंदी बना लिया है।
जब हमारी जिंदगी तकनीक पर इस कदर निर्भर नहीं थी, तब कुछ सुकून था। लोगों के पास अपनी जिंदगी के फैसले लेने के लिए वक्त हुआ करता था। और जल्दबाजी मानवीय स्वभाव का हिस्सा इस हद तक नहीं थी कि उसे हालात का जायजा लेने तक का वक्त न मिले। व्यवहार और आहार दोनों में समझदारी, ठहराव और होशियारी नजर आती थी। लेकिन, आज के दौर में सब दो मिनट नूडल्स की तरह हो गया है। सब कुछ चाहिये और वह भी फटाफट।
हाल ही में अमेरिका के प्रतिष्ठित अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स में माइंडफुल ईटिंग यानी समझदारी से भोजन करने पर एक लेख प्रकाशित हुआ। इसमें बताया गया कि समझदारी से खाना यानी जरूरत के अनुसार खाना। भोजन के साथ हमारे रिश्ते बहुत पेचीदा होते हैं। कुछ लोगों के लिए भोजन स्व-नियंत्रण का हिस्सा होता है, तो कुछ के लिए यह तनाव मुक्ति का यह जरिया होता है।
लेकिन, आखिर इस मांइडफुल इटिंग का सही तरीका क्या है। आइए जानते हैं ऐसी कुछ बातों के बारे में -
पूरा ध्यान केवल भोजन पर
मांइडफुल ईटिंग का अर्थ है अपने आहार पर ध्यान देना। और जब आपका ध्यान भटका हुआ हो, तो एकाग्र कर पाना मुश्किल होता है। तो, भोजन करते समय सबसे पहले टीवी और फोन को बंद कर दीजिये। अपना पूरा ध्यान आहार पर लगाइए। कुछ लोगों का सुझाव है कि भोजन जमीन पर बैठकर करना चाहिये। लेकिन, मोटी बात यह है कि भोजन करते समय केवल भोजन करें, मल्टीटास्किंग होने से बचें।
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क्या आपका भोजन स्वस्थ है
क्या आप जो भोजन कर रहे हैं, वह स्वस्थ है? क्या इसमें विटामिन, पोषक तत्व और प्रोटीन हैं? यह बात तब और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है, जब आप बाहर भोजन करते हैं। घर पर बने भोजन में आमतौर पर पोषक तत्वों का खयाल रखा जाता है, लेकिन बाहर कई बार इन सब जरूरी बातों को इतनी तवज्जो नहीं दी जाती। बाहर के भोजन को पोषक तत्वों से ज्यादा स्वाद से जोड़कर देखा जाता है।
शुक्रराना करें
अपने भोजन के लिए शुक्रिया अदा करें। जरूरी नहीं कि आप भोजन से पहले प्रार्थना करें। लेकिन, आपको इस भोजन के लिए शुक्रिया जरूर अदा करना चाहिये। दुनिया में करोड़ों लोगों को रोजाना अच्छा भोजन करने को कहां मिलती है।
भूख और प्यास में अंतर
क्या आपको अपनी भूख का अंदाजा है? जी, कई बार आपको असली भूख और प्यास के बारे में अंदाजा ही नहीं होता। कई बार आपको प्यास लगी होती है, और उसे भूख समझ लेते हैं। यदि आपके लिए इस अंतर को समझ पाना मुश्किल हो, तो जब भी आपको भूख लेग आप एक गिलास पानी पी लीजिये। और इसके कुछ देर बाद अंतर महसूस कीजिये। बहुत संभव है कि आप भूख न होने पर भी खाये जा रहे हों।
कब पेट है भरा
इसके साथ ही पेट भरा होना, पेट भरे होने का अहसास होना, दोनों बिलकुल अलग चीजें हैं। क्या पेट भरा होने के स्तर होते हैं, या फिर आपको अचानक इस बात का अहसास होता है कि आपका पेट भर गया है। और अब आपके लिए कुछ और खा पाना असंभव है। भोजन के दौरान अपने शरीर के संकेतों को समझने का प्रयास करें। बहुत संभव है कि धीरे-धीरे आप अपने भोजन के बारे में बेहतर जान पाएंगे। आयुर्वेद में भी कहा गया है कि पेट केवल तीन चौथाई ही भरना चाहिये। यह भी कहा जाता है कि हमारे मस्तिष्क तक पेट भरा होने के संकेत पहुंचने में 20 मिनट लगते हैं। ऐसे में आपको भोजन करते समय अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए।
भोजन से पहले की तैयारी
भोजन से पहले, भोजन के दौरान और भोजन के बाद अपनी मनोदशाओं का ध्यान रखें। देखें कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं। अपनी भावनाओं को देखें और जानने की कोशिश करें कि आखिर भोजन के बाद आप चिंतित होते हैं, क्या आप स्वयं को संतुष्ट महसूस करते हैं या आप अधिक शक्तिशाली महसूस करते हैं। हम जानते हैं कि हममें से अधिकतर लोग भावनात्मक प्रवाह में भोजन करते हैं, तो इसलिए भोजन करते समय हम कैसा महसूस कर रहे हैं, इसका ध्यान रखना भी जरूरी है।
धीरे-धीरे खायें
भोजन को धीरे-धीरे खायें। कई लोग इतनी जल्दी-जल्दी भोजन करते हैं कि वे उसके असली रस का आनंद ही नहीं ले पाते। उनकी स्वाद ग्रंथियां उन रसों को अच्छी तरह स्वाद नहीं ले पातीं। भोजन के रंग, गंध और स्वाद का पूरा आनंद लें।
हर बाइट के बाद बर्तन नीचे
समझदारी से खाने का एक तरीका यह है कि आप हर बाइट के बाद अपने बर्तन नीचे रख दें। और अगली बाइट के लिए उसे दोबारा उठायें। इससे आप धीमा खाएंगे, और आपके शरीर को भोजन पचाने का वक्त मिलेगा। और इससे आपका पेट भी जल्दी भरेगा।
भोजन को अच्छी तरह चबाकर खायें
कहते हैं रोटी खायें, पानी पियें। यानी भोजन को इतनी अच्छी तरह चबाइये कि उसे आसानी से निगला जा सके। जब आप भोजन को अच्छी तरह चबाते हैं, तो आप उसके हर रस का स्वाद ले पाते हैं। भोजन अच्छी तरह पचता है। और साथ ही आप अतिरिक्त खाने से बचते हैं।