ऑस्टियोपारोसिस एक किस्म का हड्डियों का रोग है जिससे आपकी हड्डियां अपनी सघनता खो बैठती हैं, और आपकी हड्डियां छिद्रित, भूरभूरी और कमज़ोर हो जाती हैं और एक मामूली सी चोट से भी फ्रैकचर्ड हो जाती हैं यानि कि टूट फूट जाती हैं। ऑस्टियोपारोसिस होने के कई कारण होते हैं।
हड्डियों में दो ख़ास खनिज पदार्थ जैसे किए फॉसफारस और कैल्िशयम का समावेश होता है। जब आपके शरीर में फॉसफारस और कैलसियम की कमी हो जाती है तो ऑस्टियोपारोसिस जैसा रोग विकसित होता है। इसके अलावा नीचे दिए गए कारणों से भी आपका शरीर इस रोग से ग्रसित हो जाता है।
ऑस्टियोपारोसिस के कारण
मेनोपौज़ यानि कि रजोनिवृति: जब कोई महिला मेनोपौज़ की अवस्था पर पहुँचती है तो उसके शरीर में एस्टरोजन हौरमोन्स की कमी हो जाती है। एस्टरोजन हौरमोन्स (जिन्हें मादा हौरमोन्स भी कहते हैं) आपकी हड्डियों को स्वस्थ रखने में एक अहम् भूमिका निभाते हैं। ये हौरमोन्स आपकी हड्डियों में पर्याप्त मात्रा में कैल्सियम संचय करके रखते हैं जिससे कि आपकी हड्डियां घनी और मज़बूत रहती हैं। और एस्टरोजन हौरमोन्स की कमी के कारण आपकी हड्डियों को नुकसान पहुंचाता है जो कि आपको ऑस्टियोपारोसिस की तरफ ले जाता है।
विटामिन डी की कमी : विटामिन डी ऑस्टियोपारोसिस और हड्डियों की अन्य बीमारियों को रोकने में एक अहम् भूमिका निभाता है। कैल्सियम की कमी को पूरा करने के लिए आप कैल्सियम युक्त आहार का सेवन करते हैं, लेकिन आपका शरीर इस तरह का आहार पचाने में तब तक असमर्थ होता है जब तक कि उसमे विटामिन डी का समावेश नहीं हो जाता है। इसीलिए आपको अपने शरीर को पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी की आपूर्ति करना ज़रूरी होता है जिससे कि आपका शरीर कैलसियम का आसानी से अवशोषण सके और ऑस्टियोपारोसिस होने का खतरा भी न रहे। लेकिन आपका शरीर अपने आप में विटामिन डी नहीं बना सकता जिसके कारण आपको बाहरी स्रोतों पर निर्भर होना पड़ता है। कुछेक खानपान और सामग्रियां जैसे कि मछली, मछली का तेल, अंडे, सॉय मिल्क, सूरजमुखी तेल, विटामिन डी के अच्छे स्रोत हैं। लेकिन अगर सच कहा जाए तो सूर्य की किरणें विटामिन डी का एक नैसर्गिक और उम्दा स्रोत होती हैं। जब आप अपनी त्वचा को सूर्य की किरणों से नहलाते हैं तो वो स्वयं विटामिन डी का उत्पादन शुरू कर देती है।
नियमित रूप से कम से कम 15 मिनट सूर्य की किरणों से नहाने से पूरे दिन के लिए आपके शरीर की विटामिन डी की आवश्यकता पूरी हो जाती है।
विटामिन सी की कमी : ऑस्टियोपारोसिस को रोकने के लिए एक अति महत्वपूर्ण विटामिन है विटामिन सी। इस विटामिन में हड्डियों की सघनता बढाने, रक्तसंचार को सुचारू करने और शरीर में रोग प्रतिकारक शक्ति को विकसित करने की ताकत होती है। आजकल इस विटामिन का ऑस्टियोपारोसिस की चिकित्सा के लिए भी उपयोग किया जाता है। ये विटामिन आपकी पाचन शक्ति को बढाता है और कैल्सियम के अवशोषण में भी सहायक सिद्ध होता है।
उम्र भी एक अन्य कारण होती है शरीर के अन्दर ऑस्टियोपारोसिस के विकसित होने की। जैसे जैसे आपकी उम्र बढती जाती है वैसे वैसे आपकी पाचन शक्ति कमज़ोर होती जाती है और आपके आहार में मिले हुए कैल्सियम का अवशोषण धीमा होता जाता है, जिसके कारण शरीर में की कैल्सियम कमी हो जाती है और नतीजा- ऑस्टियोपारोसिस।
हाइपरथायरौईडीज़म: थाईरौइड की समस्या जैसे कि हाइपरथायरौईडीज़म एक बहुत बड़ा कारण होता है ऑस्टियोपारोसिस के विकसित होने की। होर्म़ोन की पूर्ति के कारण या किसी और कारण से जब आपका शरीर आवश्यकता से अधिक थाईरौइड होर्म़ोन पैदा करता है तो आपके मल मूत्र के ज़रिये कैल्सियम और फॉसफारस का अधिक निष्काषण होता है जिसके कारण हड्डियों को हानि पहुँचती है और आप ऑस्टियोपारोसिस रोग का शिकार हो जाते हैं।
रह्युमटोइड: ऑस्टियोपारोसिस और रह्युमटोइड में एक गहरा नाता होता है। अगर आप रह्युमटोइड आर्थराईटिस के रोगी हैं तो आपके अन्दर ऑस्टियोपारोसिस के विकसित होने का ख़तरा अधिक होता है। कुछ शोधकर्ताओं का ये मानना है कि जब आप रह्युमटोइड आर्थराईटिस के उपचार के लिए दवाईयां लेते हैं तो आपकी हड्डियों को बड़ी मात्रा में हानि पहुंचाती है।
यकृत का रोग: सिरोसिस, यकृत यानि लीवर की एक अति गंभीर बीमारी होती है जिससे कि हड्डियों को नुकसान पहुँचता है और ऑस्टियोपारोसिस हो जाता है। यकृत की अन्य बीमारियाँ भी ऑस्टियोपारोसिस होने का कारण बनती हैं। तो ये आवश्यक है कि आप अपने यकृत को धूम्रपान और मदिरा से दूर रखें और ऐसे खान पान का सेवन करें जो कि आपके यकृत को हमेशा स्वस्थ रखें।
शारीरिक गतिविधियों की कमी: एक सुस्त और गतिहीन जीवन शैली और शारीरिक गतिविधियों की कमी से भी ऑस्टियोपारोसिस होने का खतरा बढ़ जाता है। इसीलिए मज़बूत हड्डियों के लिए और अपने आपको ऑस्टियोपारोसिस का शिकार होने से बचने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करें और अपने शरीर को फूर्तिला रखें।