जिंदगी में कई बार ऐसे हालात आते हैं जब हम निराशा से धिर जाते हैं। इस स्थिति से उबरने के लिए 'एसेक्स यूनिवर्सिटी' के शोधकर्ताओं ने एक नायाब तरीका निकाला है। इसे अपनाकर मस्तिष्क को महज सात दिन में आशावादी बनने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है।
इस प्रशिक्षण में दो तरह के मानसिक व्यायाम शामिल हैं। पहले में मुस्कुराते और गुस्साए हुए चेहरों पर गौर करना होता है। दूसरे में 20 मिनट तक ध्यान लगाना होता है। इसके लिए किसी शांत जगह पर बैठकर अपने शरीर की संवेदनाओं जैसे शरीर के वजन और हर आने-जाने वाली सांस पर ध्यान केंद्रित करना होता है।
शुरुआती दौर में 10 मिनट से ध्यान लगाने का अभ्यास शुरू किया जाता है। धीरे-धीरे इसे बढ़ाकर रोजाना 20 मिनट तक किया जाता है। इससे लोगों के मस्तिष्क में पैदा होने वाले विचार बिना किसी रुकावट के आसानी से मस्तिष्क में आ-जा सकते हैं। दूसरे व्यायाम में एक स्क्रीन पर 15 सामान्य व 15 गुस्साए हुए चेहरे दिखाए जाते हैं। इनमें एक मुस्कुराता हुआ चेहरा भी होता है। लोगों को इस चेहरे को पहचान कर क्लिक करना होता है। इससे सकारात्मक भाव वाले चेहरे को पहचानने की क्षमता बढ़ती है। यह प्रक्रिया आशावादी सोच का स्तर बढ़ाती है।
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