सपने देखना और उसे पूरा करना आदमी की सबसे अहम जरूरत होती है, सभी सपने देखते हैं और उसे पूरा करने की कोशिश में जुट जाते हैं। अपने सपनों और इच्छाओं को पूरा करते-करते कई तो सफल होते हैं और कई असफल।
यानी जरूरी नहीं कि आपको हर कदम में सफलता मिले, असफलता भी जिंदगी का सबसे अहम पड़ाव है। लेकिन ऐसे में गलत कदम उठाना और खुद को असफलता के लिए जिम्मेदार मानकर चोटिल करना सही नहीं है।
कई फिल्मों में आपने देखा होगा कि फेल होने पर हीरो खुद को ही चोटिल करता है, क्योंकि वो इसके लिए खुद को जिम्मेदार मानता है। आत्महत्या बढ़ती संख्या भी इसका उदाहरण हो सकता है। कई लोग तो असफल होने पर अपने अंगों को चोटिल कर लेते हैं।
लेकिन खुद को आहत करने से अच्छा है कि आप परिस्थितियों को समझने की कोशिश कीजिए, असफल होने का मतलब यह नहीं कि आगे आप सफल नहीं हो सकते हैं, असफलता ही किसी का अंत नहीं बल्कि प्रयास करना और उसे पाना ही जिंदगी है।
क्या कहता है शोध
असफल होने के बाद खुद को चोटिल करने के कारणों के पीछे हफिंटन पोस्ट में एक रिसर्च छपा। इस रिसर्च में यह जानने की कोशिश की गई कि आखिर ऐसे कौन से कारण हैं जिनके कारण फेल होने पर लोग खुद को आहत करते हैं। इसमें यह बात सामने आयी कि लोग फेल होने के बाद उसका सामना करने के लिए तैयार नहीं होते हैं, उनको लगता है कि यहीं उनके जीवन का सबसे बुरा पड़ाव है और इससे भयानक कुछ नहीं हो सकता। ऐसे में वे खुद को आहत करते हैं।
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स्वीकार कीजिए
फेल होने का मतलब यह नहीं कि आप इस दुनिया में अकेले ऐसे इनसान है जो असफल हुए हैं, आपके जैसे कई लोग और भी उसी लिस्ट में हैं। इस बात को समझने की कोशिश कीजिए। फेल होने का प्रमुख कारण होता है आपके द्वारा की गई गलतियां, अपनी गलतियों को छुपायें नहीं बल्कि उसे स्वीकार करके उसका हल निकालने की कोशिश कीजिए।
दोबारा प्रयास कीजिए
फेल होने का मतलब यह नहीं कि आप उसे दोबारा नहीं पा सकते, और ये भी नहीं कि उसके लिए आप प्रयास नहीं कर सकते हैं। अपनी गलतियों को स्वीकार कीजिए और फेल होने के कारणों को जानकर दोबारा प्रयास कीजिए। अपनी गलतियों को सुधारिये फिर देखिये अगती बार कैसे आपको सफलता नहीं मिलती है। जबकि खुद को आहत करने से दुख और दर्द ही मिलेगा।
गलतियों को सुधारें
असफलता का मतलब यह कि सफलता के लिए प्रयास पूरे मन से नहीं किया गया और आपकी तैयारी में ही किसी न किसी प्रकार की त्रुटि हुई है। यानी आप फेल तभी होते हैं जब पूरे मन और अपने सामर्थ्य से प्रयास नहीं करते हैं। अगली बार प्रयास करते वक्त अपनी गलतियों को सुधारने का प्रयास कीजिए और दोबारा पूरी तैयारी के साथ सफलता पाने की कोशिश कीजिए।
छात्रों में असफलता के बाद खुद को चोटिल करने की प्रवृत्ति सबसे अधिक देखी गई है। एग्जाम्स में कम नंबर पाने और फेल होने की स्थिति में वे आत्महत्या का प्रयास करते हैं। ऐसे में उनको सांत्वना देने की जरूरत सबसे अधिक है।
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