एक आमधारणा है कि यदि हल्की चोट या खरोंच लग जाए तो उसे चाटकर ठीक किया जा सकता है क्योंकि लार एंटीबैक्टीरियल होता है। शायद इसी वजह से अक्सर लोग छिलने, कटने पर तुरंत थूक लगाकर उसे ठीक करने लगते हैं। उन्हें लगता है कि इससे घाव जल्द ठीक हो जाएगा। तो क्या वाकई घाव को चाट लेने भर से वह ठीक हो जाता है, या लोग सिर्फ खुद की तसल्ली के लिए ऐसा करते हैं। आइए ऐसे ही कुछ अनसुलझे सवालों से जुड़े तथ्य हम आपको इस लेख के माध्यम से बता रहे हैं।
गैनेस्विल्ले स्थित फ्लोरिडा विश्वविद्यालय में शोधकर्ताओं ने चूहों की लार में एक तंत्रिका विकास कारक एनजीएफ (NGF) नामक प्रोटीन की खोज की है। एनजीएफ (NGF) के साथ भिगोये गए घाव बिना इलाज और बिना चाटे हुए घावों के मुकाबले दुगनी तेजी से भरे। हालांकि लार कुछ प्रजातियों में घाव भरने में मदद कर सकती है। एनजीएफ मानव लार में नहीं पाया जाता, हालांकि शोधकर्ताओं ने पाया कि मानव लार में ऐसे जीवाणुरोधी एजेंट के रूप शामिल हैं जैसे स्रावी आईजीए (IgA), लैक्टोफेरिन, लाइसोजाइम और पैरौक्सीडेज। शोध में यह दिखाया नहीं गया कि मानव द्वारा घावों को चाटना उन्हें रोगाणुओं से मुक्त करता है, परन्तु संभावना है कि चाटना बड़े संदूषकों जैसे धूल को निकालकर घाव को साफ करने में मदद करता है और रोगजनक पदार्थों को झाड़कर सीधे मदद कर सकता है। इसलिए, चाटना रोगाणुओं को साफ करने का तरीका है और यदि जानवर या व्यक्ति के पास साफ पानी उपलब्ध न हो तो यह उपयोगी भी है।
घाव को चाटने के नुकसान भी हैं!
हमारे घावों को सही करने में भले ही लार फायदेमंद होता है। लेकिन इसके हानिकारक प्रभाव भी है। दरअसल, हमारे मुंह के अंदर कुछ नुकसानदेह बैक्टीरिया भी पाए जाते हैं जो गहरे घावों पर उल्टा असर कर सकते हैं। इससे किसी प्रकार का इंफेक्शन हो सकता है। हालांकि ऐसा उन्हें होने की संभावना ज्यादा रहती है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, क्योंकि ऐसे लोग लार से होने वाले इन्फेक्शन से मुकाबला नही कर पाते हैं। इसके अलावा कुछ चोटें या घाव ऐसे भी होते हैं, जिन्हें चाटने पर वह मुंह के रास्ते आपके शरीर में पहुंचकर भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
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जानवरों के है अनुकूल!
जैसा कि हमने पहले भी बताया कि जानवरों की ज्यादातर प्रजातियों में लार उनके खुद के घावों के लिए बहुत फायदेमंद होती है। खासकर उन जानवरों की लार, जो जंगल में रहते हैं। जंगल में उन्हें कोई चोट लगने पर वहां कोई इंसान नहीं होता उसका इलाज करने के लिए। ऐसे में ये जानवर खुद की चोट को चाटकर ही सही कर लेते हैं।
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