आपने अपने आसपास कुछ ऐसे लोगों को ज़रूर देखा होगा, जिन्हें अक्सर सिर में भारीपन और बंद नाक की वजह से सांस लेने में तकलीफ की शिकायत होती है। दरअसल ऐसे लोग साइनोसाइटिस यानी साइनस की समस्या से पीड़ित होते हैं आइए इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानते हैं—
मर्ज को जानें
इस समस्या की वजहों को जानने से पहले यह समझना बहुत ज़रूरी है कि आखिर यह मर्ज क्या है? दरअसल सिर के स्कैल्प (खोपड़ी) की हडिड्यों में असंख्य बारीक छिद्र होते हैं, जिनके माध्यम से ब्रेन तक ऑक्सीजन पहुंचता है। सर्दी-ज़ुकाम होने की स्थिति में इन छिद्रों में कफ भर जाता है, जिससे व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होती है और सिर में भारीपन महसूस होता है। इसी अवस्था को साइनोसाइटिस कहा जाता है। कुछ लोगों को ज़ुकाम बहुत कम होता है या एक-दो दिनों के भीतर ही रनिंग नोज़ को समस्या दूर हो जाती है। ऐसे में लोगों की नाक से गंदगी बाहर नहीं निकल पाती और धीरे-धीरे यही कफ साइनस की वजह बन जाता है। इसलिए सर्दी-ज़ुकाम की शुरुआत होते ही, कभी भी उसे दवा से रोकने की कोशिश न करें अन्यथा, इससे साइनस हो सकता है।
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समस्या के विभिन्न रूप
सांस लेने में तकलीफ और नाक का बंद होना आदि साइनोसाइटिस के प्रमुख लक्षण हैं। इसके अलावा कारणों और लक्षणों की तीव्रता के आधार पर इसे कुछ अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। आइए जानते हैं, इसके विभिन्न रूपों के बारे में :
एक्यूट : इसमें सर्दी-ज़ुकाम के लक्षण नजर आते हैं। लगातार नाक से पानी बहना या अचानक नाक बंद हो जाना जैसे दोनों ही लक्षण दिखाई दे सकते हैं। कई बार यह समस्या महीनों तक बनी रहती है। बैक्टीरियल इन्फेक्शन इसकी प्रमुख वजह है। यह संक्रमण लोगों की सांस की नली के ऊपरी हिस्से में हो जाता है और इसे दूर करने के लिए एंटीबायोटिक्स, पेन किलर्स और नेज़ल ड्रॉप्स लेने की ज़रूरत पड़ती है। ऐसी समस्या होने पर ज्य़ादा से जयादा पानी पीना और स्टीम लेना फायदेमंद होता है।
सब-एक्यूट साइनस : इसके सारे लक्षण एक्यूट साइनस की ही तरह होते हैं। लगभग महीने-दो महीने में इसके लक्षण दूर हो जाते हैं।
रीक्यूरेंट : जिन लोगों को पहले से ही एस्थमा या एलर्जी की समस्या होती है, साथ ही अगर उनकी नाक भी बंद हो तो ऐसी अवस्था को रीक्यूरेंट साइनस कहा जाता है।
क्रॉनिक : जब यह समस्या वर्षों तक ठीक नहीं होती और इससे नाक में जलन, दर्द और सूजन की समस्या होती है तो इसे क्रॉनिक साइनोसाइटिस कहा जाता है। ऐसा होने पर पीड़ित व्यक्ति के सिर में दर्द और व्यवहार में चिड़चिड़ापन बना रहता है।
प्रमुख लक्षण
- सिर और आंखों में तेज़ दर्द
- आवाज़ में भारीपन
- हलका बुखार और बेचैनी
- जबड़े, गालों और दांतों में दर्द
- सूंघने की क्षमता प्रभावित होना
- भोजन में अरुचि
- नाक से पानी गिरना और छींकें आना
क्या है वजह
नाक की हड्डी की संरचना में जन्मजात गड़बड़ी, कुछ लोगों में नाक की हड्डी का आकार अपने आप भी बढ़ जाता है। चेहरे या नाक पर गंभीर चोट लगना जो लोग किसी एलर्जी के प्रति संवेदनशील होते हैं, उनमें साइनस होने की आशंका अधिक होती है। प्रदूषण भरे वातावरण में रहने या ज्य़ादा स्मोकिंग करने वाले लोगों को भी ऐसी समस्या हो जाती है। कुछ स्वास्थ्य समस्याओं के लक्षण साइनस से मिलते-जुलते होते हैं। जानते हैं, ऐसी ही दूसरी बीमारियों के बारे में :
फ्लू : लगातार छींक और खांसी, सिर और गले सहित पूरे शरीर में दर्द और बुख्रार। मामूली सर्दी-ज़ु$काम की तुलना में यह समस्या ज्य़ादा तकलीफदेह होती है। मरीज़ पर लगभग 5-7 दिनों तक इसका असर नज़र आता है।
सर्दी-ज़ुकाम : वायरल इन्फेक्शन की वजह से जब सांस की नली प्रभावित होती है तो उसी दशा में लोगों को सर्दी-जुकाम की समस्या होती है। आंखों और नाक से लगातार पानी बहना, सिरदर्द, खांसी-बुखार और गले में खराश आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं। ऐसे में दवाएं लेने के बजाय 2-3 दिनों तक आराम करना ज्य़ादा कारगर साबित होता है।
अस्थमा : जब व्यक्ति के फेफड़े किसी खास वस्तु के प्रति एलर्जिक हो जाते हैं तो उस स्थिति को एस्थमा कहते हैं। इससे सांस की नली में सूजन आ जाती है और फेफड़ों तक पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती। आनुवंशिकता, मौसम में बदलाव, फूलों के पोलन से होने वाली एलर्जी और प्रदूषण को इसके लिए जि़म्मेदार माना जाता है। बचाव के लिए इनहेलर का इस्तेमाल और दवाओं का सेवन ज़रूरी है।
सीओपीडी : ज्य़ादा स्मोकिंग करने वाले लोग सीपीओडी यानी क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मनरी डिजी़ज़ के शिकार हो जाते हैं। सर्दियों में बैक्टीरिया की सक्रियता की वजह से समस्या बढ़ जाती है। इससे फेफड़ों में इन्फेक्शन हो सकता है और सांस लेने में भी तकलीफ होती है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए।
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