अगर पीठ, कमर या पैरों में लगातार तेज दर्द रहता हो तो इसे अनदेखा न करें क्योंकि यह सायटिका जैसी गंभीर समस्या भी हो सकती है। अकसर महिलाएं अपनी सेहत के प्रति लापरवाह होती हैं। वे पीठ, कमर या पैरों के दर्द को थकान की वजह से होने वाली मामूली तकलीफ समझकर उसे नजरअंदाज कर देती हैं, पर ऐसा करना ठीक नहीं। यह सायटिका जैसी गंभीर बीमारी का लक्षण हो सकता है।
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क्या है सायटिका
यह समस्या मानव शरीर की सबसे लंबी नस सियाटिक से जुड़ी है। इसे इशियाडिक नर्व भी कहा जाता है। सायटिका पीठ में दर्द की एक ऐसी स्थिति को कहते हैं, जो सियाटिक नर्व के दब जाने से पैदा होती है। यह नर्व पीठ के निचले हिस्से से शुरू हो कर पैरों के अंगूठे तक पहुंचती है। यह नस हमारी मांसपेशियों को शक्ति देने का काम करती है और इसी की वजह से हमें संवेदना महसूस होती है। अगर किसी वजह से यह नर्व दब जाती है तो यह आसपास की दूसरी नसों को भी दबाने लगती है। इसी वजह से व्यक्ति को कमर, पीठ, हिप्स और पैरों में लगातार दर्द की समस्या होती है, जिसे सायटिका कहा जाता है। इसके अलावा अगर स्पाइनल कॉर्ड का निचला हिस्सा संकरा हो तो भी ऐसी समस्या हो सकती है। अगर रीढ़ की हड्डियों के जोड़ों के बीच मौजूद कुशन का जेलनुमा पदार्थ सूखने लगे तो हड्डियां एक-दूसरे पर ज्य़ादा दबाव डालने लगती हैं। इस वजह से भी ऐसी समस्या हो सकती है।
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कैसे करें पहचान
1- कमर, पीठ या पैरों में तेज दर्द
2- दर्द के साथ जलन और चुभन
3- कमजोरी महसूस होना
4- पैरों का सुन्न पड़ जाना, कदम उठाते वक्त पैरों या एडिय़ों में दर्द
5- खड़े होने या बैठने पर दर्द का बढ़ जाना
6- पीठ के निचले हिस्से से शुरू होकर दर्द का पैरों के अंगूठे तक पहुंच जाना
क्या है वजह
1- भारी वजन उठाने या किसी वजह से झटका लगने पर रीढ़ की हड्डी का कोई खास हिस्सा अपनी जगह से खिसक जाता है, जिसे स्लिप डिस्क कहा है। यह सायटिका का सबसे बड़ा कारण है।
2- हमेशा हाई हील पहनने वाली स्त्रियों को यह समस्या हो सकती है।
3- ओवरवेट लोगों को भी यह समस्या हो जाती है।
4- डिलिवरी के बाद कुछ स्त्रियों को यह समस्या हो जाती है क्योंकि प्रेग्नेंसी के दौरान सियाटिक नर्व पेल्विक एरिया पर दबाव डालता है।
5- नियमित रूप से एक्सरसाइज न करना, गलत ढंग से किया गया व्यायाम और सोने के लिए बहुत ज्य़ादा मुलायम गद्दे का इस्तेमाल भी इसका कारण हो सकता है।
बचाव के तरीके
1- संतुलित खानपान और नियमित एक्सरसाइज से अपना वजन नियंत्रित रखें
2- कोई भी भारी सामान उठाते समय ध्यान रखें कि कमर पर ज्य़ादा जोर न पड़े
3- बैठते समय हमेशा अपनी पीठ सीधी रखें
4- उठते-बैठते समय ध्यान रखें कि आपकी कमर को झटका न लगे
5- प्रेग्नेंसी के दौरान और डिलिवरी के बाद डॉक्टर के सभी निर्देशों का अच्छी तरह पालन करें
6- कुशल प्रशिक्षक की सलाह और निगरानी के बिना कोई भी एक्सरसाइज न करें
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