महिलाओं में फाइब्रायड की शिकायत

फाइब्रायड का आकार मटर के दाने से लेकर खरबूजे के आकार तक का हो सकता है। आइए जानें महिलाओं में फाइब्रायड की शिकायत के बारे में।
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महिलाओं में फाइब्रायड की शिकायत

फाइब्रायड यानी रसौली या ट्यूमर होना। आज लगभग 30 फीसदी महिलाएं फाइब्रायड की शिकायत से ग्रस्त है। फाइब्रायड एक महिला में एक से लेकर कई हो सकते है। फाइब्रायड की शिकायत होने इसकी चिकित्सा के लिए सर्जरी करवाई जाती है। आमतौर पर फाइब्रायड गर्भाशय की दीवार से निकलते है जिससे बांझपन का खतरा भी रहता है। फाइब्रायड का आकार मटर के दाने से लेकर खरबूजे के आकार तक का हो सकता है। आइए जानें महिलाओं में फाइब्रायड की शिकायत के बारे में।

 Tumor in women

  • महिलाओं में फायब्रायड होने पर माहवारी अनियमित हो जाती है, ओवोल्यूशन पीरियड कभी 32 दिन तो कभी 24 दिन कभी इससे अधिक और कम भी हो जाता है। कभी-कभी माहवारी महीने में दो बार भी हो जाती है।
  • थोड़ा भार उठाते ही महिलाओं को रक्त स्राव होने लगता है।
  • माहवारी के दौरान बहुत अधिक रक्त स्राव होने लगता है।
  • पेट के निचले हिस्से‍ में दर्द की शिकायत अकसर रहने लगती है।
  • कई बार इससे महिलाएं तनावग्रस्त भी हो सकती हैं।
  • कुछ महिलाओं में फाइब्राइड होने पर दर्द महसूस भी नहीं होता।
  • फाइब्रायड के कारण संभोग के समय दर्द,बार-बार मूत्रत्याग की इच्छा,बड़ी आंत पर दबाव और कब्ज जैसे अन्य लक्षण भी हो सकते हैं।
  • अधिक उम्र में गर्भवती होने से भी फाइब्रायड का खतरा बढ़ जाता है।
  • सामान्य तौर पर फायब्राइड बनने का कारण इस्ट्रोजन हार्मोन है।
  • फाइब्रायड का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि फाइब्रायड गर्भाशय के किस हिस्से पर है और कितने है। फाइब्रायड का आकार कितना है, पीडि़त महिला अविवाहित है या विवाहित। ये सभी बातें इलाज के लिए महत्वपूर्ण है।
  • यदि फाइब्रायड का आकार 3 से 4 सेमी से कम है, तो ऐसे में हार्मोन थेरेपी और अन्य दवाओं के द्वारा इलाज किया जाता है।
  • यदि फाइब्रायड दो से अधिक होते है और उनका आकार 3 या 4 सेमी से अधिक होता है और पीड़ित महिला को रक्त स्राव ज्यादा होता है, तो आपरेशन के माध्यम से फाइब्रायड को निकाला जाता है। यह आपरेशन लैपरोस्कोपी के माध्यम से होता है।
  • यदि पीड़ित महिला की उम्र 40 से ज्यादा है और फाइब्रायड का आकार बड़ा  है, तो इस स्थिति में पहले दवा दी जाती जाता है। यदि इससे आराम नहीं मिलता तो इंजेक्शंस दिए जाते हैं। यदि इससे भी फर्क नहीं पड़ता तो फिर गर्भाशय को ऑपरेशन के माध्यम से हटा दिया जाता है।

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