भारत में अन्य देशों की तुलना में श्वसन बीमारियों से सबसे अधिक लोगों की मौत होती हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में 13 शहर अकेले भारत देश के ही हैं। इन अनुमानों के अनुसार दिल्ली को प्रदूषण के मामले में सबसे बुरा शहर माना गया। भारत में दुनिया की किसी भी जगह के मुकाबले श्वसन संबंधी बीमारियों के कारण सबसे ज्यादा मौतें होती है। लेकिन एक हालिया शोध के मुताबिक नियमित एक्सरसाइज प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों को दूर करने में मदद करती है। इसके बारे में इस लेख में विस्तार से जानें।
कोपेनहेगन विश्वविद्यालय का शोध
कोपेनहेगन विश्वविद्यालय द्वारा किये गए इस अध्ययन के अनुसार स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के प्रतिकूल प्रभावों के बावजूद, शहरी क्षेत्रों में ज्यादा वायु प्रदूषण को व्यायाम करने के लिए एक बाधा के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। कई लोग मानते हैं कि शहरों में प्रदूषण बहुत है और यहां खुले में व्यायम नहीं करना चाहिये। यह शोध इस मान्यता को नकारता नज़र आता है।
एसोसिएट प्रोफेसर, जोरना जोवानोविक के अनुसार, सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए, फिट रहने के लिये निष्क्रिय रहने के बजाए रनिंग, लहले जाना या साइकलिंग करना लाभदायक होता है।
आराम के समय और अधिकतर दैनिक गतिविधियों में फेफड़े अपनी क्षमता का मात्र 50 प्रतिशत ही काम करते हैं, जबकि हमारे बाकी के शरीर की तरह फेफड़े भी सक्रियता में ज्यादा बेहतर काम करते हैं और स्वस्थ रहते हैं। इसलिये आपके फेफड़ों को भी स्वस्थ रहने के लिये प्रतिदिन 30 मिनट की तीव्र शारीरिक गतिविधियों की जरूरत होती है।
हार्वर्ड और येल विश्वविद्यावय के भारतीय मूल के शोधकर्ताओं के एक शोध के अनुसार भारत यदि हवा मानकों को पूरा करने के लिए अपने लक्ष्यों को सुधार ले तो 66 करोड़ लोगों की आयु 3.2 साल तक बढ़ जाएगी। यह जानकारी एक महत्वपूर्ण शोध से सामने आई है। इस शोध में कहा गया है कि भारतीय वायु गुणवत्ता मानकों की अनुकूलता से 210 करोड़ साल का जीवन बचाया जा सकता है।
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