ज्यादातर पुरुषों का विचार होता है कि परिवार उन पर निर्भर करता है। और उन्हें परिवार के हर सदस्य के लिए वहां मौजूद होना जरूरी है। लेकिन, हकीकत यह है कि अगर परिवार का मुखिया बीमार पड़ जाए, तो उसके साथ-साथ सारा परिवार परेशानी झेलता है। कहते हैं ना, 'एक सेहत हजार नियामत'। और अपनी सेहत पर पैसे खर्च करना फिजूलखर्ची नहीं, बल्कि अपने बेहतर और स्वस्थ भविष्य के लिए निवेश की तरह है।
कई कारण हैं जिनकी वजह से पुरुष अपनी स्वयं की देखभाल की ओर ध्यान नहीं देते। उन्हें अपने लुक की परवाह तो करते हैं, लेकिन सेहत की नहीं। यह कुछ ऐसा ही है, जैसे हम किसी कार की खूबसूरती की तो परवाह करें, लेकिन उसके इंजन और अन्य खामियों को नजरअंदाज कर दें। सिर्फ पैकेजिंग देखकर आप किसी सामान को अच्छा या बुरा कैसे बता सकते हैं। अहमियत उस पैकेट के अंदर मौजूद चीज की होती है।
तो, अगर आप अपनी सेहत के प्रति लापरवाही दिखाते हुए, इनमें से कोई भी बहाना बनाते हैं, तो संभल जाइये। आप न केवल अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, बल्कि आपका इस तरह का बर्ताव आपके परिवार को भी प्रभावित करेगा।
मेरे पास समय नहीं
डॉक्टर के पास जाने का मेरे पास समय नहीं। यह बहाना बेकार है। सेहत से जरूरी कोई चीज नहीं। आप अपनी कार की सर्विस का तो पूरा ध्यान रखते हैं, लेकिन अपने शरीर का ? इस मामले में कोताही क्यों बरती जाती है। आपका सालाना तौर पर अपने शरीर का चैकअप करवाना चाहिये। इसमें कुछ रक्तजांच भी शामिल हैं। इसमें बामुश्किल एक घंटा लगता है। और आप सेहत से जुड़ी कितनी ही परेशानियों से बच सकते हैं। आपकी जिंदगी के बरस आराम से गुजर सकते हैं। समय रहते अगर किसी रोग का पता चल जाए, तो उसका निदान अपेक्षाकृत आसान होता है।
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जिम नहीं जाना
मेरे पास जिम जाने का वक्त नहीं है- जब मेरे पास खाली समय हो, तो मैं उसे अपने परिवार के साथ बिताना चाहता हूं। बेशक, यह अच्छी बात है। आपके लिए आपका परिवार, आपकी बीवी, माता-पिता और बच्चे बहुत मायने रखते हैं, लेकिन व्यायाम से बचने का यह तो कोई बहाना नहीं। आपके बच्चों को भी व्यायाम की जरूरत है। तो, क्यों न बच्चों के साथ ही पैदल चलना, बागवानी, साइक्लिंग और डॉन्स क्लास आदि में शामिल हो सकते हैं। फिट रहने से आप सतर्क रहेंगे। व्यायाम आपको तनाव से भी दूर रहने में मदद करता है।
सब्जियां खाने की क्या जरूरत
सब्जियों की क्या जरूरत है, मेरे लिए मांस-मछली तो खाता ही हूं। अगर आपकी सोच यह तो है, जरूरत है इसे बदलने की। अगर आपकी प्लेट में रखे मांस के टुकड़े का आकार बहुत बड़ा है, तो आप सही आहार नहीं ले रहे। जीवन में संतुलन होने के साथ-साथ आपकी प्लेट में भी सही संतुलन होना जरूरी है। अपनी प्लेट में मांसहारी और शाकाहारी भोजन का सही अनुपात रखिये। इससे आप कई कैलोरी बचा पायेंगे। अच्छा तो यह है कि अगर आप एक चौथाई मांस, एक चौथाई अनाज और बाकी आधा फलों और सब्जियों से सेवन करें। इससे आपके पैसों की तो बचत होगी ही साथ ही साथ आपको कई पोषक तत्व भी मिलेंगे। केवल एक ही प्रकार का भोजन आपको बीमार कर सकता है।
न दर्द न बीमारी तो क्यों जाऊं डॉक्टर के पास
आपकी त्वचा पारदर्शी नहीं है, इसलिए आप यह नहीं जान सकते कि इसके अंदर क्या चल रहा है। सभी तत्वों के लक्षण परेशान करने वाले नहीं होते। आपको उच्च रक्तचाप और बढ़ा हुए कोलेस्ट्रॉल की शिकायत हो सकती है। आपकी ब्लड शुगर की अधिकता दिल की बीमारियों और डायबिटीज का कारण बन सकती है। इसके अलावा आपको कई सेक्सुअल समस्यायें भी हो सकती हैं। कहने का अर्थ यह है कि आपको बड़ी तस्वीर देखनी चाहिये। और डॉक्टर से रेगुलर चेकअप करवाते रहना चाहिये।
मुझे कोई फिक्र नहीं
अगर आपको कोई बात परेशान नहीं करती, तो यह अच्छी बात है। लेकिन, महिलायें अपनी भावनाओं का इजहार करने में पुरुषों की अपेक्षा अधिक मुखर होती हैं। पुरुषों को लगता है कि अगर वे अपनी परेशानी के बारे में बात करेंगे, तो उन्हें कमजोर समझा जाएगा। अगर वे यह कहेंगे कि वे उदास हैं, तनाव में हैं या फिर उनकी तबीयत नासाज है, तो लोग इसे बीमारी या ज्यादा कमजोरी से जोड़कर देखेंगे। फिर चाहे वह उसकी साथी हो, दोस्त हों या फिर डॉक्टर ही क्यों न हों। लेकिन, ऐसा न करें। अपने दुख और तकलीफ किसी न किसी से जरूर कहें। जरूरी नहीं कि आपका मानसिक स्वास्थ्य आपको कोई शारीरिक दर्द या तकलीफ दे, लेकिन इन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिये। मानसिक परेशानियों से आपको तनाव, अवसाद, अनिद्रा, थकान और सेक्सुअल समस्यायें हो सकती हैं।
तो, पुरुषों को चाहिये कि वे अपनी सेहत को लेकर सजग रहें। आखिर अगर वे स्वयं को परिवार की धुरी मानते हैं, तो इस धुरी का सही होना भी तो जरूरी है। तो अगर आप अपनी सेहत का खयाल नहीं रखेंगे, तो बाकी कुछ बेकार ही तो है।
Image Courtesy- Getty Images
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