ज्यादातर महिलाओं में स्तन कैंसर जैसी बीमारी होती है। कैंसर होने पर सेल्स तेजी से बढ़ते हैं और दूसरे अवयवों को भी नुकसान पहुंचाते हैं। अगर समय पर ब्रेस्ट कैंसर को रोका नही गया तो इसके घातक परिणाम हो सकते हैं। स्तन कैंसर होने पर महिलाओं को स्तन की सर्जरी करवानी पड़ती है। ब्रेस्ट कैंसर में सबसे ज्यादा कॉमन है डक्टल कार्सिनोमा, इसके 85 से 90 प्रतिशत तक होने की संभावना रहती है और फिर लॉबूलर कार्सिनोमा, इसकी संभावना 8 प्रतिशत तक रहती है। स्तन कैंसर के इलाज के बाद भी इसका प्रभाव कई दिनों तक रहता है। आइए हम आपको ब्रेस्ट कैंसर के लॉग-टाइम इफेक्ट के बारे में बताते हैं।
ब्रेस्ट कैंसर का दीर्घकालिक प्रभाव -
स्तनों पर प्रभाव
स्तन कैंसर की सर्जरी के बाद स्तनों का आकार अलग दिखता है। स्तन छोटे भी हो जाते हैं, क्योंकि सर्जरी के बाद स्तनों के कुछ हिस्से को काटना पड़ता है। यदि स्तन कैंसर के उपचार के लिए रैडिकल मैस्टेक्टोमीज हुआ है तो इसमें पूरा स्तन निकाल दिया जाता है। यदि रेडियेशन थेरेपी से चिकित्सा हुई है तो रेडियोएक्टिव किरणें आसपास के ऊतकों को प्रभावित करती हैं।
स्तनों में सूजन, दर्द, लाल दानें आदि भी निकल सकते हैं। स्तनों में दर्द हमेशा बना रहता है, जिसे खत्म करने के लिए दवाईयों की जरूरत पड़ती है। हालांकि स्तनों को सामान्य दिखने के लिए सर्जरी की सहायता ली जा सकती है।
फेफड़े पर असर
रेडियोथेरेपी से इलाज के बाद फेफड़े के सेल्स भी प्रभावित होते हैं, फेफड़े की कोशिकाओं में सूजन हो सकती है। इसके कारण सांस लेने में दिक्कत हो सकती है, सीने में दर्द और सूखी खांसी आने लगती है। इससे बचने के लिए आप दर्द निरोधक दवाओं का प्रयोग करते हैं जिसका साइड इफेक्ट हो सकता है।
जोड़ और मांसपेशियां
ब्रेस्ट कैंसर की थेरेपी, सर्जरी या कीमोथेरेपी से चिकित्सा का असर हार्मोन्स पर पड़ता है, जिसके कारण जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द होने लगता है। इसका ज्यादा प्रभाव हाथों के जोड़ों पर पड़ता है, हाथों की मांसपेशियां में सूजन भी आ सकती है। रेडियोएक्टिव किरणें हाथों में रक्त का संचार करने वाली तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
थकान महसूस करना
ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के बाद महिलाओं को कुछ साल तक थकान महसूस होती है, खासकर युवा महिलाओं को। जिन महिलाओं को इलाज के बाद थकान महसूस हो रही हो उन्हें दिल की बीमारियों, स्लीप एपनिया, थायराइड आदि की जांच कराना चाहिए। इसके अलावा शरीर को ऊर्जावान रखने के लिए नियमित रूप से व्यायाम और योगा करते रहिए।
सेक्सुअल समस्या
चिकित्सा के बाद सेक्स से संबंधित समस्या भी हो सकती है। सेक्स की इच्छा में कमी होना, इंटरकोर्स के दौरान दर्द होना आदि समस्यायें हो सकती हैं। हार्मोन थेरेपी और कीमोथेरेपी के बाद पीरियड्स अनियमित हो सकता है। कुछ महिलाओं को समय से पहले मीनोपॉज हो सकता है।
स्तन कैंसर की चिकित्सा के बाद स्वस्थ और पोषणयुक्त आहार के साथ-साथ चिकित्सक की सलाह का पालन करने से से इसकी जटिलता को कम किया जा सकता है।
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