गुस्सा करना इंसान की फितरत है। कई बार क्रोध के कारण, अकेलापन, चिड़चिड़ापन, उदासी, अवसाद इत्यादि होने लगता है। इतना ही नहीं व्यक्ति क्रोध के कारण कोई अपराध भी कर बैठता है। क्रोध से ही व्यक्ति का सिरदर्द होने लगता है। नतीजन, उसे कई बीमारियां घेर लेती हैं। अवसाद के कारण व्यक्ति अपना खुद का नुकसान भी कर बैठता है। लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या अवसाद से गर्भपात हो सकता है, आइए जानें।
अवसाद और गर्भपात
गर्भावस्था में गर्भवती को अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है, ऐसे में गर्भवती महिला को अपने रहन-सहन का खास ख्याल रखना पड़ता है। आमतौर पर गर्भावस्था में होने वाले उतार-चढ़ावों या गर्भपात की स्थिति के बारे में पता नहीं चल पाता और न ही ये पता लगाया जा सकता कि गर्भपात किन कारणों से हुआ है।
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केवल अवसाद ही गर्भपात का जिम्मेदार नहीं
हालांकि ऐसा माना जाता है कि गर्भावस्था में गर्भवती को तनाव से दूर ही रखना चाहिए अन्यथा इसके बहुत से दुष्प्रिणाम हो सकते हैं जिनमें से एक गर्भपात भी है। अवसाद के कारण गर्भपात हो सकता है लेकिन सिर्फ अवसाद ही गर्भपात का जिम्मेदार नहीं बल्कि इसके साथ जुड़े अन्य तमाम मुद्दे भी हो सकते हैं।
अवसाद के कारण गर्भ में शिशु की कम देखभाल
कई बार अवसाद के चलते महिलाएं गर्भ में पल रहे शिशु की सही से देखभाल नहीं कर पाती जिससे बच्चे का पूर्ण विकास नहीं हो पाता। अवसाद से घिरी गर्भवती महिलाएं न सिर्फ अपने स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती हैं बल्कि होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर पड़ता है।

अकेलेपन के कारण अवसाद
कहा जाता है कि गर्भवती महिला को अकेला नहीं रहना चाहिए, न ही निराश होना चाहिए और खुश रहना चाहिए अन्यथा बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है, लेकिन अवसाद से घिरी महिलाएं न सिर्फ अकेलेपन का शिकार होती हैं बल्कि निराशा, उदासी उन्हें हर पल घेरे रहती हैं।
गुस्से में खाना-पीना छोड़ना
अवसाद से घिरी महिलाओं के इम्युन सिस्टम पर बुरा असर पड़ता है, जो कि बच्चे की हेल्थ के लिए भी खतरनाक है, ऐसे में गर्भपात का खतरा भी बढ़ जाता है। अवसाद से ग्रसित महिलाएं अधिक चिड़चिड़ी, गुस्से अधिक आना, नींद पूरी न होना इत्यादि समस्याएं हो जाती है और यह सभी समस्याएं गर्भपात की जिम्मेदार हैं। आमतौर पर महिलाएं गुस्से में खाना-पीना छोड़ देती हैं जो कि गर्भवती महिलाओं में गर्भपात का कारण बन सकता है।
गर्भवस्था में अवसाद महिलाओं को शारीरिक और भावनात्मक नुकसान पहुंचा सकता है, साथ ही गर्भपात का कारण भी बन सकता हैं।
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